नई दिल्ली: संसद के मानसून सत्र के दौरान हंगामा और अमर्यादित व्यवहार करने का विपक्ष पर आरोप लगाते हुए गुरुवार को केंद्रीय मंत्रियों ने कहा कि संसद में नियम तोड़ने व इस तरह का बर्ताव करने वाले विपक्षी सांसदों के खिलाफ ऐसी सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए कि कोई भी ऐसा करने का साहस नहीं करे.
केंद्रीय मंत्रियों ने विपक्षी नेताओं पर मर्शलों के साथ धक्का- मुक्की करने का आरोप लगाया. विपक्ष पर संसद न चलने का आरोप लगाते हुए प्रेस कांफ्रेंस के दौरान केंद्रीय मंत्री बार बार पानी पीते नजर आए.
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि विपक्ष का ‘मेरे तरीके से नहीं तो किसी भी तरीके से नहीं’ का रवैया बहुत निंदनीय है और देश भी ऐसे रुख की निंदा करता है.
राज्य सभा के नेता गोयल ने कहा कि केंद्रीय मंत्रियों ने राज्यसभा के सभापति एवं उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू से मुलाकात की. उनमें संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी, राज्यसभा के नेता पीयूष गोयल और उप नेता मुख्तार अब्बास नकवी भी शामिल थे.
‘विपक्ष को फिर सिखाएगी जनता सबक’
उन्होंने कहा कि विपक्षी सांसदों के अमर्यादित आचरण एवं मर्शलों के साथ धक्का-मुक्की करने को लेकर उनके (विपक्षी दलों के सांसदों के) खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.
राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल ने यह भी कहा कि विपक्ष को जनता ने बार-बार सबक सिखाया है, एक बार फिर जनता उन्हें सबक सिखाएगी। ये डर रहे हैं जिस प्रकार से इन्होंने स्टाफ पर हमला किया, उस कार्रवाई से डरकर ये हमें धमकी देने की कोशिश कर रहे हैं.
प्रेस कांफ्रेंस के दौरान केंद्रीय मंत्री बार बार पानी पीते नजर आए.
गोयल ने आगे कहा, ‘इस सत्र में हमने लगातार बहुत की दुखद और शर्मनाक घटनाएं देखीं. पूरे विपक्ष की मंशा शुरू से सदन की गरिमा गिराने और सत्र को नहीं चलने देने की रही. ओबीसी संविधान संशोधन विधेयक में भी शायद एक राजनीतिक मजबूरी में उन्होंने सदन को चलने दिया.’
विपक्ष देश से माफी मांगे
वहीं, सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि राज्यसभा में महासचिव की मेज नाचने और विरोध करने के लिए नहीं है. उन्होंने कहा कि मानसून सत्र के दौरान संसद में जो हुआ, उसके लिए विपक्ष को देश से माफी मांगनी चाहिए.
ठाकुर ने कहा कि मानसून सत्र में विपक्ष का एकमात्र एजेंडा सड़क से लेकर संसद तक अराजकता पैदा करना था.
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, ‘कांग्रेस की महिला सांसदों ने सदन में महिला सुरक्षा अधिकारियों को गले से पकड़ने का काम किया. भारत का लोकतंत्र दुनिया में सबसे बड़ा लोकतंत्र है लेकिन उसे शर्मसार करने का काम कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और AAP पार्टी ने किया है.’
संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने संवाददाताओं से कहा, ‘हम मांग करते हैं कि राज्यसभा के सभापति को नियम तोड़ने वाले विपक्षी सांसदों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए.’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने संसद को नहीं चलने देने का पहले ही फैसला कर लिया था.
जोशी ने आगे कहा, कांग्रेस और उसकी मित्र पार्टियों ने पहले से ये तय कर लिया था कि हम इस बार संसद नहीं चलने देंगे। उन्होंने मंत्रियों का परिचय नहीं होने दिया, उन्होंने महत्वपूर्ण बिलों पर भी चर्चा नहीं होने दी.’
जोशी ने कहा, ‘संसद में नियम तोड़ने एवं अमर्यादित व्यवहार करने वाले विपक्षी सांसदों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई की जानी चाहिए कि कोई ऐसा करने का साहस नहीं करे.’
‘साढ़े सात साल भी वो(विपक्ष) जनादेश स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। खासकर कांग्रेस को ऐसा लगता है कि ये हमारी सीट थी और इसे मोदी जी ने आकर छीन लिया। उनकी इसी मानसिकता की वजह से ऐसी चीजें हो रही हैं.’
जोशी ने कहा, ‘प्रधानमंत्री ने खुद कहा है कि अच्छे माहौल में चर्चा होनी चाहिए. क्या राहुल गांधी को पता है चर्चा किसे कहते हैं? हमने विपक्ष से कहा है कि अगर वे चर्चा करने के लिए तैयार है तो हम सदन को सोमवार और मंगलवार तक चलाने के लिए तैयार है.’
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‘जासूसी बंद करो’, ‘काले कानून वापस लो’
इस मुद्दे को लेकर विपक्षी दलों ने गुरुवार को विरोध प्रदर्शन किया. विपक्ष ने सरकार पर सदन में मार्शल का इस्तेमाल करने एवं धक्का-मुक्की करने का आरोप लगाया.
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के संसद भवन स्थित कक्ष में बैठक करने के बाद विपक्षी नेताओं ने संसद भवन से विजय चौक तक पैदल मार्च किया. इस दौरान कई नेताओं ने बैनर और तख्तियां ले रखी थीं. बैनर पर ‘हम किसान विरोधी काले कानूनों को रद्द करने की मांग करते हैं’ लिखा हुआ था.
विपक्षी नेताओं ने ‘जासूसी बंद करो’, ‘काले कानून वापस लो’ और ‘लोकतंत्र की हत्या बंद करो’ के नारे भी लगाए.
विपक्षी नेताओं की बैठक में खड़गे, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी, पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश एवं आनंद शर्मा, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार, समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव, द्रमुक के टी आर बालू, राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा और अन्य विपक्षी दलों के नेता शामिल हुए.
राहुल गांधी और कई अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने राज्यसभा में कुछ महिला सांसदों के साथ कथित धक्का-मुक्की की घटना को ‘लोकतंत्र की हत्या’ करार दिया.
सरकार ने संसदीय लोकतंत्र के सम्मान को कम किया : विपक्ष
वहीं पलटवार करते हुए विपक्ष के 11 मुख्य राजनीतिक दलों ने सरकार पर संसद में चर्चा कराने की मांग नहीं मानने का आरोप लगाया और दावा किया कि राज्यसभा में कुछ महिला सदस्यों समेत कई सांसदों से धक्कामुक्की ऐसे लोगों ने की, जो संसद की सुरक्षा का हिस्सा नहीं थे.
विपक्षी दलों के नेताओं ने एक संयुक्त बयान में सरकार के ‘अधिनायकवादी रुख’ और ‘अलोकतांत्रिक कदमों’ की निंदा की और कहा कि राज्यसभा जो कुछ हुआ वह हैरान करने वाला तथा सदन की गरिमा और सदस्यों का अपमान है.
उन्होंने सरकार पर चर्चा कराने की मांग नहीं मानने का आरोप लगाया और कहा कि वह पेगासस मामले पर चर्चा करने से भाग रही है.
संयुक्त बयान पर राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष मल्लिाकर्जुन खड़गे, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार, द्रमुक के टीआर बालू समेत 11 दलों के नेताओं के हस्ताक्षर हैं.
उन्होंने कहा, ‘राज्यसभा में बुधवार को जो हुआ वह हैरान करने वाला, अप्रत्याशित, दुखद और सदन की गरिमा और सदस्यों का अपमान था…इस सरकार ने संसदीय लोकतंत्र के सम्मान को कम किया है.’
विपक्षी नेताओं ने यह दावा किया कुछ महिला सांसदों समेत सदन के कई सदस्यों के साथ ऐसे बाहरी लोगों ने धक्कामुक्की की, जो संसद की सुरक्षा का हिस्सा नहीं है.
इससे पहले, विपक्षी नेताओं की खड़गे के संसद भवन स्थित कक्ष में बैठक हुई, जिसमें कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी, पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश एवं आनंद शर्मा, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार, समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव, द्रमुक के टी आर बालू, राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा और कई अन्य विपक्षी दलों के नेता शामिल हुए.
तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के नेता बैठक में शामिल नहीं हुए.
भाषा के इनपुट्स के साथ
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