कोलकाता: अनित थापा के नेतृत्व वाले भारतीय गोरखा प्रजातांत्रिक मोर्चा ने पिछले महीने पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में अर्ध-स्वायत्त गोरखालैंड प्रादेशिक प्रशासन चुनाव जीता है. एक साल से भी कम समय पहले बनाए गए इस संगठन के लिए ये एक बड़ी जीत है.
थापा की बीजीपीएम ने इन चुनावों में 45 में से 26 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि उसकी प्रतिद्वंद्वी हमरो पार्टी को 7 सीटों से ही संतोष करना पड़ा. 26 जून को हुए इन चुनावों में 7 निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी अपना परचम लहराया. पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने जीटीए में पांच सीटें हासिल कीं. 2011 में गठन के बाद पहली बार उसने क्षेत्रीय निकाय में कोई सीट जीती है.
चुनाव 10 साल के अंतराल के बाद हुए थे.
गौरतलब है कि इस चुनाव में 171 निर्दलीय उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था, जो अब तक की सबसे बड़ी संख्या है.
भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगी गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट (जीएनएलएफ) ने इसे ‘असंवैधानिक’ निकाय बताते हुए चुनावों का बहिष्कार किया था. जीएनएलएफ ने 1986 और 1988 के बीच एक अलग गोरखालैंड राज्य के लिए हिंसक आंदोलन किया था. यह जीटीए को एक अवैध निकाय मानता है और यहां तक कि इसने चुनावों के खिलाफ मई में कलकत्ता उच्च न्यायालय का भी रुख किया था. गोरखालैंड विरोध के बाद 1988 में गठित दार्जिलिंग गोरखा हिल काउंसिल (DGHC) की जगह 2011 में जीटीए का गठन किया गया था.
जीटीए चुनाव आखिरी बार 2012 में हुए थे. इसके बाद 2017 में चुनाव होने थे. लेकिन टीएमसी की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने बिनय तमांग और अनित थापा को जीटीए के प्रमुख के लिए नामित कर दिया. ये दोनों 2017 में एक अलग गोरखालैंड के लिए विरोध प्रदर्शन करने वाली गोरखा जनमुक्ति मोर्चा पार्टी के पूर्व नेता रहे हैं. 2021 से जीटीए की कमान नौकरशाहों के हाथों में थी.
थापा ने अपनी जीत के बाद दिप्रिंट को बताया, ‘दार्जिलिंग के पहाड़ी इलाकों में कोई व्यवस्था नहीं है, चाहे पंचायत हो या फिर स्कूल सेवा आयोग के जरिए शिक्षकों की नियुक्ति. मेरा पहला उद्देश्य पश्चिम बंगाल के बाकी हिस्सों की तरह एक सिस्टम को लेकर आना है. साथ ही हम दिल्ली के साथ शांतिपूर्ण तरीके और बातचीत के जरिए गोरखालैंड को अलग राज्य का दर्जा देने की मांग करेंगे.’
भाजपा हालांकि थापा की जीत को खतरे के रूप में नहीं देखती है
दार्जिलिंग के भाजपा सांसद राजू बिस्ता ने दिप्रिंट को बताया, ‘जीटीए एक असंवैधानिक निकाय है. हम 25 जुलाई को कलकत्ता उच्च न्यायालय की सुनवाई का इंतजार कर रहे हैं.’ वह आगे कहते हैं, ‘यह चुनावी नतीजे मायने नहीं रखते हैं. दार्जिलिंग के लोगों से हमें बिना किसी बाधा के समर्थन मिल रहा है. हम शीघ्र ही एक स्थायी राजनीतिक समाधान लाने और लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने की दिशा में भी काम करेंगे’
हालांकि मुख्यमंत्री बनर्जी ने एक अलग गोरखालैंड की मांगों पर ध्यान देने से इनकार कर दिया है. लेकिन एक ‘स्थायी राजनीतिक समाधान’ एक स्टैंड है कि भाजपा सहित राज्य के कई राजनीतिक दलों ने अलग राज्य की मांगों को स्वीकार कर लिया है.
एक अलग राज्य की मांग पर अंतिम त्रिपक्षीय वार्ता की अध्यक्षता केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अक्टूबर 2021 में नई दिल्ली में की थी.
क्या थापा की जीत भाजपा जैसी पार्टियों के लिए खतरा पैदा करेगी, जिसके पास वर्तमान में दार्जिलिंग संसदीय सीट है, जीएनएलएफ, या यहां तक कि तृणमूल कांग्रेस, जिसके लिए दार्जिलिंग सीट अब तक मायावी रही है?
रवींद्र भारती विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर और राजनीतिक विश्लेषक विश्वनाथ चक्रवर्ती ने कहा, ‘अलग राज्य का दर्जा पर अनित थापा का बयान पहाड़ी इलाकों में नेपाली भावनाओं को बनाए रखने की एक रणनीति है. वह अकेले गोरखालैंड बनाने के लिए कुछ नहीं कर सकते, सिर्फ बातचीत में भाग ले सकते हैं’
उन्होंने कहा कि थापा टीएमसी के लिए एक प्रॉक्सी हैं.
उन्होंने कहा, ‘… यहां जिस चीज को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, वो यह है कि अनित थापा तृणमूल के हाथों की ‘कठपुतली’ है. उनके पास अपना कुछ नहीं है. उन्होंने टीएमसी के समर्थन से जीटीए चुनाव लड़ा है.’ टीएमसी मंत्री अरूप बिस्वास ने उनसे मुलाकात की और थापा ने खुद ममता की तारीफ की. साथ ही लगातार संपर्क में रहने की बात भी स्वीकार की. उनकी जीत एक छद्म टीएमसी जीत है क्योंकि टीएमसी ने जीटीए में थापा की पार्टी के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारे थे.’
अनित थापा का आगे बढ़ना
पिछले कुछ सालों में दार्जिलिंग में थापा धीरे-धीरे आगे बढ़े हैं. 2007 तक एक व्यवसायी रहे और उसके बाद 2013 में कर्सियांग से निर्विरोध जीटीए चुनाव जीता था.
थापा ने गायक प्रशांत तमांग के लिए सक्रिय रूप से प्रचार भी किया था. प्रशांत तमांग जिन्होंने 2007 में गायक के फैन क्लब के माध्यम से टेलीविजन रियलिटी शो इंडियन आइडल जीता था.
उसी साल पहाड़ी नेता बिमल गुरुंग ने अपनी ही पार्टी जीएनएलएफ के खिलाफ विद्रोह कर दिया और अक्टूबर 2007 में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) का गठन किया.
तब अनित थापा ने गुरुंग के साथ हाथ मिलाया था. लेकिन 2017 में, ठीक गोरखालैंड विरोध के बीच में जीजेएम में विद्रोह छिड़ गया. आखिरकार गुरुंग भाग गए. और तब जीजेएम के एक अन्य लोकप्रिय नेता थापा और तमांग ने पार्टी का एक और गुट बना लिया.
2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों से ठीक पहले, जब गुरुंग 2020 में सक्रिय राजनीति में लौटे तो उन्होंने थापा और तमांग दोनों को ‘पार्टी विरोधी’ गतिविधियों के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया.
थापा ने सितंबर 2021 में अपनी खुद की पार्टी बीजीपीएम शुरू की और बिनय दिसंबर 2021 में टीएमसी में शामिल हो गए.
थापा ने दिप्रिंट से कहा कि भाजपा दार्जिलिंग में गोरखा लोगों की भावनाओं का शोषण कर रही है.
थापा ने दिप्रिंट को बताया, ‘दार्जिलिंग में बीजेपी की लोकप्रियता में गिरावट आई है क्योंकि उन्होंने यहां के लोगों की भावनाओं का इस्तेमाल वोट हासिल करने के लिए किया है. अलग राज्य का अपना वादा पूरा नहीं किया है’ वह आगे कहते हैं, उन्होंने लोगों को झूठे सपने दिखाए हैं. गोरखालैंड लोगों की भावनाओं से जुड़ा है. कम से कम ममता बनर्जी ईमानदार तो हैं. उन्होंने गोरखालैंड को ‘नहीं’ कहा है. मैं उनके इस रुख की सराहना करता हूं. भाजपा ने गोरखाओं के साथ विश्वासघात किया है’
चक्रवर्ती ने आश्चर्य जताते हुए सवाल उठाया कि क्या थापा 2021 के आम चुनाव तक लोकप्रियता को बरकरार रख पाएंगे
उन्होंने कहा, ‘बिमल गुरुंग अधिक आक्रामक थे, वह अभी भी लड़ रहे हैं. लेकिन मुझे नहीं पता कि थापा इसे (लोकप्रियता को) बरकरार रख पाएंगे या नहीं.’
उनके मुताबिक, दार्जिलिंग संसदीय क्षेत्र के लिए गोरखालैंड की मांग मुख्य मुद्दा होगी.
उन्होंने कहा, ‘उनकी मांग जायज है क्योंकि उनकी संस्कृति, जातीयता, भाषा और भूगोल पश्चिम बंगाल के बाकी हिस्सों से बहुत अलग हैं’
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