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Friday, 29 March, 2024
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उर्मिला मातोंडकर ने कहा- हर पार्टी का एक अतीत है, महत्वपूर्ण यह है कि शिवसेना अब कैसे काम कर रही

राजनेता बनीं पूर्व अभिनेत्री का कहना है कि वह शिवसेना में इसलिए शामिल हुईं क्योंकि एमवीए सरकार के कामकाज से प्रभावित थीं. वह यह भी कहती हैं कि कंगना रनौतको अधिक जिम्मेदारी से व्यवहार करना चाहिए.

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मुंबई: अभिनेत्री से राजनेता बनी उर्मिला मातोंडकर का मानना है कि शिवसेना को ऐतिहासिक तौर पर प्रवासी-विरोधी, मुस्लिम-विरोधी एजेंडा रखने वाला ही एक संगठन कहा जाना पार्टी को एक ‘सीमित दायरे’ में देखने का तरीका है, और सबसे जरूरी है यह देखना कि आज महाराष्ट्र में वह सरकार को किस तरह चला रही है.

2019 में कुछ समय के लिए कांग्रेस में शामिल होने के बाद पिछले साल दिसंबर में शिवसेना में शामिल हुईं मातोंडकर ने कहा कि उन्होंने इस पार्टी में शामिल होने का फैसला इसलिए किया क्योंकि वह राज्य में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार के प्रदर्शन से प्रभावित थीं, खासकर पिछले एक साल में कोविड-19 जैसी चुनौतियों के बावजूद.

उन्होंने दिप्रिंट को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि मुख्यमंत्री ठाकरे ने व्यक्तिगत रूप से उन्हें बुलाया और उन्हें राज्य विधान परिषद में मनोनीत करने की पेशकश की. मातोंडकर ने कांग्रेस छोड़ने, शिवसेना में शामिल होने के कारणों के बारे में बात करने के साथ अभिनेत्री कंगना रनौत के साथ पार्टी की तकरार पर भी चर्चा की.

उन्होंने कहा कि शिवसेना प्रवासी-विरोधी, मुस्लिम-विरोधी होने का बोझ ढोती रहती है और क्षेत्रवादी पार्टी होने की ‘राय बनाना किसी भी पार्टी को देखने का एक बहुत ही संकुचित तरीका है.’

उन्होंने कहा, ‘हर किसी पार्टी को उसके विकास क्रम के इतिहास में न तो सब अच्छा करने के लिए ईनाम दिया जा सकता है और न ही ये कहा जा सकता है कि उन्होंने जो कुछ भी किया हो वो सब गलत या पूरी तरह सही ही था. मेरे लिए महत्वपूर्ण क्या है, या आज उस पार्टी के लिए सबसे ज्यादा क्या मायने रखता है, वो यह है कि वह देश या राज्य के लोगों के साथ किस तरह का व्यवहार कर रही है….’

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2019 लोकसभा में कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर चुनावी हार का सामना करने वाली उर्मिला मातोंडकर ने कहा, ‘यदि इस मायने में आप शिवसेना का प्रदर्शन देखें तो मैं यह मानती हूं और लगता है कि बाकी सब लोग भी अपनी राजनीतिक प्रतिबद्धताओं से ऊपर उठकर उसे बहुत अच्छे अंक देंगे.

एक मुस्लिम से शादी करने वाली अभिनेत्री ने कहा, ‘इस महामारी से निपटने के दौरान कोई इनसाइडर या आउटसाइडर व्यक्ति नहीं था. कुछ भी यह समुदाय बनाम वह समुदाय नहीं रहा. दरअसल, दिल्ली में तब्लीगी जमात को लेकर उजागर हुई स्थिति को देखते हुए हमारे मुख्यमंत्री ने मुसलमानों के पक्ष में काफी सख्त रवैया अपनाया था. उन्होंने विशेष रूप से और स्पष्ट तौर पर कह दिया था कि किसी भी तरह के विभाजन को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा…किसी ऐसे शब्द का इस्तेमाल नहीं होगा जो किसी भी तरह के सांप्रदायिक मुस्लिम विरोधी एजेंडे को बढ़ाता हो. ’उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि लोग चुनाव लड़ते समय तो बहुत बातें करते हैं लेकिन सत्ता में आने के बाद वे कैसे व्यवहार कर रहे हैं, इसके आधार पर ही उनका आकलन किया जाना चाहिए ….’साथ ही जोड़ा कि अभी शिवसेना में शामिल हुए उन्हें ज्यादा दिन नहीं हुए हैं, इसलिए पार्टी की पूरी विचारधारा पर उनका कोई टिप्पणी करना उचित नहीं होगा.


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‘कंगना रनौत को खुद से और जिम्मेदार व्यवहार करना चाहिए’

अक्सर ट्विटर पर कंगना रनौत के साथ भिड़ जाने वाली, खासकर शिवसेना के साथ टकराव के दौरान मुंबई को ‘पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर’ की संज्ञा दिए जाने के दौरान, उर्मिला मातोंडकर का कहना है कि कंगना को खुद को ज्यादा जिम्मेदार बनाने की जरूरत है.

उर्मिला ने कहा, ‘उन्हें (रनौत को) उसी सरकार ने पद्मश्री दिया है, जिसके समर्थन में वह पूरी तरह खड़ी हैं. लेकिन इसके साथ ही यह जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है कि आप किस तरह बात करते हैं, अपना आचरण कैसा रखते हैं और अपने छोटे-मोटे एजेंडे के लिए किसी भी मुख्यमंत्री के बारे में नहीं बोलते हैं.’

मासूम, रंगीला, सत्या और भूत जैसी फिल्मों में काम कर चुकी मातोंडकर ने कहा कि कंगना रनौत ने खुले तौर पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए काम करने की बात को स्वीकारा है. उर्मिला ने कहा, ‘उन्होंने खुद मेरे एक ट्वीट का जवाब देते हुए दावा किया है कि भाजपा को खुश करने के चक्कर में मैंने अपने आप पर केस लगवा लिए हैं. जब कोई व्यक्ति इस तरह से बोलता है तो क्या आप उसका और क्या कोई और मतलब निकाल सकते हैं?’

उन्होंने कहा, ‘मैं केवल यही कहना चाहूंगी कि जब आपके पास राजनीतिक एजेंडा है तो यह दिखाने की कोशिश न करें कि आप सामाजिक भलाई के लिए कुछ कर रहे हैं.’

रनौत के साथ शिवसेना का विवाद उनके इस दावे के बाद शुरू हुआ था कि उन्हें ‘फिल्म माफिया से ज्यादा मुंबई पुलिस से डर लगता है’, जिसके बाद पार्टी ने कहा कि अगर ऐसी बात है तो फिर उन्हें महाराष्ट्र की राजधानी में नहीं रहना चाहिए. इसके बाद रनौत ने मुंबई की तुलना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के साथ कर दी जिस पर शिवसेना की ओर से खासी तीखी प्रतिक्रिया जताई गई. इसके बाद ही शिवसेना के नियंत्रण वाले मुंबई नागरिक निकाय की तरफ से बांद्रा में कंगना रनौत के ऑफिस वाले बंगले में कथित अवैध निर्माण को ढहाने का नोटिस जारी कर दिया गया था और 24 घंटे के भीतर कार्रवाई भी हो गई.

मातोंडकर ने कहा कि यद्यपि रनौत को पहले भी कई नोटिस दिए जा चुके थे, ‘लेकिन इस पूरे मामले में जिस एक बात से मैं पूरी तरह सहमत नहीं थी, वह यह कि उन्हें (रनौत को) संभवत: वहां मौजूद होना चाहिए था.’

‘मुख्यमंत्री ने खुद बुलाया’ शिवसेना की तरफ से मातोंडकर को राज्य विधान परिषद के लिए मनोनीत किया जा चुका है. एमवीए सरकार ने पिछले साल नवंबर में 11 अन्य लोगों के साथ उनके नाम की सिफारिश राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के पास भेजी थी. यद्यपि सरकार ने कोश्यारी से 15 दिनों में इसके अनुमोदन का अनुरोध किया था, लेकिन राज्यपाल की ओर से जवाब दिया जाना अभी बाकी है.

मातोंडकर ने दिप्रिंट को बताया कि मुख्यमंत्री ठाकरे ने व्यक्तिगत रूप से उन्हें बुलाया और उन्हें एमएलसी के लिए मनोनीत करने की पेशकश करते हुए कहा कि ‘महाराष्ट्र की सांस्कृतिक और सामाजिक पृष्ठभूमि बेहद मजबूत है, लेकिन दुर्भाग्य से यह विधान परिषद में प्रतिबिंबित नहीं होती है.’

अभिनेत्री ने बताया कि कांग्रेस की तरफ से भी उन्हें एमएलसी मनोनीत करने की पेशकश की गई थी, लेकिन उन्होंने इसे नहीं स्वीकारा क्योंकि पार्टी छोड़ने के बाद यह अच्छा नहीं लगता. छह महीने बाद ही कांग्रेस छोड़ने के कारणों के बारे में बताते हुए मातोंडकर ने कहा, ‘मुझे लगता है कि जिस तरह से उस समय चीजें चल रही थीं, जिन्हें लेकर मैं चिंतित थी, वे मेरी सोच-समझ के मुताबिक नहीं थीं, जिस तरह से मैं काम करना चाहती थी या जीवन में आगे बढ़ना और प्रगति करना चाहती थी.

ऐसे में मुझे लगा कि उसे छोड़ देना ही ठीक है.’ अभिनेत्री ने लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल होकर मुंबई उत्तर सीट से चुनाव लड़ा था और सितंबर में ‘आंतरिक राजनीति’ का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया था.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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