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Thursday, 25 April, 2024
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बंगाल के गांव में BJP वर्कर्स के खिलाफ बंटे पर्चे, TMC ने बताया ममता के खिलाफ ‘साजिश’

भाजपा ने दावा किया है कि ताजा घटना तो 'किसी बड़े घटना की झलक' मात्र है क्योंकि टीएमसी राज्य भर में बीजेपी कार्यकर्ताओं पर अत्याचार कर रही है. टीएमसी ने कहा कि वह ऐसा नहीं की स्थिति में नहीं क्योंकि यह गांव बीजेपी का गढ़ है.

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कोलकाता: पश्चिम मेदिनीपुर जिले के केशपुर में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का 18 स्थानीय भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कार्यकर्ताओं के सामाजिक बहिष्कार का आह्वान करते हुए एक पोस्टर सामने आया है, जिससे राजनीतिक हल्कों में सोशल मीडिया पर उथल-पुथल मच गई है.

पोस्टर में स्थानीय दुकानदारों को भाजपा कार्यकर्ताओं को चाय नहीं पिलाने का निर्देश देने की मांग की गई है, इसमें कहा गया है कि गाइडलाइन का पालन नहीं करने वाले ग्रॉसर्स के खिलाफ ‘सख्त कार्रवाई’ की जाएगी.

स्थानीय लोगों के अनुसार, केशपुर के महिस्दा गांव में दुकान मालिकों के बीच पर्चे के रूप में पोस्टर की प्रतियां बांटी गईं. ऐसा दावा किया जा रहा है कि यह टीएमसी की 176 और 179 बूथ कमेटियों द्वारा ‘महिस्दा सर्बभारतीय तृणमूल कांग्रेस’ के अन्तर्गत जारी किया गया है. लेकिन, इसमें किसी कोई तारीख, किसी का हस्ताक्षर या कोई ऑफिस का नंबर नहीं है.

भाजपा ने दावा किया है कि ताजा घटना तो ‘किसी बड़े घटना की झलक’ मात्र है क्योंकि टीएमसी राज्य भर में बीजेपी कार्यकर्ताओं पर अत्याचार कर रही है.

शनिवार को केंद्र सरकार की शीर्ष नेता वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ममता बनर्जी सरकार से पश्चिम बंगाल के ‘सभी नागरिकों’ की रक्षा करने की अपील की.

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हालांकि, टीएमसी नेताओं ने पोस्टर को पब्लिश किए जाने में पार्टी की किसी भी संलिप्तता से इनकार करते हुए आरोप लगाया कि इसे या तो भाजपा या भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने पार्टी को बदनाम करने और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की छवि को खराब करने के लिए किया है.

पार्टी ने कहा कि सीएम की छवि खराब करने के षडयंत्र के लिए एफआईआर दर्ज किया जाएगा.

‘और किस सबूत किसी की जरूरत है’

भाजपा के मुख्य प्रवक्ता शमीक भट्टाचार्य ने ताजा घटना को ‘टिप ऑफ आइसबर्ग’ कहा.

दिप्रिंट से उन्होंने कहा, ‘तृणमूल कांग्रेस ने हमारे कार्यकर्ताओं को डराने और धमकाने के लिए विभिन्न तरीके अपनाए हैं. यह कई घटनाओं में से सिर्फ एक घटना है. चुनाव परिणाम आने के बाद से प्रदेश में करीब दो दर्जन से अधिक भाजपा कार्यकर्ताओं की मौत हो चुकी है. राज्य में हिंसा के माहौल को देखने के लिए किसी को और किस सबूत की जरूरत है.

पश्चिम बंगाल में 2 मई को विधानसभा चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद से हिंसा और राजनीतिक हत्याओं की कई घटनाएं देखी गई हैं.

भाजपा नेताओं का दावा है कि उनके हजारों कार्यकर्ता विस्थापित हुए. पार्टी ने उन्हें शेल्टर हाउस में रखा है.


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‘ऐसा करने की स्थिति में नहीं’

हालांकि, स्थानीय टीएमसी नेता ने दावा किया कि पार्टी को एक विधानसभा सीट पर ’18 सदस्यों का बहिष्कार’ करने की जरूरत नहीं है, जिसे उसने 20,000 से अधिक वोटों से जीता है, भले ही महिस्दा गांव अब भाजपा का गढ़ हो.

केशपुर विधायक सेउली साहा ने निशाना बनाते हुए कहा कि पोस्टर पर दिए गए ब्योरे से साफ है कि यह टीएमसी को बदनाम करने के लिए बनाया गया था.

उन्होंने कहा, ‘हमारी पार्टी में बूथ कमेटियां फैसले नहीं लेतीं. पर्चे पर हेडर भी गलत है. हम पार्टी का नाम इस तरह नहीं लिखते हैं. इसी से सच्चाई का पता लग जाता है. उन्होंने कहा, कुछ नासमझ लोगों ने तृणमूल कांग्रेस को बदनाम करने के लिए ऐसा किया है.

उन्होंने कहा, ‘(महिस्दा) क्षेत्र कभी सीपीएम का गढ़ हुआ करता था और अब यह बीजेपी का गढ़ बन गया है. तृणमूल कांग्रेस उस क्षेत्र में इस तरह के पोस्टर पब्लिश करने और प्रसारित करने की स्थिति में नहीं है. इसके अलावा केशपुर विधानसभा क्षेत्र में भी हमने जीत हासिल की है. तो हमें 18 परिवारों के खिलाफ इस तरह के पोस्टर जारी करने की जरूरत क्यों है?’

इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.


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