गुरुग्राम: यह कहने से कि वह हरियाणा में गठबंधन में दो लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है, फिर यह घोषणा करने तक कि आम चुनाव नहीं भी लड़ सकती है — भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सहयोगी रही जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) ने दो हफ्ते में बार-बार फैसले बदले हैं.
यह कहने के बाद कि वह लोकसभा चुनावों के लिए उम्मीदवार नहीं उतारने पर विचार कर सकती है और इसके बजाय इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों पर ध्यान केंद्रित करेगी, जेजेपी ने घोषणा की कि पार्टी राज्य की सभी 10 लोकसभा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी.
इस पृष्ठभूमि में पार्टी सुप्रीमो अजय सिंह चौटाला ने बुधवार को संकेत दिया कि जेजेपी भविष्य में भाजपा के साथ गठबंधन को दोबारा शुरू करने के लिए तैयार है.
हालांकि, इस बदलाव ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा रखी है, लेकिन कांग्रेस का मानना है कि जेजेपी और बीजेपी के बीच एक गुप्त समझौता है: जेजेपी कांग्रेस के विपक्षी वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए अलग से चुनाव लड़ेगी.
पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने बुधवार को दिप्रिंट को बताया, “जब से जेजेपी हरियाणा मंत्रिमंडल में शामिल नहीं थी, तब से मैं यह कहता आ रहा हूं कि इस पार्टी का अब भाजपा के साथ एक नया गठबंधन है — वोट कटर गठबंधन. दरअसल, उन्होंने अपना गठबंधन कभी खत्म किया ही नहीं, केवल अपनी भूमिकाएं बदली हैं. भाजपा ने जेजेपी को अपने विरोध में पड़ने वाले वोटों को विभाजित करने का काम सौंपा है.”
कांग्रेस के ऐसे हमलों पर प्रतिक्रिया देते हुए अजय सिंह चौटाला ने बुधवार को टिप्पणी की, “खिसियानी बिल्ली खंबा नोंचे”.
पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के पिता और जेजेपी प्रमुख ने कहा, “हर राजनीतिक दल जीत के लिए चुनाव लड़ता है. आइए एक बार चुनाव मैदान में आते हैं और हम लोगों को बताएंगे कि किसकी किसके साथ गुप्त समझ है.”
भाजपा-जेजेपी गठबंधन के फिर से शुरू होने की संभावना से इनकार किए बिना, अजय सिंह चौटाला ने राव बहादुर सिंह को भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट के लिए पार्टी का उम्मीदवार घोषित किया.
उन्होंने यह भी कहा कि जेजेपी ने साढ़े चार साल तक बीजेपी के साथ गठबंधन के धर्म का पूरी ईमानदारी से पालन किया और दोनों पार्टियों के बीच कोई कड़वाहट नहीं है. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “मैं अभी इस पर टिप्पणी नहीं कर सकता कि हमारी पार्टी भविष्य में भाजपा के साथ गठबंधन करेगी या नहीं, लेकिन मैं कहूंगा कि राजनीति में किसी भी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.”
इससे पहले मंगलवार को जेजेपी ने घोषणा की थी कि उसकी राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) ने हरियाणा की सभी 10 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है.
इसके बाद अजय सिंह चौटाला ने जेजेपी कार्यकर्ताओं से चंडीगढ़ सीट पर भी चुनाव लड़ने के लिए तैयार रहने को कहा, जहां तक हरियाणा की बात है, पार्टी सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि जेजेपी अजय सिंह चौटाला की पत्नी नैना या छोटे बेटे दिग्विजय को हिसार संसदीय क्षेत्र से मैदान में उतार सकती है.
जेजेपी के प्रदेश अध्यक्ष निशान सिंह ने कहा कि पार्टी अगले कुछ दिनों में लोकसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों की सूची जारी करेगी.
यह भी पढ़ें: ‘अबकी बार, 400 पार’ केवल नारा नहीं, मोदी को मिला तीसरा कार्यकाल तो, एजेंडे के लिए होगा महत्वपूर्ण
‘INDIA ब्लॉक की कीमत पर जेजेपी को मिलेंगे वोट’
राजनीतिक विश्लेषक सतीश त्यागी के अनुसार, हरियाणा की सभी 10 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने के जेजेपी के फैसले से जेजेपी के वास्तव में कोई भी सीट जीते बिना गैर-भाजपा दलों की संभावनाओं पर असर पड़ेगा.
उन्होंने कहा, “2019 की तरह, हरियाणा में लोकसभा चुनाव द्विध्रुवीय होने जा रहा है. जेजेपी उम्मीदवारों को जो भी वोट मिलेगा, वो केवल इंडिया (हरियाणा के मामले में कांग्रेस-आप) की कीमत पर होगा.”
2019 का उदाहरण देते हुए जब कांग्रेस जेजेपी के कारण रोहतक सीट हार गई, त्यागी ने कहा, “जेजेपी उम्मीदवार प्रदीप कुमार देसवाल को 21,211 वोट मिले और वह बीजेपी, कांग्रेस और बीएसपी उम्मीदवारों के बाद चौथे स्थान पर रहे. कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्डा को 5,66,342 वोट मिले और वह भाजपा के अरविंद शर्मा (जिन्हें 5,73,845 वोट मिले) से 7,503 वोटों के अंतर से हार गए. यह कहने की ज़रूरत नहीं है कि देसवाल के 21,211 मतदाताओं में से अधिकांश जाट थे जो हुड्डा को वोट दे सकते थे.”
हालांकि, बीजेपी ने इस बात से इनकार किया है कि दोनों के रास्ते अलग होने के बाद पार्टी का जेजेपी के साथ किसी तरह का कोई गुप्त समझौता है.
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव ओपी धनखड़ ने बुधवार को दिप्रिंट को बताया, “लोकतंत्र में प्रत्येक राजनीतिक दल चुनाव लड़ने या न लड़ने का फैसला खुद लेता है. अगर जेजेपी ने हरियाणा में सभी 10 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला लिया है, तो पार्टी को यह फैसला लेने का अधिकार है.”
उन्होंने कहा, “मोदी जी की लोकप्रियता के कारण भाजपा 370 सीटें जीतने जा रही है और पार्टी को किसी के साथ गुप्त समझौते की ज़रूरत नहीं है.”
इस बीच, अजय के भाई अभय सिंह चौटाला के नेतृत्व वाले इंडियन नेशनल लोक दल (INLD) ने कहा कि जेजेपी ने हरियाणा में मतदाताओं के बीच अपना समर्थन खो दिया है और सत्ता विरोधी वोटों को विभाजित करके विपक्ष को केवल मामूली नुकसान पहुंचाएगा.
इनेलो के राज्य कार्यकारी सदस्य जसबीर सिंह जस्सा ने बुधवार को दिप्रिंट को बताया, “अगर जेजेपी का कोई महत्व होता तो बीजेपी उसे गठबंधन सहयोगी के रूप में रखती. आखिरकार जेजेपी सिर्फ एक सीट के साथ गठबंधन में रहने को तैयार थी, लेकिन बीजेपी को पता था कि जेजेपी अपनी झोली में कोई वोट नहीं जोड़ पाएगी. इसलिए, सत्तारूढ़ दल ने जेजेपी को भागीदार के रूप में हटा दिया.”
जस्सा ने कहा कि जेजेपी के खिलाफ उसके मतदाताओं, विशेषकर किसानों के बीच “बेहद नाराज़गी” है, क्योंकि उसने “भाजपा सरकार के किसान विरोधी और खिलाड़ी विरोधी कार्यों” को समर्थन दिया है.
इनेलो नेता ने कहा, “इन चुनावों में जेजेपी को जो भी थोड़ा वोट मिलेगा वो किसानों से मिलेगा और इससे विपक्ष के वोट कटेंगे.”
हालांकि, निशान सिंह ने कहा कि जेजेपी अपनी पूरी ताकत से लोकसभा चुनाव लड़ेगी और नतीजे ही बताएंगे कि पार्टी और उसके नेता दुष्यंत चौटाला मतदाताओं के बीच कितने लोकप्रिय हैं.
उन्होंने कहा, “यह सच है कि हमने गठबंधन खत्म नहीं किया है और बीजेपी ने ऐसा किया है. हम हमेशा से भाजपा के साथ गठबंधन में लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन बीजेपी सभी 10 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती थी. अब, हमने सभी 10 सीटों पर चुनाव लड़ने का भी फैसला किया है.”
सिंह ने कहा कि यह मान लेना गलत है कि जेजेपी के पास केवल इसलिए कोई मुद्दा नहीं है क्योंकि वो साढ़े चार साल तक भाजपा के साथ गठबंधन में थी.
(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: प्रज्ञा ठाकुर, हेगड़े और रमेश बिधूड़ी -हिंदुत्व के फायरब्रांड नेताओं का आखिर क्यों टिकट काट रही बीजेपी