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Wednesday, 24 April, 2024
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बीजेपी विस्तार का ‘शाह फार्मूला’ विचारधारा पर डटकर बढ़ाएंगे पार्टी का फुटप्रिंट

बीजेपी दक्षिण के राज्यों के 130 लोकसभा सीट में से महज 30 सीटों पर सीमित है. अध्यक्ष अमित शाह ने राज्य इकाई को कहा कि अभी भी हमने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं किया है.

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नई दिल्ली: बड़े लक्ष्य को हासिल करना अब बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का शग़ल बन गया है. बीजेपी संगठन की मेगा बैठक में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने राज्य ईकाई के अध्यक्षों को पार्टी के फुटप्रिंट का विस्तार उन राज्यों में करने को कहा है जहां बीजेपी अभी सहयोगी दलों पर निर्भर है. बीजेपी दक्षिण के राज्यों के 130 लोकसभा सीट में से महज 30 सीटों पर सीमित है बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने राज्य ईकाई को कहा कि अभी भी हमने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं किया है और विस्तार की असीम संभावनाएं बरकरार हैं.

सदस्यता अभियान की ज़िम्मेदारी शिवराज सिंह चौहान के ज़िम्मे

11 करोड़ सदस्यों वाली बीजेपी अपने नए सदस्यता अभियान में कम से कम 20 फीसदी नए सदस्यों का इज़ाफ़ा करना चाहती है. संगठन पर्व की इस ज़िम्मेदारी को पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान निभाएंगे. मध्य प्रदेश बीजेपी इकाई का संगठन सबसे पुराना है राजमाता विजयाराजे सिंधिया सुन्दर लाल पटवा और कुशाभाऊ ठाकरे की तिकड़ी ने मध्य प्रदेश इकाई को हिन्दुत्व की ऐसी प्रयोगशाला में ढाला जिसका फायदा बीजेपी संगठन को अभी तक मिल रहा है.

शिवराज बीजेपी के डार्क हौर्स है जिन्हें बीजेपी की सदस्यता को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का काम सौंपा गया है दिलचस्प तथ्य यह हैकि मध्य प्रदेश से थावरचंद गहलोत को राज्यसभा में सदन के नेता की बड़ी ज़िम्मेदारी मिली है और प्रोटेम स्पीकर की ज़िम्मेदारी भी राज्य के वरिष्ठ सांसद वीरेन्द्र कुमार को दी गई है.

अमित शाह संगठन में तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों तक बरकार रहेंगे

बीजेपी महासचिव के मुताबिक बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह संगठनात्मक चुनावों के संपन्न होने और विधानसभा चुनावों में जीत दिलाने तक जिताऊं संगठन में ज्यादा प्रयोग करने के इच्छुक नहीं दिखाई दे रहें हैं पर अंतिम फ़ैसला तो खुद अमित शाह को लेना है.

विचारधारा के साथ कोई समझौता नहीं

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने बीजेपी संगठन मंत्रियों और अध्यक्षों को कहा जब श्यामा प्रसाद मुखर्जी अपनी विचारधारा के लिए नेहरू मंत्रिमंडल से बाहर आ सकते हैं तो हमें अपनी विचारधारा से समझौता करने की कोई जरूरत नहीं है. इसका संकेत साफ है कि कश्मीर के विधानसभा चुनावों में जाने के लिए बीजेपी भले वाजपेयी की नरम और मरहम की राजनीति का संदेश देती रहे पर असल में अपनी विचारधारा को बिना नरम किए वह कश्मीर जीतना चाहती है.

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