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Saturday, 21 December, 2024
होमराजनीति‘योगी की पसंद’, रैंक की अनदेखी—कौन हैं UP के ‘सबसे ताकतवर’ IAS अधिकारी बनकर उभरे संजय प्रसाद

‘योगी की पसंद’, रैंक की अनदेखी—कौन हैं UP के ‘सबसे ताकतवर’ IAS अधिकारी बनकर उभरे संजय प्रसाद

यूपी के मुख्यमंत्री कार्यालय ने कम से कम 40 अन्य वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों को छोड़कर संजय प्रसाद को गृह और सूचना जैसे महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी संभालने के लिए चुना है.

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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में बुधवार देर रात 16 आईएएस अधिकारियों के कामकाज में अचानक फेरबदल के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रधान सचिव संजय प्रसाद राज्य के सबसे ताकतवर अधिकारी बनकर उभरे हैं.

योगी सरकार ने संजय प्रसाद को गृह विभाग के साथ-साथ सूचना और जनसंपर्क, वीजा और पासपोर्ट, और सतर्कता जैसे महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी सौंपी है.

अभी तक, 1987 बैच के आईएएस अधिकारी और अतिरिक्त मुख्य सचिव अवनीश के. अवस्थी को यूपी में सबसे ताकतवर अफसर माना जाता था, जो गृह, वीजा एवं पासपोर्ट, जेल प्रशासन, सतर्कता, ऊर्जा और धार्मिक मामलों जैसे प्रमुख विभाग संभालते थे. वह बुधवार को रिटायर हो गए.

अवस्थी के बाद अब 1995 बैच के आईएएस अधिकारी संजय प्रसाद को सीएम के सबसे भरोसेमंद अधिकारियों में से एक माना जा रहा है. वह 2019 से मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) का हिस्सा हैं, जब वह केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चार साल की सेवा के बाद अपने कैडर में लौट आए थे.

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक वरिष्ठ नेता ने दिप्रिंट को बताया, ‘आईआईटी कानपुर के पूर्व छात्र अवनीश के. अवस्थी की सेवानिवृत्ति के बाद योगीजी अपने किसी भरोसेमंद अधिकारी को गृह विभाग का प्रभारी बनाना चाहते थे. संजय प्रसाद उस प्रोफाइल में एकदम फिट बैठते हैं.’

नेता ने कहा, ‘हम सभी जानते हैं कि योगीजी ने अंतिम दिन तक अवस्थी का कार्यकाल बढ़ाने का प्रयास किया. लेकिन केंद्र सरकार ने उनका कार्यकाल नहीं बढ़ाया. अवस्थी के अलावा संजय प्रसाद मुख्यमंत्री के सबसे करीबी रहे हैं.’

मुख्यमंत्री के करीबी गोरखपुर के वरिष्ठ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पदाधिकारियों का भी मानना है कि संजय प्रसाद सबसे ‘कुशल और गैर-विवादास्पद’ अधिकारियों में से एक हैं. उन्होंने 1999 से 2001 के बीच करीब एक साल गोरखपुर में मुख्य विकास अधिकारी के तौर पर काम किया था, जब आदित्यनाथ सांसद थे.

गोरखपुर के एक वरिष्ठ आरएसएस पदाधिकारी ने कहा, ‘उस समय यूपी में राम प्रकाश गुप्ताजी की सरकार (1999 से 2000) थी. महाराजजी (योगी आदित्यनाथ) तब सांसद थे. गोरखपुर के विकास में उनकी हमेशा से रुचि रही है. संजय प्रसाद ने उस समय वहां शानदार काम किया और यह महाराजजी की नजर में भी आया. इसके बाद से उन्होंने (प्रसाद ने) समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सहित यूपी के सभी राजनीतिक दलों की सरकारों में काम किया. लेकिन ईमानदारी और पेशेवर बने रहना उनकी सबसे बड़ी खूबी है.’

मूलत: बिहार के सीतामढ़ी जिले के रहने वाले संजय प्रसाद पहले गृह, स्वास्थ्य और शिक्षा विभागों में एक कनिष्ठ सचिव थे और वह अयोध्या के डिवीजनल कमिश्नर भी रहे हैं.


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‘योगी की पसंद’

सीएमओ ने हाई-प्रोफाइल गृह विभाग संभालने के लिए संजय प्रसाद को चुनने के दौरान (आईएएस अधिकारियों की सिविल लिस्ट के मुताबिक) उनसे वरिष्ठ कम से कम 40 अन्य आईएएस अधिकारियों की अनदेखी की है, जिनमें अतिरिक्त मुख्य सचिव-रैंक के कम से कम 26 अफसर शामिल हैं.

गृह सचिव और सूचना सचिव के पद परंपरागत तौर पर अतिरिक्त मुख्य सचिव रैंक के अधिकारियों के पास रहे हैं, जो प्रमुख सचिव रैंक से वरिष्ठ होते हैं.

राज्य में सेवारत एक वरिष्ठ आईएएस अफसर ने कहा, ‘वास्तविकता यही है कि प्रसाद को पारंपरिक पदानुक्रम को दरकिनार कर आगे बढ़ाया गया है और सीएम ने उन्हें सबसे संवेदनशील और महत्वपूर्ण विभागों का प्रभार दिया है. यह बात साबित करती है कि प्रसाद उनकी पसंद हैं.’

यूपी सरकार के एक अन्य शीर्ष अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि प्रसाद की पोस्टिंग ‘असामान्य’ है, हालांकि ‘सरकार किसी भी अधिकारी को किसी भी पद पर नियुक्त कर सकती है.’

उन्होंने बताया, ‘गृह विभाग पुलिस निदेशालय (पीडी) को संभालता है. हालांकि, कम से कम पांच अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) रैंक के अफसर हैं जो पद और बैच के मामले में प्रसाद से वरिष्ठ हैं.’ पांच एडीजी में प्रशांत कुमार, एडीजी, कानून व्यवस्था भी शामिल हैं, जो 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं.

उन्होंने आगे कहा, ‘एडीजी आमतौर पर पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को रिपोर्ट करते हैं और गृह सचिव को सीएम और पीडी के बीच सेतु के तौर पर देखा जाता है. प्रशासनिक पदानुक्रम के लिहाज से गृह सचिव राज्य की नौकरशाही में सबसे वरिष्ठ अधिकारियों में एक होता है, और आमतौर पर एडीजी-रैंक के अधिकारियों से वरिष्ठ होता है.’


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चुनाव प्रबंधक

यूपी में इस साल विधानसभा चुनाव के दौरान संजय प्रसाद ने सीएम के प्रोटोकॉल अधिकारी के तौर पर आदित्यनाथ के साथ मिलकर काम किया था. सीएम की चुनावी टीम में शामिल रहे एक अन्य वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा, ‘चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा और आरएसएस के पदाधिकारी नियमित रूप से प्रसाद से मिलते थे.’

भाजपा नेता ने कहा, ‘योगीजी उन्हें लगभग हर महत्वपूर्ण चुनावी सभा में भेजते थे. उन्होंने अभियान को अलग और खास तरह से आगे बढ़ाया. इसके पीछे आइडिया इस पर योगीजी की एक धारणा बनाने का भी था. संजय प्रसाद ने सुनिश्चित किया कि उनका अभियान (प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदीजी और (केंद्रीय गृह मंत्री अमित) शाहजी के अभियान की छाया में अनदेखा न रह जाए.’

योगी आदित्यनाथ के अधीन सेवा करने से पहले संजय प्रसाद ने भाजपा के कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह और राम प्रकाश गुप्ता, सपा के मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव और बसपा की मायावती की सरकारों के मातहत भी काम किया है.

यूपी में उनके एक साथी अफसर और सहयोगी ने कहा, ‘वह हमेशा से एक कुशल अधिकारी रहे हैं.’

करीब एक दशक पहले संजय प्रसाद कथित तौर पर बसपा सुप्रीमो और तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती के लिए वोट मांगने को लेकर सुर्खियों में आए थे, जब 2009 और 2011 के बीच वह इलाहाबाद के जिला मजिस्ट्रेट के पद पर तैनात थे.

शहरी गरीबों के लिए आवास से जुड़ी कांशीराम योजना को लेकर प्रोजेक्ट रिव्यू संबंधी एक प्रशासनिक बैठक के दौरान वह यह कहते हुए कैमरे पर कैद हुए थे कि, ‘25 करोड़ रुपये खर्च करने का क्या मतलब है अगर सरकार को 1,500 परिवारों के वोट भी न मिलें.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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