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Friday, 22 November, 2024
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बीजेपी में शामिल हुए टीडीपी के दो सांसदों पर आर्थिक ग़बन और बैंकों से धोखाधड़ी के आरोप हैं

क्या अपना दामन बचाने के लिए बीजेपी का दामन गंदा करेंगें बीजेपी में शामिल हुए टीडीपी के राज्यसभा सांसद?

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टीडीपी के छह राज्यसभा सांसदों में से चार ने बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा के सामने गुरुवार को बीजेपी का दामन थाम लिया है. बीजेपी में शामिल होते वक्त तीन सांसदों ने कहा कि देश में बने एक माहौल ने उन्हें बीजेपी में शामिल होने को मजबूर किया पर क्या चंद्रबाबू नायडू के फ़ंड मैनेजर रहे इन सांसदों के ह्रदय परिवर्तन की वजह देश में मोदी को दिया अपार जनमत है या कहानी कुछ और है?

बीजेपी में शामिल हुए चार सांसद में दो तो आर्थिक घोटाले, धोखाधड़ी के मामलों में ईडी सीबीआई और बैंकों के निशाने पर हैं. सबसे पहले सी एम रमेश से शुरू करते हैं.


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सी एम रमेश

सी एम रमेश ही वो शख़्स हैं जिनकी वजह से सीबीआई के पूर्व डायरेक्टर आलोक वर्मा ने अपने अधीनस्थ गुजरात कैडर के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना पर घूस लेने की प्राथमिकी दर्ज कराई थी. पिछले साल अक्टूबर में इनकम टैक्स ने अपनी जांच में रमेश की कंपनी रितविक प्रोजेक्ट के 100 करोड़ के हवाला भुगतान को पकड़ा था जिसमें 25 करोड के फ़र्ज़ी बिल के ज़रिये पैसों के ट्रांसजेक्शन की कहानी सामने आई थी. सीबीआई ने 12 अक्टूबर को रमेश के घर और दफ्तर पर छापे मारे थे.

सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा ने हैदराबाद के सना सतीश बाबू के बयान के आधार राकेश अस्थाना के खिलाफ 2 करोड़ का घूस लेकर केस को रफ़ा-दफ़ा करने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज कराई. उसके बाद थोडे़ दिनों में सीबीआई निदेशक और पीएमओ के बीच की लडाई सड़कों पर आ गई. आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजा गया. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद वापसी हुई लेकिन सरकार ने आनन-फानन में उन्हें पद से हटा दिया. आलोक वर्मा ने दूसरी सेवा पर जाने के बजाय इस्तीफा दे दिया.

वाई एस चौधरी

मोदी सरकार में टीडीपी कोटे से चार साल तक विज्ञान तकनीकी मंत्री रहे चौधरी आंध्र के सबसे अमीर सांसदों में एक रहें हैं और चंद्रबाबू के फ़ंड मैनेजरों में शामिल रहें है. सरकार से हटते ही सीबीआई ने चौधरी पर शिकंजा कसा और पाया कि इलेक्ट्रिक समान बनाने वाली चौधरी की कंपनी बेस्ट और काम्पटन इंजीनियरिंग ने ग़लत तरीक़ों से बैंकों के समूह से 360 करोड़ का लोन उठा रखा है. सीबीआई की शिकायत के बाद ईडी ने इनके आवास पर भी छापा मारा और पीएमएलए एक्ट के तहत 315 करोड़ की संपत्ति ज़ब्त कर ली. 8 अक्टूबर को मारे छापे में ईडी ने ढेर सारी फ़र्ज़ी कंपनियों के स्टांप कंपनी के ऑफिस से बरामद की. ईडी के मुताबिक सुजाना ग्रुप की कंपनी के साथ मिलीभगत कर चौधरी की कंपनी अपने लोन बुक को साफ़ कर रही थी. सुजाना ग्रुप पर बैंकों के 5700 करोड़ की देनदारी है और जिसके लोन भुगतान में सुजाना ग्रुप लगातार डिफाल्ट कर रही है. ग्रुप के हैदराबाद में कई सारे होटल और पावर प्रोजेक्ट हैं

जी एम राव

जीएमआर के मालिक राव अपनी खराब तबीयत के कारण बीजेपी में शामिल होने नहीं आ सके लेकिन दिल्ली हैदराबाद एयरपोर्ट का आधुनिकीकरण करने वाली जीएमआर भी आर्थिक झंझावातों में फंसी है. इंफ़्रास्ट्रक्चर सेक्टर में काम करने वाली जीएमआर के पास बैंकों की 46,000 हज़ार करोड़ की देनदारी है. जीएमआर रिपेमेंट में डिफाल्ट भी किया है पर अभी ख़तरे की घंटी से नीचे हैं और धोखाधड़ी के आरोपों से बाहर हैं.


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टी जी वेंकटेंश

उद्दोगपति टी जी वेंकटेंश की कंपनी सिनेमा हाल होटल और वायु उर्जा के क्षेत्र में काम करती है. कैलशियम पाउडर बनाने की कंपनी भी इनके पास है और नायडू के विश्वस्त लोगों में इनकी गिनती की जाती है.

सवाल यह है कि बीजेपी में शामिल हुए दो टीडीपी सांसदों पर तो सीधे-सीधे धोखाधड़ी, टैक्स चोरी, बैंकों को चूना लगाने के गंभीर आरोप हैं और बीजेपी ने पिछले अक्टूबर में इन्हें आंध्र प्रदेश का विजय माल्या तक करार दिया था. अब बीजेपी में शामिल होकर ईडी सीबीआई के जाल में फंसे ये सांसद अपना दामन साफ़ करने आएं हैं या दोनों को एक दूसरे के साथ की जरूरत है. बीजेपी को आंध्र प्रदेश में संगठन विस्तार करना है और इन्हें अपने दामन साफ़. 4 टीडीपी सांसदों के बीजेपी में शामिल होने से राज्यसभा में बहुमत से दूर बीजेपी की ताक़त भी बढ़ेगी और आंध्र प्रदेश में संगठन का फुटप्रिंट भी.

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