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Monday, 6 May, 2024
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माथे पर चौड़ी बिंदी, साड़ी और मुस्कान वाली सुपर मॉम थीं सुषमा स्वराज

दुश्मन देश जब हमारे देश पर आक्रमण कर रहा था तब भी सुषमा पाकिस्तान के लोगों के गुहार को भली भांति सुनती थी और उनके वीजा का इंतजाम भी करती थीं.

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नई दिल्ली: पूर्व विदेशमंत्री और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री सुषमा स्वराज का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. वह 67 साल की थीं. मंगलवार शाम को दिल का दौरा पड़ने से उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया, जहां उन्हें आईसीयू में भर्ती कराया गया था. धारा 370 के सदन में पास होने के बाद उन्होंने अपना आखिरी ट्वीट किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह को बधाई दी और कहा कि मैं यही दिन देखने के लिए जिंदा थी.

2016 में किडनी ट्रांसप्लांट के बाद से ही वह सक्रिय राजनीति से किनारा करना शुरू कर दिया था. स्वास्थ्य ठीक न होने की वजह से ही उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव लड़ने से मना कर दिया था.

सुपर मॉम के रूप में थीं पॉपुलर

विदेशमंत्री रहते हुए सुषमा स्वराज देश की सुपर मॉम के रूप में पॉपुलर थीं. देश हो या फिर विदेश या फिर बात करें पाकिस्तान की सुषमा सुपर मॉम के रूप में पॉपुलर थीं. विदेश मंत्री रहते हुए उन्होंने पासपोर्ट से लेकर भारतीयों के फंसे होने न मिलने के गुजारिश वाले हर ट्वीट पर संज्ञान लिया और हर किसी को जवाब देते हुए उनकी शिकायत का निवारण किया. यही नहीं काम पूरा हो जाने पर वह सूचना भी देती थीं. जिसकी वजह से वह दबी जुबान में सुपर मॉम के रूप में पहचानी जाने लगी थीं.

दुश्मन देश जब हमारे देश पर आक्रमण कर रहा था तब भी सुषमा पाकिस्तान के लोगों के गुहार को भली भांति सुनती थी और उनके वीजा का इंतजाम भी करती थीं. जिसकी वजह से उनकी काफी किरकिरी भी हुई थी. सोशल मीडिया पर उन्हें गाहे-बगाहे काफी ट्रोल भी किया जाता रहा था. 21 जुलाई को उन्हें इरफान ए खान नामक ट्रोलर ने लिखा था आप भी बहुत याद आएंगी एक दिन, शीला दीक्षित की तरह अम्मा…तो उन्होंने भी बड़ी तत्परता से उसे जवाब देकर कहा था आपकी इस भावना के लिए अग्रिम धन्यवाद.

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बता दें कि 10 जुलाई को शक्तिशाली भारत का समर्थक ने जब ट्वीट कर उन्हें कहा था- आदरणीय मैम आप जल्दी ठीक हो जाए, हमलोग आपके साथ हैं. गेट वेल सून. तो उन्होंने लिखा था दीक्षा आप चिंता न करें. मैं बिलकुल ठीक हूं.
उसके तुरंत बाद ही उन्होंने ट्वीट कर लिखा था कि आज के ट्वीट्स को देख कर ऐसा लगता है कि जैसे मेरे अस्वस्थ होने की अफवाह चल रही है. मैं सभी शुभचिंतकों को बताना चाहती हूं कि कृपया चिंता न करें मैं बिलकुल ठीक हूं.

साड़िया उनकी पहचान थी

चौड़ी बिंदी, साड़ी और जैकेट पहनने वाली सुषमा देश के अंदर और बाहर सुपर मॉम के रूप में तब और पॉपुलर हो गईं थीं. वह दिन के हिसाब और रंग के हिसाब से साड़िया पहनती थीं. उसपर जैकेट भी मैचिंग हुआ करता था. सुषमा अपनी मुस्कान के साथ पाकिस्तान वालों में खूब पॉपुलर थीं. किसी के दिल का इलाज होना हो या फिर कैंसर का. किसी को परिवार वालो से मिलना हो या फिर वीजा लगवाना हो..

सोशल मीडिया पर सुषमा को संदेश आया नहीं कि काम हुआ नहीं. सुपरमॉम तब और चर्चा में आईं जब उन्होंने पाकिस्तान की जेल में बंद कुलभूषण जाधव के परिवार को खासकर उनकी मां और पत्नी को जाधव से मिलवाने के लिए खून- पसीना एक कर दिया..वहीं मूक बधिर पाकिस्तान से लाई गई गीता को तो उन्होंने मां कि तरह प्यार किया. उन्होंने कहा की गीता इस देश की बेटी है. अगर वह अपने परिवार वालों से नहीं भी मिल पाती है तब भी वह पाकिस्तान वापस नहीं जाएगी. भारत सरकार उसकी देखरेख करेगी और उसका सारा खर्च वहन करेगी. यहां तक कि गीता के माता-पिता को ढूंढने के साथ वह उसके लिए लड़का भी तलाश करने में जुट गई थीं.

कैसा था उनका राजनीति सफर

सुषमा स्वराज का जन्म 14 फरवरी 1952 को हरियाणा के अंबाला में हुआ था. उन्होंने अंबाला छावनी के एसडी कॉलेज से बीए किया. इसके बाद पंजाब विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री ली. वाक चातुर्य सुषमा भाषण और वाद-विवाद में स्कूल के दिनों से ही आगे रहीं और उनकी यही वाक चातुर्य राजनीति में भी खूब देखने को मिली. सुषमा ने पढ़ाई पूरी करते ही 13 जुलाई 1975 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील स्वराज कौशल से विवाह किया.उनकी एक बेटी है जो लंदन में वकालत कर रही है.
कौशल से शादी के बाद उन्होंने ने राजनीति में 1977 में कदम रखा. सुषमा को सबसे कम उम्र की कैबिनेट मंत्री बनने का रिकॉर्ट भी बनाया था. सुषमा 1977 से 1979 तक मंत्री पद पर रहीं और कल्याण, श्रम और रोजगार सहित कई पद संभाले.
सुषमा ने जब राजनीति में कदम रखा उस दौरान भी भारतीय राजनीति में महिलाएं बहुत कम आया करती थीं. हरियाणा में पली बढ़ी सुषमा 11 साल तक हरियाणा की राजनीति में सक्रिय रहीं. फिर उन्होंने दिल्ली का रुख किया और भाजपा में शामिल हुईं. अप्रैल 1990 में, सुषमा स्वराज को राज्य सभा की सदस्य के रूप में निर्वाचित किया गया था. जबिक 1996 में सुषमा स्वराज 11वीं लोकसभा के दूसरे कार्यकाल में सदस्य बनीं.

यही नहीं अटल बिहारी वाजपेयी की करीबी मानी जाने वाली सुषमा 1998 में दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं. लेकिन उस दौरान महंगाी इतनी बढ़ी और नवंबर 1998 में दिल्ली विधानसभा के हौज खास विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से चुना गया, लेकिन इन्होंने लोकसभा सीट को बरकरार रखने के लिए विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया. वैसे सुषमा ने 1996 में, अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में तेरह दिन की सरकार के दौरान, सूचना और प्रसारण की केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के रूप में पदभार संभाला और लोकसभा के लाइव प्रसारण का एक क्रांतिकारी कदम उठा कर देश-दुनिया को लोकसभा तक पहुंचा दिया. .

सुषमा ने अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में राज्य सभा की सदस्यता हासिल की और वह एकबार फिर सूचना एंव प्रसारण मंत्री बनीं. अप्रैल 2000 में सुषमा स्वराज को पुनः राज्यसभा की सदस्या के रूप में निर्वाचित किया गया था. वह सुषमा ही थीं जिन्हें विपक्ष की पहली महिला नेता बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था. वह चूंकि लालकृष्ण आडवाणी की भी करीबी रहीं थीं इसलिए उन्हें यह पद दिया गया. सुषमा के कद और उनकी तत्परता को देखते हुए नरेंद्र मोदी की सरकार में विदेश मंत्री बनाया गया जिसके बाद वह देश की सुपर मॉम के रूप में उभरीं. विश्व के किसी भी कोने से उन्हें संदेश भेजा गया हो उन्होने न केवल उसे जवाब दिया बल्कि उसकी परेशानी का भी निवारण किया.

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