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मंगलवार, 17 जून, 2025
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तेजस्वी ने NDA के परिवारवाद के आरोपों पर पलटवार करते हुए नीतीश को दी सलाह — ‘दामाद आयोग’ बना लीजिए

एससी आयोग, महिला पैनल और सुप्रीम कोर्ट में नियुक्तियों पर सवाल उठ रहे हैं, लेकिन जेडी(यू) का कहना है कि नियुक्तियां राजनीति में सक्रिय रही हैं और लालू परिवार की 'वंशवाद की राजनीति' अलग है.

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नई दिल्ली: बिहार में चुनाव से पहले का माहौल गर्म हो गया है और एक बार फिर वंशवाद की राजनीति चर्चा में आ गई है. वजह है सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) नेताओं के कई रिश्तेदारों की सरकारी पदों और आयोगों में नियुक्ति.

इनमें केंद्र और राज्य सरकार के मंत्रियों के तीन दामाद, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रमुख सचिव की पत्नी और जनता दल (यूनाइटेड) के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा की दोनों बेटियां शामिल हैं. इन नियुक्तियों को लेकर सवाल उठ रहे हैं.

विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तीखा हमला करते हुए आरोप लगाया है कि वे सार्वजनिक रूप से वंशवाद की राजनीति का विरोध करते हैं लेकिन खुद उसी का पालन कर रहे हैं.

इस मुद्दे ने राज्य में सत्ता और विपक्ष के बीच तीखी बहस छेड़ दी है, जिससे इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों पर असर पड़ सकता है.

राजद नेता तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए कहा कि “स्थायी दामाद आयोग” बनाया जाए. उन्होंने आरोप लगाया कि इन नियुक्तियों में योग्यता की बजाय पारिवारिक संबंधों को तरजीह दी गई है.

तेजस्वी ने कानून और न्याय मंत्रालय के 9 अक्टूबर 2024 के आदेश का हवाला देते हुए बताया कि संजय झा की बेटियां, आद्या और सत्य झा को सुप्रीम कोर्ट ग्रुप A लीगल काउंसल के पद पर तीन साल के लिए नियुक्त किया गया है—जबकि आमतौर पर यह पद वरिष्ठ वकीलों को ही दिया जाता है.

तेजस्वी ने कहा, “सामान्यतः इस पैनल में 20 साल से अधिक अनुभव वाले वरिष्ठ अधिवक्ताओं को रखा जाता है, लेकिन जदयू नेता संजय झा ने अपने पद का दुरुपयोग कर बेटियों की नियुक्ति करवाई है.” उन्होंने आगे कहा, “नीतीश कुमार ने ईमानदार नेताओं और कार्यकर्ताओं को आयोगों में जगह नहीं दी.”

संजय झा का परिवार अब वंशवाद की राजनीति के विवाद में नया नाम बन गया है.

तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार पर यह भी आरोप लगाया कि उन्होंने केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी के दामाद को अनुसूचित जाति आयोग का उपाध्यक्ष, दिवंगत रामविलास पासवान के दामाद को आयोग का अध्यक्ष, कैबिनेट मंत्री अशोक चौधरी के दामाद को धार्मिक न्यास बोर्ड का सदस्य और प्रमुख सचिव की पत्नी को बिहार राज्य महिला आयोग का सदस्य नियुक्त किया.

राजवंश और नियुक्तियां

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी के दामाद, देवेंद्र मांझी को अनुसूचित जाति आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त किया है। वे पहले मांझी के हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) के महासचिव रहे हैं और 2020 में बिहार के मखदूमपुर से चुनाव हारे थे.

मांझी के सात बेटों-बेटियों में कई राजनीति में सक्रिय हैं—उनके बेटे संतोष सुमन बिहार सरकार में मंत्री हैं, बहू डीपा सुमन इमामगंज से विधायक हैं, और डीपा की मां, ज्योति देवी, बराचट्टी की विधायक हैं.

देवेंद्र मांझी 2014 में पहली बार सुर्खियों में आए थे जब उस समय बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने उन्हें अपना निजी सहायक नियुक्त किया था, जबकि अन्य रिश्तेदार सत्येंद्र कुमार को एक क्लर्क बनाया गया था.

नीतीश सरकार ने केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के भांजे—मृणाल पासवान को भी बिहार एससी आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया है. मृणाल, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के महासचिव हैं और उन्होंने 2020 में वैशाली के राजापाकर से चुनाव लड़ा था लेकिन हार गए थे.

मृणाल पासवान दिवंगत रामविलास पासवान की पहली पत्नी राजकुमारी देवी की एक बेटी के पति हैं. चिराग पासवान, दूसरी ओर, पहले पत्नी रीना शर्मा से पैदा हुए रामविलास पासवान के बेटे हैं.

इस साल राजकुमारी देवी का नाम चर्चा में आया जब उन्होंने पूर्व मंत्री और रामविलास पासवान के छोटे भाई पशुपति कुमार पारस की पत्नी शोभा देवी पर संपत्ति विवाद के दौरान अपमान का आरोप लगाया.

“वंशवाद की राजनीति” विवाद में फंसे तीसरे दामाद हैं सायान कुणाल, जिन्हें नीतीश सरकार ने पिछले हफ्ते धर्मिक न्यास बोर्ड का सदस्य नियुक्त किया.

नीतीश सरकार के मंत्री अशोक चौधरी के दामाद सायन कुणाल, दिवंगत आईपीएस अधिकारी किशोर कुणाल के बेटे हैं. उनकी पत्नी शांभवी चौधरी ने 2024 के चुनाव में समस्तीपुर से लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीता. सायन के पिता किशोर कुणाल, पुलिस सेवा से रिटायर होने के बाद पटना में महावीर कैंसर अस्पताल और महावीर हनुमान मंदिर बनाने में अहम भूमिका में थे.

संयोग से, इन तीनों नेताओं के दामाद—जिन्हें विभिन्न सरकारी पद दिए गए हैं—दलित समुदाय से आते हैं और बिहार के मुख्य दलित नेताओं में शामिल हैं.

मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह की पत्नी, वैशाखी रश्मि रेखा सिंह, को बिहार राज्य महिला आयोग की सदस्य नियुक्त किया गया, लेकिन यह नियुक्ति 7 जून की अधिसूचना में सार्वजनिक रूप से नहीं किया गया. इसमें सात अन्य सदस्यों के नाम, उनके पतियों और पते का उल्लेख था, लेकिन रश्मि रेखा सिंह का पति नहीं दिखाया गया, केवल उनके पिता उदय कुमार सिन्हा का नाम था. उनका पता भी प्रकाशित नहीं किया गया, जिससे उनके रिश्ते को छुपाए जाने की आशंका पैदा हुई.

पहले राजद ने आरोप लगाया था कि रिटायर्ड आईएएस अधिकारी दीपक सिंह बिहार चला रहे हैं. बक्सर से राजद सांसद सुधाकर सिंह के अनुसार, नीतीश सरकार ने दीपक की बेटी ईशा वर्मा की निजी कंपनी को 25 करोड़ रुपये की मंजूरी दी थी.

पिछले महीने सुधाकर सिंह ने दावा किया कि 2024-25 के बिहार बजट में बिहार ग्रीन डिवेलपमेंट फंड के तहत जो 25 करोड़ रुपये का घोषणा की गई, वह सीधे उनकी कंपनी, बोधि सेंटर फॉर सस्टेनेबल ग्रोथ प्राइवेट लिमिटेड, का लाभ था—जो आवंटन से कुछ महीने पहले ही बनी थी. यह कंपनी अब राज्य में ग्रीन डिवेलपमेंट को लागू करने की जिम्मेदारी ले रही है.

जेडी(यू) की प्रतिक्रिया

राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), जो बिहार में मुख्य विपक्षी पार्टी है, ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर सवाल उठाए हैं. तेजस्वी यादव ने कहा, “मुख्यमंत्री का अपने प्रशासन पर कोई नियंत्रण नहीं है, और सेवानिवृत्त अधिकारी राज्य चला रहे हैं… यह विडंबना है कि मुख्यमंत्री को अपनी पार्टी में कोई ऐसा कार्यकर्ता नहीं मिला जिसे आयोगों का अध्यक्ष या सदस्य बनाया जा सके.”

तेजस्वी ने आगे कहा, “मुख्यमंत्री को यह बताना चाहिए कि उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में अपने कितने परिवारजनों को सरकारी संस्थाओं में समायोजित किया है.”

आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा, “नीतीश कुमार कहते हैं कि वह परिवारवाद को बढ़ावा नहीं देते — यही उनका मुख्य चुनावी मुद्दा है. फिर भी उन्होंने सारे ‘दामादों’ को और अपने प्रधान सचिव की पत्नी को भी बोर्डों में समायोजित कर दिया. अब उनके पास कोई मुद्दा नहीं बचा है. अधिकारी राज्य को लूट रहे हैं और चुनाव से पहले अपने परिवार को अहम पदों पर बैठा रहे हैं क्योंकि उन्हें पता है कि वे फिर सत्ता में नहीं आएंगे.”

आरजेडी के आरोपों पर जवाब देते हुए अशोक चौधरी ने एससी आयोग में मृणाल पासवान की नियुक्ति का बचाव किया और तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि वह बिना किसी शैक्षणिक योग्यता के बिहार के उपमुख्यमंत्री बन गए. चौधरी ने कहा, “मैं उन्हें याद दिलाना चाहता हूं कि मृणाल जी तब से राजनीति में सक्रिय हैं और चुनाव लड़ते रहे हैं जब तेजस्वी जी अभी हाफ पैंट में घूमते थे. यह अलग बात है कि वह चुनाव नहीं जीत पाए, लेकिन राजनीति में सक्रिय रहे. उस समय तेजस्वी को राजनीति की कोई समझ नहीं थी. आज भी उनकी पढ़ाई-लिखाई के बारे में कुछ पता नहीं है, फिर भी वह उपमुख्यमंत्री बन गए.”

जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन सिंह ने दिप्रिंट से कहा, “आरजेडी नेता लालू प्रसाद ने अपनी पत्नी को मुख्यमंत्री, दोनों बेटों को मंत्री और बेटी को सांसद बनाया. उनकी एकमात्र योग्यता यह थी कि वे लालू जी के परिवार के सदस्य थे. नीतीश कुमार ने अपने पूरे जीवन में कभी परिवारवाद को बढ़ावा नहीं दिया. वर्तमान में जिनकी नियुक्ति हुई है, वे लंबे समय से राजनीति में सक्रिय हैं और उन्हें लालू परिवार से तुलना नहीं की जा सकती.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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