हैदराबाद: तेलंगाना कांग्रेस के नेताओं ने नवंबर में राज्य में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान मंच पर शक्ति प्रदर्शन किया था. अब एक महीने बाद, पार्टी के वरिष्ठ नेता राज्य के शीर्ष नेतृत्व, मुख्य रूप से प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) के प्रमुख रेवंत रेड्डी से ‘कांग्रेस को बचाने’ के लिए बंद कमरे में बैठकें कर रहे हैं.
शनिवार को विधायक मल्लू भट्टी विक्रमार्क के आवास पर आयोजित बैठक में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं, जैसे कि सांसद एन उत्तम कुमार रेड्डी, पूर्व लोकसभा सदस्य मधु गौड़ यशकी और पूर्व डिप्टी सीएम दामोदर राजा नरसिम्हा सहित अन्य लोगों ने भाग लिया.
विवाद का मुद्दा यह था कि कैसे पार्टी में पुराने सदस्यों की तुलना में नए लोगों को तवज्जो दी जा रही है. नए लोगों से उनका मतलब अन्य पार्टियों से आए नेताओं से है जिन्हें वह ‘प्रवासी’ कहकर संबोधित करते हैं.
पीसीसी के पूर्व प्रमुख उत्तम कुमार रेड्डी ने बताया कि पार्टी समितियों में हाल ही में नियुक्त किए गए अधिकांश लोग बाहरी और तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के पूर्व नेता हैं.
2021 में उत्तम कुमार रेड्डी की जगह लेने वाले रेवंत रेड्डी भी 2017 तक टीडीपी के साथ थे. उनकी नियुक्ति के समय भी नेताओं ने इस बात को लेकर काफी असंतोष जताया था कि दिग्गजों की अनदेखी करते हुए कैसे शीर्ष पद के लिए एक नए व्यक्ति को प्राथमिकता दी जा रही है.
कांग्रेस आलाकमान ने पिछले हफ्ते पीसीसी के संचालन के लिए समितियों को मंजूरी दी थी. इसमें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) द्वारा कार्यकारी और राजनीतिक मामलों की समितियों के साथ 26 जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्षों, 24 उपाध्यक्षों और 84 महासचिवों की नियुक्ति शामिल है.
उत्तम कुमार रेड्डी ने मीडियाकर्मियों से कहा, ‘कुल नियुक्त उपाध्यक्षों और महासचिवों (108) में से कम से कम 50 फीसदी ऐसे हैं जो कभी तेलुगु देशम के साथ थे और कांग्रेस में शामिल हो गए. उन लोगों के बारे में क्या जिन्होंने अपना जीवन पार्टी को समर्पित कर दिया है और दशकों से काम कर रहे हैं. उन्हें दरकिनार कर दिया गया है.’ रेड्डी को पीसीसी चीफ के नेतृत्व वाली कार्यकारी समिति का हिस्सा बनाया जा रहा है.
उन्होंने आगे कहा, ‘जब मैं पीसीसी प्रमुख था, तो मुझे कुछ लोगों का समर्थन मिला हुआ था, जबकि कुछ मेरे पक्ष में नहीं थे. लेकिन मैंने कभी भी ऐसे पदों को अपनी प्राथमिकता नहीं बनाया.’
याशकी के मुताबिक, आमतौर पर किसी पार्टी में ऐसे किसी भी अहम फैसले के लिए कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) बराबर की चर्चा में शामिल होते है. याशकी ने दिप्रिंट से कहा, ‘वरिष्ठ नेताओं को सुझाव देने के लिए कहा जाता है. लेकिन यहां ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ. निजामाबाद में ऐसे नेता हैं जो नगर अध्यक्ष के रूप में काम करते रहे हैं, उन्हें पदोन्नत या समितियों में नियुक्त नहीं किया गया है. इसके बजाय, अन्य दलों के कुछ प्रवासियों को वरीयता दे दी गई. पुराने लोगों को अब कौन सी प्रेरणा पार्टी से जोड़े रखेगी?’
दिप्रिंट ने टिप्पणी के लिए रेवंत रेड्डी के ऑफिस में एक टेक्स्ट मैसेज किया था. लेकिन इस रिपोर्ट के प्रकाशित करने के समय तक वहां से कोई जवाब नहीं मिला. प्रतिक्रिया मिलने के बाद इस लेख को अपडेट कर दिया जाएगा.
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‘कांग्रेस को बर्बाद कर रहे हैं रेवंत रेड्डी’
नेता अब इस मुद्दे को आलाकमान तक ले जाने की योजना बना रहे हैं. उनका कहना है कि रेवंत रेड्डी के पक्ष में काम करने वाले सोशल मीडिया हैंडल पुराने समय से जुड़े लोगों की ‘चरित्र हत्या’ कर रहे हैं. नेताओं के अनुसार, सोशल मीडिया पर इस तरह की पोस्ट काफी ज्यादा बढ़ी है और इनके पीछे पीसीसी से जुड़े कई लोग हो सकते हैं.
याशकी ने दिप्रिंट से कहा, ‘वह (रेवंत रेड्डी) विश्वासपात्रों को दरकिनार कर कांग्रेस को नुकसान पहुंचा रहे हैं. उदाहरण के लिए, जब भट्टी विक्रमार्क ने 2021 में मुख्यमंत्री द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में भाग लिया, तो यह रेवंत रेड्डी की मंजूरी और बैठक में मुद्दों पर कांग्रेस का रुख क्या होगा, इस पर चर्चा करने के बाद किया गया था. लेकिन जब यह चर्चा हुई कि विक्रमार्क कांग्रेस से असंतुष्ट हैं और बैठक में शामिल हुए, तो हमारे पीसीसी प्रमुख ने इसे स्पष्ट करने की जहमत नहीं उठाई. क्या यह जानबूझकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं को बदनाम नहीं कर रहे हैं?’
उत्तम कुमार रेड्डी ने दावा किया कि हाल ही में हैदराबाद में कांग्रेस के वॉर रूम पर छापा मारने वाली पुलिस ने रेड्डी को बताया कि उनकी अपनी पार्टी के वॉर रूम में उनके खिलाफ भी सोशल मीडिया पोस्ट मिले थे.
साइबर क्राइम पुलिस ने इस सप्ताह की शुरुआत में के. चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ कथित रूप से मानहानिकारक पोस्ट करने के लिए शहर में राजनीतिक रणनीतिकार सुनील कानूनगोलू के कार्यालय पर छापा मारा था. कानूनगोलू तेलंगाना में कांग्रेस के लिए राजनीतिक रणनीति तैयार कर रहे हैं.
याशकी ने सवाल उठाया, ‘कल्पना कीजिए कि यह एक कांग्रेस वॉर रूम है जिसे रेवंत रेड्डी वित्त पोषित कर रहे हैं और एआईसीसी के राज्य प्रभारी मणिकम टैगोर भी इस पर निगाह रखे हुए हैं और पार्टी नेता उत्तम कुमार रेड्डी के खिलाफ वहां पोस्ट मिलती हैं. अपने ही आदमियों का चरित्र हनन करने का प्रयास क्यों किया जा रहा है?’
यह पहली बार नहीं है जब रेवंत रेड्डी को पार्टी के दिग्गजों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है. खुद को ‘विश्वासपात्र’ करार देते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने मार्च में पीसीसी प्रमुख के बिना बंद कमरे में बैठक की थी. बैठक का एजेंडा इस बात पर चर्चा कर रहा था कि कैसे रेवंत रेड्डी ने दूसरों से परामर्श किए बिना एकतरफा फैसले लिए, कैसे ‘उनके लोगों’ का पार्टी मामलों पर अधिक नियंत्रण है और कैसे पार्टी में पारदर्शी संचार का अभाव है.
नेताओं में से एक, पूर्व विधायक और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य, मर्री शशिधर रेड्डी ने पिछले महीने पार्टी छोड़ दी और भाजपा में शामिल हो गए. अपने इस्तीफे में उन्होंने रेवंत रेड्डी और मणिकम टैगोर दोनों के बारे में समान चिंता व्यक्त की थी.
(संपादनः शिव पाण्डेय । अनुवादः संघप्रिया मौर्या)
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