नई दिल्ली: राजस्थान के कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा, जिन्होंने पहले जयपुर में एक आवास परियोजना को वापस लेने की मांग की थी क्योंकि इसे कैबिनेट की मंजूरी नहीं मिली थी, ने अब राज्य में जल जीवन मिशन में “गड़बड़ियों” की ओर इशारा किया है. इसे भाजपा के हलकों में मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के खिलाफ विद्रोह के एक और संकेत के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें कई मंत्रियों ने शासन में खामियों के बारे में विभिन्न चिंताएं जताई हैं.
सीएम को लिखे पत्र में मीणा ने विभिन्न स्तरों पर कई मुद्दों को ठीक करने और “कड़ी निगरानी” के निर्देश दिए जाने की ज़रूरत पर जोर दिया.
उन्होंने आगे कहा, “हमारी सरकार को भी उन्हीं आरोपों का सामना नहीं करना चाहिए जो हमने छह महीने पहले कांग्रेस के खिलाफ लगाए थे.” हालांकि, यह पत्र पिछले महीने भेजा गया था, लेकिन सोशल मीडिया पर यह अब सामने आया है.
मीणा अकेले नहीं हैं. कई राज्य मंत्री सीएम को पत्र लिखकर चिंता जता रहे हैं. पिछले महीने राजस्थान के राज्य मंत्री के.के. बिश्नोई ने बाड़मेर में भीषण गर्मी के बीच अनियमित बिजली कटौती के बारे में भजन लाल को पत्र लिखा था. इससे पहले, भाजपा नेता राजेंद्र सिंह राठौर ने भी चूरू में पानी की कमी के बारे में सीएम को पत्र लिखा था और अपना पत्र एक्स पर पोस्ट किया था.
4 जून को लोकसभा चुनाव के नतीजे आने से एक दिन पहले, मीणा ने घोषणा की थी कि अगर भाजपा दौसा सीट हार जाती है तो वे इस्तीफा दे देंगे. उन्होंने राज्य में पार्टी के प्रदर्शन के पीछे के कारणों का आकलन करने के लिए बुलाई गई भाजपा की एक बैठक में भी भाग नहीं लिया था. राजस्थान में पार्टी की सीटों की संख्या 2019 के चुनावों में 25 से घटकर इस बार 14 हो गई है.
पार्टी सूत्रों के अनुसार, पूर्वी राजस्थान से भाजपा के “बड़े नेताओं” में से एक, मीणा को “नज़रअंदाज़” किया गया और उन्हें उपमुख्यमंत्री नहीं बनाया गया, जिससे उनके समर्थक नाराज़ हो गए.
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “पहले तो उन्हें डिप्टी नहीं बनाया गया और फिर उन्हें उनकी पसंद के मंत्रालय नहीं दिए गए. यही कारण है कि उन्होंने देर से कार्यभार संभाला. वे मौजूदा सरकार की अक्षमता को उजागर करने के लिए ये पत्र लिख रहे हैं.”
मीणा के पत्र में क्या था
मीणा ने अपने पत्र में दो मुख्य चिंताओं का ज़िक्र किया है — जल जीवन मिशन के टेंडरों की पूलिंग, और “गांवों में बिछाई गई पाइपलाइनों की गुणवत्ता और मात्रा में गबन”. उन्होंने “सख्त निगरानी की मांग की है ताकि जनता के पैसे की बर्बादी, गबन और घोटाला न हो और हमारी सरकार पर भी इसका आरोप न लगे”.
कृषि मंत्री ने आरोप लगाया कि पिछली कांग्रेस सरकार ने “जल जीवन मिशन में कई घोटाले और धांधलियां की थीं” और वर्तमान भजन लाल सरकार से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि “विभाग का कोई भी अधिकारी चाहे तो भी भ्रष्टाचार में लिप्त न हो सके”.
मीणा के अनुसार, पिछली सरकार के तहत, “फर्मों ने राजनीतिक और प्रशासनिक संरक्षण में उच्च दरों पर लगभग 20,000 करोड़ रुपये के टेंडर पूल (कार्टेल) किए” लेकिन “हमारी पार्टी द्वारा उजागर की गई धांधलियों के कारण, कांग्रेस सरकार ने टेंडर रद्द कर दिए”.
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने तुरंत कार्रवाई की है और पिछली कांग्रेस सरकार द्वारा लगाई गई शर्तों को हटाकर निविदाएं आमंत्रित की हैं, जो “राजस्थान सार्वजनिक खरीद में पारदर्शिता (आरटीपीपी) अधिनियम के खिलाफ थीं.”
भाजपा मंत्री ने जोर देकर कहा कि सरकार को सतर्क रहना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि न केवल निविदा प्रक्रिया सफल हो, बल्कि दरें भी प्रतिस्पर्धी हों, ताकि उस पर “निविदा पूलिंग” का आरोप न लगे.
अपने पत्र में मीणा ने “गांवों में बिछाई गई पाइपलाइनों की गुणवत्ता और मात्रा में गबन” की ओर इशारा किया, उन्होंने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पाया था कि जयपुर स्थित दो फर्मों द्वारा घोटाला किया गया था.
उन्होंने कहा, “तत्कालीन लोकसभा सांसद बाबा बालकनाथ ने केंद्र और राज्य सरकारों से अकेले अपने जिले में 1,500 करोड़ रुपये के घोटाले की आशंका जताई थी.”
उन्होंने यह भी उदाहरण दिया कि कैसे ठेकेदारों को पाइपलाइन बनाए बिना भुगतान किया जा रहा है, जो केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों का स्पष्ट उल्लंघन है.
उन्होंने कहा, “मेरा केवल इतना अनुरोध है कि अगर पाइपलाइन के प्रकार, वर्ग और लंबाई की अग्रिम स्वीकृति के बिना कार्य किया जाता है, तो गबन और घटिया पाइप बिछाने की संभावना प्रबल हो जाती है और इसी को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय जल जीवन मिशन में दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं.”
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