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Wednesday, 18 December, 2024
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सुषमा स्वराज के वो भाषण जिनके ज़रिये लोगों की यादों में हमेशा रहेंगी ज़िंदा

अटल बिहारी वाजपेयी के बाद अगर किसी वक़्ता ने चार दशकों में अपनी वाक शैली और वाणी की स्पष्टता के साथ देश के जनमानस पर अमिट छाप छोड़ी तो वो थीं सुषमा स्वराज.

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नई दिल्ली: आज से 23 साल पहले 1996 में वाजपेयी की पहली सरकार के गिरने पर संसद को संबोधित करते हुए सुषमा स्वराज ने धारा 370 को खत्म करने की ज़ोरदार वकालत की थी. सुषमा ने कहा था, ‘बीजेपी सांप्रदायिक है क्योंकि वह धारा 370 खत्म करने की बात करती है. बीजेपी सांप्रदायिक है क्योंकि वह विस्थापित कश्मीरियों को घर लौटाने की बात करती है.’ 23 साल बाद सुषमा ने अंतिम सांसें लेने से पहले धारा 370 खत्म किए जाने पर पीएम मोदी को बधाई देकर दुनिया को अलविदा कहा. उनका आखिरी संदेश यह कहता है कि वह देश से कितनी जुड़ी हुईं थीं. उन्होंने लिखा कि मैं यही दिन देखने के लिए जिंदा थी.

देश की राजनीति में अटल बिहारी वाजपेयी के बाद अगर किसी वक़्ता ने चार दशकों में अपनी वाक शैली और वाणी की स्पष्टता के साथ जनमानस पर अमिट छाप छोड़ी, वो थीं दिवंगत पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज.

विपक्ष में रहते हुए वाजपेयी की 1996 में तेरह दिनों की सरकार गिरने के बाद सुषमा बोलने के लिए खड़ी हुईं तो वाजपेयी के सामने विपक्ष को ललकारते हुए सुषमा ने कहा था, ‘अध्यक्ष जी ये पहली बार नहीं हो रहा, त्रेता युग में भगवान राम के साथ भी हो चुका है राजतिलक करते-करते उन्हें वनवास दे दिया गया. हमारे खिलाफ तो कितनी मंथराएं और शकुनि हैं. आज बिखरी हुई सरकार है और एकजुट विपक्ष है.’

यही वो दौर था जब सुषमा, वाजपेयी और आडवाणी की छत्रछाया में बड़े रोल के लिए अपने को तैयार कर रही थीं. संयुक्त मोर्चा की सरकार में इंद्रकुमार गुजराल प्रधानमंत्री बने थे, उनके विश्वासमत पर बोलते हुए सुषमा ने एक बार फिर जोड़-तोड़ से बनी सरकार के ढांचे पर जमकर प्रहार किए. सुषमा का यह भाषण भी लोगों के ज़ेहन में ज़िंदा है. सुषमा ने कहा, ‘दस दिनों का इतिहास धोखाधड़ी और बेवफाई का इतिहास है, मैनें कल्पना नहीं की थी एक दिन सरकार की नाक भी कटेगी और जान भी नहीं बचेगी.’

सुषमा को विदेशी मूल के मुद्दे पर सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए बेल्लारी भेजा गया और सोनिया गांधी को पीएम पद का दावेदार बताया तब सुषमा ने अपने बाल मुंडवा लेने की धमकी तक दे डाली थी. उन्होंने कहा था कि अगर सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री बनाया जाता है तो मैं बाल मुंडवा लूंगी, सफेद साड़ी पहनूंगी, चना खाऊंगी और चटाई बिछाकर ज़मीन पर सोउंगी. यह बात सुषमा स्वराज ने 2004 में कही थी. यह अलग बात है कि यूपीए सरकार के दौरान सुषमा और सोनिया के संबंध काफी प्रगाढ़ हो गए थे.

2009 में बीजेपी की तरफ से लोकसभा चुनाव का नेतृत्व बीजेपी के लौहपुरूष आडवाणी ने किया था पर चुनाव में हारने के बाद आडवाणी को बीजेपी संसदीय बोर्ड की पहली ही बैठक में विपक्ष के नेता पद से इस्तीफा देना पड़ा. आडवाणी ने राजनाथ और मुरली मनोहर जोशी को दरकिनार करते हुए लोकसभा में विपक्ष के नेता पद के लिए सुषमा को चुना.


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यही वो दौर था जब मनमोहन सिंह मंत्रिमंडल के भष्ट्राचार की कहानियां रोज सामने आ रही थी .सुषमा ने लोकसभा में, जेटली ने राज्यसभा में मनमोहन सरकार पर लगातार हमले कर एक तरह से निष्प्रभावी बना दिया था और जिसकी लहर पर सवार होकर मोदी 2014 में दिल्ली की सत्ता तक पहुंचे. मोदी के दिल्ली तक पहुंचने में सुषमा स्वराज और अरूण जेटली के योगदान को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता.

2014 में नरेंन्द्र मोदी जब प्रधानमंत्री बने तो सुषमा को विदेश मंत्री बनाया गया. सुषमा ने कश्मकश वाली स्थिति में मोदी के साथ संतुलन बनाते हुए एक अपना एक अलग हिस्सा बनाया.

विदेश मंत्रालय के दरवाज़े आम जनता के लिए खोल दिया पर बात उनके भाषणों की करें तो. संयुक्त राष्ट्र महासभा का उनका एक भाषण जिसकी पीएम मोदी ने जमकर तारीफ़ की थी हमेशा याद रखा गाएगा. इस भाषण में सुषमा ने पाकिस्तान को ‘आतंकवाद की फ़ैक्ट्री’ करार दिया.

सुषमा ने कहा, ‘आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते.’

‘पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ़ ने बातचीत के लिए चार सूत्रीय प्रस्ताव रखा है हमें चार सूत्र की जरूरत नहीं केवल एक सूत्र की जरूरत है वह है आंतकवाद को छोड़िये बातचीत कीजिये.’

संयुक्त राष्ट्र का एक और भाषण जिसमें सुषमा ने पाकिस्तान के जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकार हनन का मुद्दा उठाने पर कहा ‘जिनके घर शीशे के होते हैं वो दूसरे के घरों पर पत्थर नहीं उछाला करते.’

सुषमा ने विदेश मंत्री के रूप में अपनी अमिट छाप छोड़ी वो भी तब विदेश मंत्रालय का बहुत कुछ काम प्रधानमंत्री खुद देख लेते थे. लालकृष्ण आडवाणी की क़रीबी होते हुए भी सुषमा ने पीएम मोदी के साथ कमाल का संतुलन बनाकर काम किया और मौत से पहले भी धारा 370! खत्म करने के लिए पीएम मोदी और सरकार की तारीफ़ करके अलविदा कहा .

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