नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में चुनाव हारने के एक महीने के बाद भी, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के भीतर, अंदरूनी कलह और खटपट बरक़रार है, पार्टी पर काडर के सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में ‘घर वापसी’ का ख़तरा मंडरा रहा है.
चुनावी नतीजों की घोषणा के बाद, मंगलवार को हुई बीजेपी की पहली संगठनात्मक बैठक में, बीजेपी सांसद अर्जुन सिंह ने, उम्मीद से कम प्रदर्शन के लिए, प्रदेश नेतृत्व की आलोचना की.
वरिष्ठ पार्टी नेता ने, जो 2019 में टीएमसी छोड़कर बीजेपी में आए थे, आत्ममंथन और हार की समीक्षा की मांग उठाई. ये बैठक चुनाव पश्चात हुई हिंसा को लेकर, जिसमें कई लोगों की जानें गईं थीं, ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ, राज्य व्यापी प्रदर्शन की कार्य योजना तैयार करने लिए बुलाई गई थी.
पार्टी सूत्रों के अनुसार सिंह ने, टीएमसी के विपरीत बीजेपी में, ज़मीनी स्तर पर समर्पित, और आक्रामक कार्यकर्त्ताओं की कमी का हवाला दिया, और कहा कि इसके अलावा, पार्टी को अंदर से तोड़ने की कोशिश, विश्वसनीय चेहरों का अभाव, और संगठनात्मक कमज़ोरियां भी हार के लिए ज़िम्मेदार थीं.
बीजेपी बंगाल प्रमुख दिलीप घोष ने, जिन्होंने बैठक की अध्यक्षता की, कहा कि इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए, पार्टी जल्द ही एक समीक्षा बैठक बुलाएगी.
बीजेपी में अंदरूनी कलह जारी
बंगाल में चुनावी हिंसा का जायज़ा लेने, और एक कार्य योजना तैयार करने के लिए, कोलकाता में बीजेपी कोर कमेटी बैठक में, पार्टी की हार का मुद्दा सामने आया, जब बैरकपुर सांसद ने कहा, कि पहले हार के कारणों की समीक्षा की जानी चाहिए.
उन्होंने कथित रूप से टिप्पणी की, कि पार्टी टीएमसी गुण्डों से आक्रामक रूप से तभी लड़ सकती है, जब उसे पता हो कि उसकी हार क्यों हुई, ‘क्योंकि हमारे पास बीजेपी में ज़मीनी स्तर पर समर्पित, और आक्रामक कार्यकर्त्ता नहीं हैं, और इस संगठनात्मक कमज़ोरी की वजह से, कई ज़िलों में पार्टी की हार हुई’.
दिप्रिंट से बात करते हुए एक पार्टी पदाधिकारी ने, नाम न बताने की शर्त पर कहा: ‘ये मीटिंग टीएमसी की हिंसा के खिलाफ, आंदोलन की कार्य योजना तैयार करने के लिए बुलाई गई थी, जिसमें चुनाव नतीजे घोषित होने के बाद, 40 से अधिक लोगों की जानें गईं थीं. लेकिन जब अर्जुन सिंह ने समीक्षा और ख़ामियां तलाशने का मुद्दा उठाया, तो दूसरों ने भी उनकी मांग का समर्थन किया’.
उन्होंने आगे कहा: ‘हालांकि प्रदेश अध्यक्ष ने हर किसी के विचारों को सुना, लेकिन उन्होंने पार्टी सदस्यों से कहा, कि पार्टी हर ज़िले में व्यापक समीक्षा कर रही है, और सभी ज़िलों से रिपोर्ट्स आ जाने के बाद, एक राज्य-स्तरीय समीक्षा बैठक बुलाई जाएगी’.
बीजेपी आलाकमान के निर्देशों पर, राज्य इकाई हर ज़िले में समीक्षा बैठकें कर रही है. इस बैठकों में प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष की, इस बात को लेकर आलोचना हुई है, कि उन्होंने टिकट वितरण और चुनाव प्रबंधन में, टीएमसी दलबदलुओं को ज़्यादा प्रमुखता दी.
बैठक में शिरकत करने वाले एक वरिष्ठ बीजेपी नेता ने कहा, ‘बहुत सी ज़िला समीक्षा बैठकों में, ये सामने आया है कि दलबदलुओं को हराने के लिए, राजनीतिक भितरघात हुआ था. ज़िला अध्यक्षों तथा अन्य पदाधिकारियों ने पहले ही तय कर लिया था, कि कुछ ख़ास उम्मीदवारों को सबक़ सिखाने के लिए, वो उनके लिए काम नहीं करेंगे’.
उन्होंने कहा, ‘एक बार सभी ज़िलों में ये प्रक्रिया पूरी हो जाए, तब पूरी तस्वीर सामने आएगी’.
सूत्रों ने बताया कि कई पार्टी सदस्यों ने, चुनाव प्रचार में बद-इंतज़ामी के बारे में शिकायत की है. चुनाव बाद की हिंसा और हार के बाद, बीजेपी एकजुटता दिखाने की कोशिश कर रही है, ताकि ममता बनर्जी की बेचैनी बरक़रार रखी जा सके, क्योंकि नगर पालिका चुनाव आ रहे हैं, और 2024 लोकसभा चुनावों के मद्देनज़र, पार्टी संगठन को सक्रिय रखने की भी ज़रूरत है.
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राजीव बनर्जी और मुकुल रॉय पर असमंजस बरक़रार
मंगलवार को हुई बैठक में, चुनावों से पहले बीजेपी में शामिल हुए दो दलबदलू, मुकुल रॉय और राजीव बनर्जी ने शिरकत नहीं की.
जहां रॉय अस्पताल में भर्ती अपनी बीमार पत्नी की देखभाल कर रहे हैं, वहीं बनर्जी लगातार संकेत दे रहे हैं, कि वो किसी भी पल पार्टी छोड़ सकते हैं.
मंगलवार को, बीजेपी के इस क़ीमती शिकार ने, बंगाल में धारा 356 (राष्ट्रपति शासन) लगाने की निरंतर धमकी को लेकर, अपनी ही पार्टी की आलोचना की. उन्होंने कहा कि अगर ‘हर स्टेज पर पार्टी दिल्ली की ओर इशारा करके, धारा 356 के भूत से लोगों को डराती रहेगी, तो बंगाल के लोग उसे पसंद नहीं करेंगे’.
सूत्रों के अनुसार, बनर्जी टीएमसी में लौटने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन पार्टी इस कोशिश में है कि रॉय उसे छोड़कर न जाएं. एक सूत्र ने कहा, ‘वो एक क़ीमती संपत्ति हैं. यही वजह थी कि प्रधानमंत्री ने, उनकी पत्नी का हाल पूछने के लिए उन्हें फोन किया’.
लेकिन, सूत्र ने आगे कहा, कि रॉय के बेटे शुभ्रांशु, जो इस बार चुनाव हार गए, संकेत दे रहे हैं कि वो टीएमसी के संपर्क में हैं, चूंकि उन्हें लगता है कि बीजेपी काडर ने, उनकी जीत के लिए काम नहीं किया.
बीजेपी के एक दूसरे नेता ने कहा, कि पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती, अपने काडर के उत्साह को बनाए रखते हुए, उन्हें टीएमसी में लौटने से रोकना है. उन्होंने आगे कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी ने, अपने लोगों की ‘घर वापसी’ के प्रयास बढ़ा दिए हैं, जो चुनावों से पहले दल बदल कर बीजेपी में चले गए थे.
नेता ने कहा, ‘टीएमसी हर ज़िले में घर वापसी कार्यक्रम आयोजित कर रही है. कल, बर्धमान ज़िले में 150 बीजेपी कार्यकर्त्ता टीएमसी में शामिल हुए, और उन्होंने माफी मांगी कि वो जल्दबाज़ी में, ममता को छोड़कर चले गए थे. इस तरह का ख़तरा हर ज़िले में मंडरा रहा है. यही कारण है कि बीजेपी आलाकमान के लिए, बंगाल सबसे बड़ी प्राथमिकता है’.
उन्होंने आगे कहा, ‘2019 में बंगाल ने लोकसभा में 18 बीजेपी सांसद भेजे थे. 2024 में पार्टी इस संख्या से नीचे आना, सहन नहीं कर सकती’.
सूत्रों ने कहा कि पार्टी ने, नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी को बुलाया था, जिन्होंने पिछले दो दिन, गृहमंत्री अमित शाह, और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ, इन नई परिस्थितियों में संगठन के लिए, आगे के रोडमैप पर मंत्रणा की.
आलाकमान ने सांसदों अर्जुन सिंह, और सौमित्र खान को भी दिल्ली बुलाया, जो 2019 आम चुनावों से पहले, टीएमसी से बीजेपी में आए थे, ताकि भविष्य में टीएमसी के खिलाफ, संगठनात्मक आंदोलन के बारे में, उनका फीडबैक लिया जा सके.
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प्रदेश व्यापी प्रदर्शन और राष्ट्रपति को शिकायत
चुनाव बाद की हिंसा के मामले में, बीजेपी ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का दरवाज़ा खटखटाने का फैसला किया है. पार्टी ने ऐलान किया है, कि अगले कुछ दिनों में पार्टी सांसद, राष्ट्रपति से मिलने जाएंगे, चूंकि टीएमसी सरकार बीजेपी की शिकायतों पर, बिल्कुल कान नहीं धर रही है.
बैठक के दौरान, ये भी निर्णय लिया गया, कि एक बार ममता बनर्जी सरकार लॉकडाउन उठा लेती है, तो पार्टी हर पुलिस स्टेशन के सामने प्रदर्शन आयोजित करेगी, हालांकि कुछ सदस्य तुरंत कार्रवाई चाहते थे.
दिलीप घोष ने कथित रूप से कहा, कि ‘लोगों को इस आराजकता से अवगत कराने के लिए, बूथ स्तर से राष्ट्रीय स्तर तक आंदोलन चलाया जाएगा’. एक सूत्र ने उनका ये कहते हुए हवाला दिया, ‘इस कठिन परिस्थिति में हमें अपना कार्यकर्त्ता के साथ खड़े होना है’.
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