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Thursday, 19 December, 2024
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‘Cash For Query’ मामले में TMC सांसद महुआ मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता रद्द, बोलीं- कोई सबूत नहीं मिले

एक घंटे तक चली चर्चा के बाद लोकसभा के स्पीकर ने एथिक्स कमेटी की सिफारिश को मंजूर कर लिया. इस दौरान सदन में खूब हंगामा हुआ, स्पीकर ने सांसद को बोलने की अनुमति नहीं दी.

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नई दिल्ली: लोकसभा की आचार समिति ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की महुआ मोइत्रा के खिलाफ कथित ‘रिश्वत लेकर सवाल पूछने’ के मामले में रिपोर्ट की सिफारिश को मंजूर करते हुए उनकी लोकसभा सदस्यता रद्द कर दी.

आचार समिति ने आरोपों की जांच करते हुए 9 नवंबर को अपनी 500 पन्नों की रिपोर्ट को अपनाया, जिसमें मोइत्रा को उनके ‘‘अत्यधिक आपत्तिजनक, अनैतिक, जघन्य और आपराधिक आचरण’’ के मद्देनज़र 17वीं लोकसभा से निष्कासित करने की सिफारिश की गई थी.

शुक्रवार को रिपोर्ट पर सदन में लगभग एक घंटे तक चली चर्चा के बाद स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई.

इस दौरान सदन के बाहर मोइत्रा ने कहा, ‘‘मेरे खिलाफ लगाए गए आरोपों पर कहीं किसी तरह का सबूत नहीं है और सरकार अडाणी को बचाना चाहती है’’.

उन्होंने कहा, ‘‘एथिक्स कमेटी के पास निष्कासित करने की कोई शक्ति नहीं है…यह आपके (बीजेपी) अंत की शुरुआत है.’’

इसके अलावा ‘अनियंत्रित आचरण’ के लिए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सांसद कुंवर दानिश अली के खिलाफ कार्रवाई की भी सिफारिश की गई थी.

लोकसभा स्पीकर ने महुआ मोइत्रा को एथिक्स कमेटी की सिफारिश पर सदन में बोलने की अनुमति नहीं दी, कहा कि उन्हें पैनल मीटिंग में मौका मिला था.

विपक्षी सांसदों ने मांग कि थी कि मोइत्रा को लोकसभा में बोलने की अनुमति दी जाए जिस पर स्पीकर ने कहा, ‘‘मेरे पास पहले से चली आ रही परंपराओं की कॉपी है. पूर्व स्पीकर सोमनाथ चटर्जी और प्रणब मुखर्जी पहले यहां थे…उन्होंने जो नियम और परंपराएं दीं, वे हमारे नियम माने जाते हैं.’’

उन्होंने आगे कहा, ‘‘सोमनाथ चटर्जी ने कहा था कि जिन सदस्यों के खिलाफ ऐसे आरोप हैं उन्हें समिति के सामने बोलने के लिए पर्याप्त समय दिया जाता है…इस सदन की परंपरा है कि पिछले अध्यक्षों द्वारा अपनाई गई परंपराओं को अगले अध्यक्षों द्वारा हमेशा आगे बढ़ाया जाता है…उन्हें (महुआ) पैनल में बोलने का मौका दिया गया था.’’

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद निशिकांत दुबे ने वकील जय अनंत देहाद्राई के माध्यम से मोइत्रा के खिलाफ लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को शिकायत भेजी थी, जिसमें उन पर अडाणी समूह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने के लिए कारोबारी दर्शन हीरानंदानी के कहने पर सदन में सवाल पूछने के बदले रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया है.

महुआ मोइत्रा के ‘रिश्वत लेकर प्रश्न पूछने’ के मामले पर मसौदा रिपोर्ट में कहा गया कि उन्होंने 2019 से 2023 तक चार बार दुबई की यात्रा की, जबकि उनके लॉगिन को कम से कम 47 बार एक्सेस किया गया.

इससे पहले रिपोर्ट पेश करने के दौरान हंगामे के बाद लोकसभा की कार्यवाही को दो घंटे के लिए स्थगित कर दिया गया था और पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर से सांसद मोइत्रा ने कहा था, ‘‘अब लोग देखेंगे महाभारत का रण’’.


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रिपोर्ट में क्या था

गृह मंत्रालय (एमएचए) ने आचार समिति को सूचित किया था कि उसके जवाब में सूचीबद्ध कई दस्तावेज़ सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध नहीं हैं. इस मसौदा रिपोर्ट को पिछले महीने पैनल में 6:4 के बहुमत से अपनाया गया था.

अपने निष्कासन के बाद सदन के बाहर मोइत्रा ने कहा, ‘‘अगर इस मोदी सरकार ने सोचा है कि मुझे चुप कराकर वे अडाणी मुद्दे को खत्म कर देंगे, तो मैं आपको यह बता दूं कि इस कंगारू अदालत ने ही दिखाया है पूरे भारत में, आपने जो जल्दबाजी और उचित प्रक्रिया का दुरुपयोग किया है, वह दर्शाता है कि अडाणी आपके लिए कितना महत्वपूर्ण है और आप एक महिला सांसद को आत्म समर्पण करने से रोकने के लिए उसे किस हद तक परेशान करेंगे…’’

इससे पहले मीडिया से बात करते हुए महुआ ने कहा था, ‘‘मां दुर्गा आ गई हैं, हम देखेंगे. इन्होंने वस्त्र हरण शुरू किया है, अब ये महाभारत का रण देखेंगे.’’

इसके बाद बीजेपी की कोलकाता इकाई के प्रदेश अध्यक्ष सुकांतो मजूमदार ने पलटवार करते हुए कहा, ‘‘वस्त्र हरण द्रौपदी का हुआ था, शूर्पणखा का नहीं.’’

बीजेपी सांसद हिना गावित ने कहा कि 2005 में यूपीए सरकार के दौरान, एक रिपोर्ट पेश की गई थी और एक ही दिन 10 लोकसभा सदस्यों को निष्कासित कर दिया गया था.

गावित ने कहा कि महुआ मोइत्रा से हलफनामे के आधार पर सवाल पूछे गए, व्यक्तिगत सवाल पूछकर कोई ‘‘चीर हरण’’ नहीं किया गया.

मोइत्रा ने प्रसिद्ध कवि और पूर्व राज्यसभा सदस्य, रामधारी सिंह दिनकर की पंक्तियां भी कहीं थीं, ‘‘जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है.’’

रिपोर्ट में समिति ने कहा है कि मोइत्रा के बयान के दौरान, जब उनसे एक जनवरी, 2019 से 30 सितंबर, 2023 के बीच दुबई की उनकी यात्राओं और जिस होटल में वह रुकी थीं, उसके बारे में स्पष्टीकरण जारी करने के लिए कहा गया, तो दानिश अली चिल्लाने लगे, “द्रौपदी के चीर हरण” के लिए एथिक्स कमेटी बनाई है. कथित तौर पर मोइत्रा के उकसाने पर अली और चार अन्य सांसद बैठक से बाहर चले गए.

इसने कहा कि दुबे के आरोप की ‘‘सटीक जांच’’ से ‘‘संदेह से परे’’ स्थापित होता है कि मोइत्रा ने जानबूझकर अपने लोकसभा लॉगिन क्रेडेंशियल्स को दुबई स्थित व्यवसायी हीरानंदानी के साथ साझा की और अपने ‘सदस्य पोर्टल’ को संचालित करने की सुविधा दी थी.

मोइत्रा के मेंबर्स पोर्टल को एक जनवरी, 2019 से 30 सितंबर, 2023 के बीच 47 मौकों पर दुबई से संचालित किया गया था. इस अवधि के दौरान मोइत्रा ने जिन चार मौकों पर दुबई का दौरा किया, उन्होंने संचालन नहीं किया था. सदस्य पोर्टल के लॉगिन क्रेडेंशियल्स तक पहुंच स्थापित करती है कि ये किसी अन्य ‘‘अनाधिकृत व्यक्ति’’ ने किया था.

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘इसलिए, महुआ मोइत्रा अनैतिक आचरण, संसद सदस्यों को उपलब्ध विशेषाधिकारों के उल्लंघन और सदन की अवमानना की दोषी हैं.’’

इसमें लिखा है, “हालांकि, महुआ मोइत्रा के ऐसे अपरिवर्तनीय और लापरवाह कार्यों से समझौता की गई राष्ट्रीय सुरक्षा की सीमा को केवल भारत सरकार द्वारा संरचित संस्थागत जांच करके ही व्यावहारिक रूप से निर्धारित किया जा सकता है. इसके बावजूद, महुआ मोइत्रा की ओर से उपरोक्त सभी गंभीर दुष्कर्मों के लिए कड़ी सजा की मांग की गई है, जो 17वीं लोकसभा की सदस्यता से उनके तत्काल निष्कासन से कम नहीं हो सकती है.”

एक बार बाहर आने पर, रिपोर्ट में कहा गया है कि अली ने न केवल “समिति की कार्यवाही का खुलासा करने में भाग लिया, बल्कि समिति द्वारा मोइत्रा से मांगे गए स्पष्टीकरण को भी बेईमानी से तोड़-मरोड़ कर पेश किया”.

इसमें ये भी कहा गया, मुझे लगता है कि न केवल महुआ मोइत्रा और कुंवर दानिश अली ने लोकसभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमों के नियम 275 (2) के तहत गोपनीयता खंड का उल्लंघन किया है, बल्कि दानिश अली जनता को भड़काने के भी दोषी हैं. मीडिया के सामने समिति के विचार-विमर्श को चालाकी से तोड़-मरोड़कर पेश करना, जिससे समिति के ‘घोर लैंगिक पूर्वाग्रह’ का रंग दिया जा सके, जिसे संसदीय प्रथा और परंपराओं के अनुसार अनुचित आचरण माना जाता है और सदन द्वारा दंडित किया जा सकता है.

लोकसभा में रिपोर्ट पेश किए जाने से पहले बीएसपी सांसद दानिश अली ने स्पीकर ओम बिरला से इस आचरण पर पैराग्राफ को हटाने का आग्रह किया था.

संसद की कार्यवाही 11 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया है, शीतकालीन सत्र सोमवार को शुरू हुआ था और यह 22 दिसंबर तक के लिए निर्धारित है.


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