नई दिल्लीः कपड़ों का फैशन तो हमने तेजी से बदलता हुआ देखा है, लेकिन पिछले कुछ महीनों से पीली पगड़ी पहनने का ट्रेंड बढ़ गया है. राहुल गांधी और जिग्नेश मेवाणी से लेकर हाल ही में भगवंत मान तक पीली पगड़ी पहने हुए नज़र आए. यहां तक कि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में लोगों से पीली पगड़ी पहनकर आने की अपील की. हालांकि, माना जा रहा है कि ऐसा उन्होंने भगत सिंह की तरह अपने को ‘गलत का प्रतिकार’ करने वाले नायक के रूप में प्रदर्शित करने के लिए किया. क्योंकि भगत सिंह ने अंग्रेजों का विरोध करने के दौरान ‘मेरा रंग दे बसंती चोला’ गाना गाया था. वहीं शपथ ग्रहण के बाद उनकी ऑफिस में दीवार पर भगत सिंह की फोटो टंगी हुई नजर आई जिसमें उन्होंने पीले रंग की पगड़ी पहन रखी थी.
पिछले साल सिंतबर में राहुल गांधी ने भगत सिंह के जन्मतिथि पर पीली पगड़ी बांधे हुए अपनी फोटो सोशल मीडिया पर डाली थी. इस फोटो में उनके साथ जिग्नेश मेवाणी व अन्य नेताओं ने भी पीली रंग की पगड़ी पहनी हुई थी.
झूठ के साम्राज्य में सच से ही क्रांति आती है।
नए-पुराने सभी साथियों को मिलकर इस सत्याग्रह में भाग लेना होगा।#BhagatSingh pic.twitter.com/NycbXjHI04
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) September 28, 2021
लेकिन पीली पगड़ी पहनने का ट्रेड सिर्फ राजनेताओं तक ही सीमित नहीं है बल्कि आम लोग भी आजकल पीली पगड़ी पहने हुए नज़र आ जाते हैं. सरदार भगत सिंह की पुण्यतिथि पर भी तमाम लोग पीली पगड़ी पहने हुए नजर आए. हालांकि, मौजूदा समय में कई लोग ऐसा मानते हैं कि पीली पगड़ी पहनने वाला व्यक्ति आम आदमी पार्टी का कार्यकर्ता होगा लेकिन ऐसा नहीं है. अस्मिता थियेटर ग्रुप के अरविंद गौड़ जो खुद पीली पगड़ी में नजर आ रहे थे उन्होंने कहा, ‘पीली पगड़ी इन दिनों फैशन में है. मैंने भी पीली पगड़ी पहन रखी है लेकिन मेरा किसी पार्टी विशेष से कोई लेना देना नहीं है.’ उन्होंने बताया कि उन्होंने पीली पगड़ी शौकिया बांधी हुई थी.
इतना ही नहीं तमाम आंदोलनों के दौरान भी आंदोलनकारियों को पीली पगड़ी पहने हुए देखा गया है. पिछले साल तीन विवादित कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन करने वाले किसान भी पीली पगड़ी हुए दिखे. इस आंदोलन में काफी संख्या में पुरुषों ने पीली पगड़ी बांध रखी थी और महिलाओं ने पीली चुनरी पहनी हुई थी. वहीं पिछले साल अक्टूबर में जलियांवाला बाग मेमोरियल के जीर्णोद्धार के लिए आंदोलन करने वाले किसान संगठनों ने भी पीली पगड़ी पहन रखी थी.
एक खबर के मुताबिक भगवंत मान के शपथ ग्रहण के दो दिनों के भीतर ही जालंधर में पीली पगड़ी और पीले रंग की चुनरी की बिक्री करीब 20 गुना बढ़ गई. पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद से पीले रंग की पगड़ी पहनने का क्रेज़ और भी बढ़ गया है.
सरकार विरोधी आंदोलनों में भी आंदोलनकारी पीली पगड़ी हुए दिखे. गैस सिलिंडर के बढ़े हुए दामों के विरोध में भी लोगों ने पीली पगड़ी पहनी हुई थी.
क्या भगत सिंह सच में पहनते थे पीले रंग की पगड़ी
पीली पगड़ी को भगत सिंह से जोड़ा जा रहा है लेकिन एक बड़ा सवाल यह भी है कि क्या भगत सिंह वास्तव में पीली पगड़ी पहनते थे. जेएनयू के रिटायर्ड प्रोफेसर जिन्होंने भगत सिंह पर काफी शोध भी किया है उनका कहना है कि यह गलत फैक्ट है. उन्होंने बताया कि भगत सिंह अब तक चार फोटोज़ हैं जिनकी पुष्टि हुई है. इन चारों में उन्होंने कहीं भी पीली पगड़ी नहीं पहनी हुई है. इन फोटोज़ में एक बचपन की है, दूसरी में वे चारपाई पर बैठे हुए हैं और जूड़ा बांध रखा है, तीसरी में हैट पहन रखा है और चौथी में पगडी पहनी है लेकिन वह सफेद रंग की दिख रही है.
प्रोफेसर का कहना है कि उन्होंने हमेशा सफेद रंग की पगड़ी ही पहनी. उन्होंने केवल एक बार काली रंग की पगड़ी पहनी थी जब ननकाना साहब जाने वाले जत्थे पर अंग्रेजों ने जुल्म किया तो उसका विरोध करने के लिए भगत सिंह ने काले रंग की पगडी पहनी थी.
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पंजाब की राजनीति में पहचान रही है पगड़ी
पंजाब की राजनीति में पहली बार नहीं है जब पगड़ी की बात हो रही है. इससे पहले शिरोमणि अकाली दल के नेता हमेशा नीले रंग की पगड़ी में नज़र आते रहे हैं. यह एक तरह का सिंबोलिज़म है जिससे अपनी खास तरह की पहचान बनाने के लिए भी यूज़ किया जाता है. इसके अलावा भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह हमेशा आसमानी रंग की पगड़ी में नज़र आते रहे हैं और योजना आयोग के पूर्व अध्यक्ष को भी आम तौर पर हमेशा नीले या आसमानी रंग की पगड़ी में ही देखा जाता रहा है.
क्रांति की परिचायक रही है पीली पोशाक
भारत मे आजादी की लड़ाई के दौरान जहां सरदार भगत सिंह ने अंग्रेजों का विरोध करने के दौरान ‘मेरा रंग दे बसंती चोला’ गाया और हंसते हंसते फांसी के फंदे पर चढ़ गए. वहीं इससे पहले चीन में हान वंश के खिलाफ एक किसान आंदोलन हुआ था जहां इसकी जड़ें देखने को मिलती हैं. हान वंश के सम्राट लिंग के समय में एक किसान आंदोलन हुआ था जिसमें किसानों ने पीली पगड़ी या पीले रंग का स्कार्फ पहन रखा था. जिसकी वजह से इसे पीली पगड़ी क्रांति भी कहा जाता है.
दरअसल 184 AD में चीन में अकाल पड़ा और गरीब किसान उत्तरी चीन से दक्षिण चीन की ओर जाने को मजबूर हो गए. जहां पर अमीर और ताकतवर जमीदारों ने उनका और भी शोषण शुरू कर दिया. इसके अलावा किसानों पर भारी टैक्स लगा दिए गए और चीन की पीली नदी में आए बाढ़ ने स्थिति को और भी ज्यादा खराब कर दिया. जिसकी वजह से किसानों ने विद्रोह किया.
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