मुंबई: वेदांता-फॉक्सकॉन के संयुक्त उद्यम ने मंगलवार को गुजरात के साथ 1.5 लाख करोड़ रुपये के सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग प्लांट स्थापित करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए है. यह डील महाराष्ट्र के लिए एक झटका है, क्योंकि राज्य में निवेश के लिए कंपनी के साथ बातचीत निर्णायक चरण में थी.
निवेश के गुजरात चले जाने की वजह से महाराष्ट्र की पिछली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार के नेताओं और मौजूदा शिवसेना-भारतीय जनता पार्टी के बीच एक-दूसरे पर आरोप मढ़ने का खेल शुरू हो गया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को ट्वीट किया कि समझौता ज्ञापन (एमओयू) ‘भारत की सेमीकंडक्टर निर्माण महत्वाकांक्षाओं को तेज करने में एक महत्वपूर्ण कदम है.’
This MoU is an important step accelerating India’s semi-conductor manufacturing ambitions. The investment of Rs 1.54 lakh crore will create a significant impact to boost economy and jobs. This will also create a huge ecosystem for ancillary industries and help our MSMEs. https://t.co/nrRbfKoetd
— Narendra Modi (@narendramodi) September 13, 2022
फॉक्सकॉन ताइवान स्थित होन हाई प्रिसिजन इंडस्ट्री कंपनी लिमिटेड का ट्रेड नाम है, जो एक कॉन्ट्रेक्ट इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरर है.
हांलाकि अभी बमुश्किल दो महीने पहले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके डिप्टी देवेंद्र फडणवीस की अनिल अग्रवाल के नेतृत्व वाले वेदांता समूह के अधिकारियों से मुलाकात हुई थी और पुणे के पास तालेगांव में संयुक्त उद्यम निवेश के बारे में उन्होंने उम्मीद जताई थी. लेकिन उसके बाद गुजरात के साथ मैन्युफैक्चरिंग प्लांट स्थापित करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर कर लिए गए. यह ऐसे समय में हुआ है जब गुजरात विधानसभा चुनाव करीब है. इस साल के अंत में राज्य में चुनाव होने वाले हैं.
महाराष्ट्र 2015 से निवेश को राज्य में लाने का प्रयास कर रहा था.
मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने कहा कि यह राज्य के लिए एक ‘बड़ा नुकसान’ है क्योंकि पिछली एमवीए सरकार ‘महाराष्ट्र में निवेश को 95 प्रतिशत तक यानी अंतिम रूप दे चुकी थी’.
उन्होंने कहा, ‘95 फीसदी तय हो चुका था कि यह कंपनी महाराष्ट्र आएगी. जब सब कुछ तय हो चुका था तो यह कारोबार दूसरे राज्य में क्यों चला गया? प्रतिष्ठान को जवाब देना चाहिए कि वह गुजरात क्यों गया.’
दिप्रिंट से बात करते हुए फडणवीस ने कहा कि शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार के सत्ता में आने से पहले ही कंपनियों ने गुजरात में निवेश करने का फैसला कर लिया था और इसके लिए पिछली सरकार जिम्मेदार है.
उन्होंने आगे कहा, ‘हालांकि मैं थोड़ा निराश हूं लेकिन हताश नहीं हूं.’ उन्होंने आगे कहा, ‘हम अगले दो सालों में महाराष्ट्र को अन्य राज्यों से बहुत आगे ले जाएंगे.’
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परियोजना में महाराष्ट्र की दिलचस्पी
2015 की शुरुआत में कंपनियों के एक संयुक्त उद्यम पर हस्ताक्षर करने से पहले महाराष्ट्र सरकार व्यक्तिगत रूप से वेदांता और फॉक्सकॉन के साथ बातचीत कर रही थी. उस समय फडणवीस राज्य के मुख्यमंत्री थे.
फडणवीस ने मई 2015 में अपनी चीन यात्रा के दौरान फॉक्सकॉन के अधिकारियों से मुलाकात की और बाद में महाराष्ट्र में उनकी मेजबानी भी की. उसी साल फॉक्सकॉन ने राज्य सरकार के साथ एक नई इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण प्लांट स्थापित करने के लिए पांच वर्षों में 5 बिलियन डॉलर का निवेश करने का वादा किया था.
राज्य सरकार के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि कंपनी ने तालेगांव में एक बड़े संयंत्र से पहले नवी मुंबई में एक छोटी मोबाइल प्रोडक्शन प्लांट शुरू करने की योजना बनाई और यहां तक कि मुंबई के कफ परेड में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में कार्यालय की जगह भी ले ली थी.
2016 में महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम (एमआईडीसी) ने ट्विनस्टार डिस्प्ले टेक्नोलॉजीज– वेदांता ग्रुप की एक कंपनी के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए. और सेमीकंडक्टर और सेमीकंडक्टर उपकरण फर्मों द्वारा निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए फैब्रिकेशन कंपनियों के लिए एक ‘फैब नीति‘ का अनावरण किया, जो इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए जरूरी चिप का निर्माण करती है.
इस साल फरवरी में वेदांता ग्रुप और फॉक्सकॉन ने भारत में सेमीकंडक्टर्स के निर्माण के लिए एक संयुक्त उद्यम में प्रवेश किया.
आदित्य ठाकरे ने कहा कि इस साल मार्च-अप्रैल तक महाराष्ट्र वेदांता-फॉक्सकॉन संयुक्त उद्यम में निवेश करने के लिए सबसे आगे बना हुआ था. फडणवीस ने दिप्रिंट को बताया कि गुजरात सरकार के साथ सौदा दो साल के लिए किया जा रहा है.
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एक-दूसरे पर आरोप लगाने का खेल
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के एक वरिष्ठ नेता सुभाष देसाई ने संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने कंपनी के अधिकारियों के साथ महाराष्ट्र सरकार से उनकी अपेक्षाओं को लेकर कई बैठकें कीं थीं. देसाई एमवीए सरकार में उद्योग मंत्री थे.
उन्होंने कहा, ‘इस सब के बाद उन्होंने तालेगांव में एक साइट का चयन किया. बातचीत काफी सकारात्मक थीं. वास्तव में सिर्फ कागजी कार्रवाई ही रह गई थी. लेकिन तब हमारी सरकार गिर गई और हम निवेश को साकार करने के लिए और प्रयास नहीं कर सके.’ वह आदित्य ठाकरे के साथ संयुक्त रूप से प्रेस कॉन्फ्रेंस में संवाददाताओं को संबोधित कर रहे थे.
देसाई ने कहा कि जुलाई में शिंदे और फडणवीस की वेदांता के अधिकारियों से मुलाकात की तस्वीरें देखने के बाद गुजरात सरकार के साथ वेदांत-फॉक्सकॉन का समझौता विशेष रूप से ‘अप्रत्याशित’ था.
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‘पिछली सरकार जिम्मेदार’
दिप्रिंट से बात करते हुए फडणवीस ने आदित्य के दावों का खंडन करते हुए कहा कि पूर्व सरकार ने वेदांता-फॉक्सकॉन के अधिकारियों को एक बार भी बातचीत के लिए आमंत्रित नहीं किया, जबकि कंपनी दो साल से गुजरात के साथ बातचीत कर रही थी.
फडणवीस ने कहा, ‘हमारी सरकार कुछ दिन पहले ही (सत्ता में वापस) आई थी. हमें बताया गया कि गुजरात ने फॉक्सकॉन वेदांता को अच्छी डील दी है और उन्होंने वहां निवेश करने का फैसला किया है. हमने तुरंत उनसे संपर्क किया और एक बेहतर पैकेज की पेशकश की’. फडणवीस ने 30 जून को उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी.
भाजपा नेता ने आगे कहा कि उनकी सरकार ने वेदांता-फॉक्सकॉन के साथ बातचीत की थी, लेकिन ‘आखिर में उन्होंने गुजरात जाने के अपने मूल निर्णय पर टिके रहने का फैसला किया’.
उन्होंने बताया ‘अगर बात आरोप-प्रत्यारोप का खेल शुरू करने की है, तो इसके लिए पिछली सरकार जिम्मेदार है…हमारी पूर्ववर्ती सरकार ने एक बार भी उन्हें आमंत्रित नहीं किया. हमने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी.’
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