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Wednesday, 8 May, 2024
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‘शराब घोटाला, भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान’ — ओपी माथुर ने बताए छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की मात के कारण

पार्टी के राज्य प्रभारी माथुर ने कहा कि BJP ने एक के बाद एक आंदोलन किए, जिससे लोगों में बघेल के प्रति भरोसे की कमी पैदा हुई. लोगों का मानना था कि आदिवासियों, महिलाओं और किसानों के लिए आया केंद्र का पैसा लूट लिया गया.

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नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ को कांग्रेस से छीनना कोई आसान काम नहीं था, लेकिन भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राज्य चुनाव प्रभारी नेता ओम प्रकाश माथुर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी के साथ-साथ भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा भूपेश बघेल सरकार के भ्रष्टाचार को उजागर करने के निरंतर अभियान ने स्थिति बदल दी.

दिप्रिंट को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि बीजेपी ने एक के बाद एक आंदोलन किए, जिससे लोगों में बघेल के प्रति भरोसे की कमी होने लगी. लोगों का मानना था कि आदिवासियों, महिलाओं और किसानों के लिए आया केंद्र का पैसा लूट लिया गया.

अपने संगठनात्मक कौशल के साथ बार-बार योगदान देने के लिए जाने जाने वाले, पूर्व राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) प्रचारक के पास चुनावों के दौरान एक सिद्ध ट्रैक रिकॉर्ड है – चाहे वह महाराष्ट्र (2014), उत्तर प्रदेश (2017) और अब, छत्तीसगढ़ चुनाव हो, जहां पांच साल पहले भाजपा 15 सीटों पर सिमट कर रह गई थी.

गुजरात के मुख्यमंत्री रहने के दिनों से ही मोदी माथुर के संगठनात्मक कौशल पर भरोसा करते हैं और यह बात एक बार फिर से माथुर को सौंपे गए काम से साबित हुई हैं. 90-सदस्यीय छत्तीसगढ़ विधानसभा में बीजेपी ने 54 सीटों के साथ शानदार जीत दर्ज की है.

उन्होंने कहा, “छत्तीसगढ़ में यह एक मुश्किल लड़ाई थी, लेकिन हमें भूपेश बघेल सरकार की विसंगतियों और भ्रष्टाचार के कई मामले मिले – जिन्हें चुनौती नहीं दी गई. (मेरे) छत्तीसगढ़ आते ही हमने शराब घोटाले में भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान शुरू किया. पेपर लीक (अभियान) ने सबका ध्यान खींचा और बघेल की छवि को धूमिल करना शुरू कर दिया.”

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भाजपा ने सितंबर 2022 में छत्तीसगढ़ के पार्टी मामलों का प्रभार माथुर को सौंपा था.

माथुर ने कहा कि पार्टी के निरंतर शराब विरोधी अभियान ने महिलाओं का ध्यान आकर्षित किया क्योंकि बघेल ने 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले किए गए वादे के अनुसार शराबबंदी लागू नहीं की. उन्होंने कहा, “शराब घोटाले का खुलासा हुआ और कई अधिकारी अभी भी जेल में हैं. आदिवासी महिलाओं ने उनकी (बघेल) शराब नीति का विरोध किया और हमने राज्य में महिलाओं का भरोसा जीतना शुरू किया.”

शराब घोटाले के सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तार किए गए लोगों में कांग्रेस नेता और रायपुर मेयर के भाई अनवर ढेबर, छत्तीसगढ़ राज्य विपणन निगम लिमिटेड के एमडी अरुण पति त्रिपाठी, आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा शामिल हैं.

माथुर ने कहा कि भाजपा का एक और लक्ष्य वे परिवार थे जो प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभ से वंचित थे.

उन्होंने कहा, “हमने (राज्य में) 45 प्रतिशत ओबीसी और 32 प्रतिशत आदिवासियों को ध्यान में रखते हुए एक रणनीति बनाई…हमने पाया कि केंद्र से तीन किस्तों के बावजूद बघेल सरकार ने पीएम आवास योजना का राज्य का हिस्सा जारी नहीं किया है. घर की उम्मीद कर रहे आठ लाख परिवारों को इनकार कर दिया गया (और) अन्य चार लाख पात्र परिवारों को (योजना में) शामिल नहीं किया गया.”

बूथ कार्यकर्ताओं और जिला अध्यक्षों को इन 12 लाख वंचित लाभार्थियों से संपर्क करने का निर्देश दिया गया था. माथुर ने कहा, इसके बाद पार्टी ने इस बात पर ध्यान केंद्रित करते हुए आंदोलन किया कि किसने गरीबों को घर देने से इनकार कर दिया.

इसके बाद पार्टी ने लाभार्थियों को जागरूक करने के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना का पूरा डेटा एकत्र किया कि प्रधानमंत्री उनकी ज़रूरतों का ख्याल रखते हैं.

उन्होंने कहा, एक बार चुनाव घोषणापत्र जारी होने के बाद पार्टी ने पात्र लाभार्थियों को प्रस्तावित महतारी वंदन योजना के लिए फॉर्म भरने में मदद करने के लिए अपने कार्यकर्ताओं को तैनात किया. इस योजना में विवाहित महिलाओं को 12,000 रुपये की वार्षिक वित्तीय सहायता प्रदान करने की परिकल्पना की गई, जिससे हलचल मच गई और कई लाख महिलाओं ने फॉर्म भरे.”

माथुर ने छत्तीसगढ़ में जीत के लिए बीजेपी कार्यकर्ताओं की कड़ी मेहनत और प्रधानमंत्री की जन हितैषी योजनाओं को श्रेय दिया. उन्होंने कहा, “हमने पूरे सरगुजा क्षेत्र (14 सीटें) और बस्तर में आठ सीटें जीतीं. पीएम की गारंटी और भाजपा कार्यकर्ताओं के निरंतर अभियान ने छत्तीसगढ़ में बदलाव ला दिया, जिसे दिल्ली में बहुत मुश्किल के रूप में देखा गया, क्योंकि लोकप्रिय धारणा भूपेश बघेल के साथ थी.”

उन्होंने कहा, “लगातार अभियान से लोगों ने मोदी की गारंटी पर भरोसा किया और बघेल ने आखिरी समय में “भूपेश पर भरोसा” कार्यक्रम शुरू करके इसका मुकाबला करने की कोशिश की, लेकिन, मोदी ने भूपेश पर भरोसा पर प्रभाव पैदा किया है.”

यह पूछे जाने पर कि क्या छत्तीसगढ़ में सामूहिक रूप से लड़ने से पार्टी को फायदा हुआ, माथुर ने कहा, “यह भाजपा संसदीय बोर्ड का फैसला था कि वह किसी को आगे नहीं बढ़ाएगा. कुछ राज्यों में हमने पहले के चुनावों में एक चेहरा पेश किया था. यह एक रणनीति थी. प्रधानमंत्री से लेकर गृह मंत्री तक के आक्रामक अभियान से पार्टी को लक्ष्य हासिल करने में मदद मिली.”

जहां तक केंद्रीय राज्य में अगले मुख्यमंत्री के चयन की बात है, तो माथुर ने कहा कि यह नियमों के एक स्थापित सेट के माध्यम से किया जाएगा. उन्होंने समझाया, “हमने छत्तीसगढ़ में 54 नए चेहरों का चयन किया है, लेकिन मुख्यमंत्री चुनना संसदीय बोर्ड का विशेषाधिकार है. बीजेपी में चेहरा चुनने की एक व्यवस्था है. पार्टी अपने पर्यवेक्षक भेजती है, वो विधायकों से मिलेंगे और उसके बाद ही, संसदीय बोर्ड अंतिम चेहरे पर फैसला करता है.”

राजस्थान में सीएम उम्मीदवार पर एक समान सवाल पर उन्होंने कहा, “यह पार्टी है जो एक नया चेहरा तय करती है. पार्टी में कोई व्यक्तिगत फैसले लेने की प्रक्रिया नहीं है और हर कोई संसदीय बोर्ड के फैसले को स्वीकार करेगा.”

माथुर ने खुद को राजस्थान में भाजपा सरकार का नेतृत्व करने वाले नेता बनने की दौड़ से बाहर कर दिया. राजस्थान से पूर्व राज्यसभा सांसद ने कहा, “मैं इन पदों से ऊपर हूं. पार्टी ने मुझे कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी हैं और मैं इन चुनौतियों पर खरा उतरा हूं. भविष्य में पार्टी जो भी जिम्मेदारी देगी, मैं उसे निभाने की कोशिश करूंगा.”

(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)

(इस इंटरव्यू को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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