भोपाल: इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले मध्य प्रदेश में कांग्रेस भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के असंतुष्ट नेताओं का अपने पाले में वापस लाकर अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने की कोशिश कर रही है. पार्टी को उम्मीद है कि उन नेताओं का इस्तेमाल कांग्रेस के उन बागी नेताओं के खिलाफ किया जाएगा जिन्होंने 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ पाला बदल लिया था और कमल नाथ के नेतृत्व वाली सरकार को गिरा दिया था.
मार्च 2020 में सिंधिका के नेतृत्व में 22 वफादार विधायक बीजेपी में शामिल हो गए थे, जिसके कारण कांग्रेस को न केवल मध्य प्रदेश की सत्ता खोनी पड़ी थी, बल्कि इन निर्वाचन क्षेत्रों में उनका संगठनात्मक बुनियादी ढांचा भी कमजोर हो गया था.
दिप्रिंट को जानकारी मिली है कि कांग्रेस अपना आधार मजबूत करने के लिए उन बीजेपी नेताओं तक पहुंच रही है जो सत्ताधारी पार्टी द्वारा दरकिनार या नजरअंदाज महसूस कर रहे हैं. पिछले तीन महीनों में पूर्व मंत्री दीपक जोशी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कुछ पदाधिकारियों सहित दो दर्जन से अधिक बीजेपी नेता कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं.
पिछले हफ्ते, तीन बीजेपी नेता- दतिया से अवधेश नायक, सागर से राजकुमार धनोरा, और कोलारस (शिवपुरी) से सिंधिया के वफादार रघुराज सिंह धाकड़- कांग्रेस में शामिल हो गए थे.
इससे पहले भी बीजेपी के असंतुष्ट नेताओं को टिकट देने से कांग्रेस को फायदा हुआ है. उदाहरण के लिए, 2020 के उपचुनावों के दौरान कांग्रेस ने क्रमशः ग्वालियर पूर्व और डबरा से सतीश सिकरवार और सुरेश राजे को मैदान में उतारा था. वे 2020 में सिंधिया के वफादार मुन्नालाल गोयल और इमरती देवी को हराने में कामयाब रहे.
एक वरिष्ठ कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री ने दिप्रिंट को बताया, “कांग्रेस सभी 230 विधानसभा सीटों पर ध्यान केंद्रित कर रही है, लेकिन हमारा विशेष ध्यान दलबदलुओं और लोकतंत्र के हत्यारों पर है. हम उन्हें मजा चखाना चाहते हैं. मध्य प्रदेश के लोगों में जबरदस्त असंतोष है और जनता उन्हें सबक सिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी.”
बीजेपी से पाला बदलकर कांग्रेस में आने वाले लोगों में से सबसे नए धाकड़ हैं. वह धाकड़ या किरार समुदाय का एक प्रमुख नेता माने जाते हैं, जो पार्टी नेताओं के अनुसार, चार लाख से अधिक मतदाताओं के साथ अशोक नगर और गुना लोकसभा क्षेत्रों में एक प्रमुख जाति समूह है. धाकड़, जो गुरुवार को कांग्रेस में शामिल हुए, बैजनाथ यादव और राकेश गुप्ता के बाद ऐसा करने वाले सिंधिया के तीसरे वफादार हैं. पार्टी नेताओं को उम्मीद है कि इनके आने से व्यापारी समुदाय के बीच अपना आधार बढ़ाकर शिवपुरी में पार्टी को मजबूत प्रदान की जा सकती है.
एक स्थानीय समुदाय के नेता ने दिप्रिंट को बताया, “चूंकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी इसी जाति (किरार समुदाय) से हैं, इसलिए बीजेपी ने पार्टी में समुदाय के नेताओं को जगह नहीं दी, जिन्हें काफी हद तक नजरअंदाज किया गया.”
सत्ताधारी दल बीजेपी खेमे में भी चुनाव की तैयारी तेज हो गई है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आगामी चुनावों के लिए बीजेपी की रणनीति तैयार करने के लिए जुलाई में तीन आंतरिक बैठकें कीं. राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, इन बैठकों का फोकस अलग-अलग गुटों को नियंत्रण में रखना और चुनावों में सुचारू समन्वय सुनिश्चित करना है.
राजनीतिक विश्लेषक दिनेश गुप्ता ने बीजेपी पार्टी संरचना के भीतर मुद्दों की ओर इशारा किया. उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “बीजेपी द्वारा 2018 को छोड़कर लगातार चुनाव जीतने के बावजूद, ऐसा क्यों है कि अमित शाह और दो अन्य केंद्रीय नेताओं को आगे आकर रणनीति बनानी पड़ रही है? इससे क्या पता चलता है कि या तो स्थानीय बीजेपी नेता आगामी चुनावों के लिए रणनीति बनाने में सक्षम नहीं हैं या वे एक साथ काम नहीं करना चाहते हैं.”
उनके मुताबिक, शाह की इन बैठकों के बाद नरेंद्र सिंह तोमर को चुनाव प्रबंधन समिति का संयोजक बनाया गया है और बीजेपी के वरिष्ठ नेता एक साथ नजर आए, लेकिन जमीन पर वह तालमेल नजर नहीं आ रहा है.
गुप्ता ने कहा, “भले ही बीजेपी नेताओं को नाराज कार्यकर्ताओं को मनाने का काम सौंपा गया था, लेकिन इसका असर जमीन पर नहीं दिख रहा है क्योंकि कई कार्यकर्ता कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं.”
इस बीच, जब उनसे उनके समर्थकों के कांग्रेस में लौटने के बारे में पूछा गया, तो जुलाई के पहले सप्ताह में गुना में सिंधिया ने कथित तौर पर कहा, “राजनीतिक दल में लोग आएंगे, लोग जाएंगे, ये कोई पहली बार नहीं है, ना ही ये कोई नहीं बात है. आज़ादी के समय से ये प्रक्रिया चलती आ रही है.”
उन्होंने उन नेताओं को भी शुभकामनाएं दीं जो अब पार्टी छोड़कर कांग्रेस के साथ जा रहे हैं.
हालांकि, पार्टी के तमाम प्रयासों के बावजूद, दिप्रिंट से बात करते हुए एक कांग्रेस नेता ने इस बात पर ज़ोर दिया, “सभी खुले तौर पर कांग्रेस में शामिल होने के इच्छुक नहीं होंगे, कुछ ऐसे भी हो सकते हैं जो बीजेपी में रहते हुए कांग्रेस के लिए काम करेंगे.”
इसके अलावा, कांग्रेस, बीजेपी नेताओं को शामिल करते समय, विधानसभा चुनाव से पहले अपनी स्थानीय इकाइयों को नाराज न करने का भी ध्यान रख रही है. पार्टी ने कहा है कि वह बीजेपी नेताओं को टिकट देने के आश्वासन के साथ शामिल नहीं कर रही है और टिकट वितरण केवल पार्टी द्वारा किए गए विभिन्न सर्वेक्षणों के अनुसार उम्मीदवार की जीतने की क्षमता के आधार पर किया जाएगा.
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कांग्रेस का रोडमैप
पार्टी सूत्रों के अनुसार, दलबदल का बदला लेने के लिए, जिसके कारण कांग्रेस सरकार गिर गई थी, कमल नाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस दलबदलुओं को घेरने की रणनीति बना रही है और उन बीजेपी नेताओं को अपनी ओर खींचने की कोशिश कर रही है जो बीजेपी में खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं.
तीन बीजेपी नेताओं को कांग्रेस में शामिल करने के बाद, कांग्रेस के राज्य प्रमुख कमल नाथ ने 7 अगस्त को भोपाल में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मजाक में कहा, “मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अगर चाहें तो कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं. उनका स्वागत है. लेकिन उन्हें ऐसा करने के लिए स्थानीय नेतृत्व के अनुमति की आवश्यकता होगी.”
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि गुना के उनके गढ़ में सिंधिया के प्रभाव को कमजोर करने के लिए, अशोक नगर जिले के मुंगावली के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष और तीन बार के बीजेपी विधायक देशराज यादव के बेटे राव यादवेंद्र सिंह यादव को मार्च में कांग्रेस में शामिल किया गया था. मुंगावली और कोलारस दोनों गुना लोकसभा सीट का हिस्सा हैं.
कांग्रेस अन्य सिंधिया समर्थकों को भी चुनौती देने की कोशिश में है जो अब चौहान कैबिनेट में मंत्री हैं. बुंदेलखंड क्षेत्र के सागर जिले के सुरखी का प्रतिनिधित्व करने वाले मौजूदा राजस्व और परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत को चुनौती देने के लिए, कांग्रेस ने रविवार को उनके कट्टर प्रतिद्वंद्वी और बीजेपी नेता राजकुमार धनौरा को पार्टी शामिल किया है.
इसी तरह, गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा को घेरने के लिए, जो दतिया से 2,600 वोटों के मामूली अंतर से जीते थे, कांग्रेस ने दतिया से आरएसएस नेता अवधेश नायक को पार्टी में शामिल किया है. इसकी जानकारी पार्टी सूत्रों ने दी.
सागर ग्रामीण के लिए कांग्रेस के जिला प्रभारी आनंद अहिरवार के अनुसार, “इस महीने के अंत तक सागर जिले से कम से कम तीन-चार बीजेपी नेता के कांग्रेस में शामिल होने की संभावना है.”
कांग्रेस उन 66 सीटों पर भी अपनी स्थिति मजबूत करने में जुटी है, जिन पर वह तीन बार से अधिक समय से हार रही है. कांग्रेस के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने दिप्रिंट को बताया कि पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह को इन सीटों का विश्लेषण करने का काम सौंपा गया था और उन्होंने इनमें से कम से कम 30 सीटें जीतने की रणनीति के साथ जुलाई के मध्य में कमल नाथ को एक रिपोर्ट सौंपी थी.
बीजेपी में गुटबाजी पर कटाक्ष करते हुए, 8 अगस्त को, सिंह ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया था, “मध्य प्रदेश में बीजेपी के कितने अंग और रंग हैं आप भी पहचानिए; नाराज़ (नाखुश) बीजेपी, महाराज बीजेपी, शिवराज बीजेपी और शाह बीजेपी (जो सबसे नया गुट है).”
उन्होंने कहा, “पहले तीन गुटों को मजबूत करने, नियंत्रित करने और संतुलित करने के लिए, शाह-बीजेपी के एक नए गुट में दो केंद्रीय मंत्रियों भूपेन्द्र यादव और अश्विनी वैष्णव को जोड़ा गया. क्या इसका मतलब यह है कि मोदीजी को अपने स्थानीय नेतृत्व पर भरोसा नहीं है?”
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संभावित उम्मीदवार
सिंह के इनपुट के मुताबिक, कांग्रेस बीजेपी की राज्य कार्य समिति के सदस्य और नीमच जिले के जावद से पूर्व कांग्रेस नेता समंदर पटेल को पार्टी में शामिल कर सकती है. पटेल ने शुक्रवार को नीमच में जिला कांग्रेस टीम के साथ एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कांग्रेस में वापसी की घोषणा की, लेकिन राज्य नेतृत्व की ओर से आधिकारिक घोषणा आने वाले दिनों में होने की संभावना है.
जावद के 2018 परिणाम के विश्लेषण के अनुसार, पटेल ने 2018 में कांग्रेस छोड़ दी थी और निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा था और 33,000 वोट हासिल किए थे, जिससे बीजेपी के ओम प्रकाश सकलेचा को जीतने में आसानी हुई. सकलेचा अब चौहान सरकार में विज्ञान और प्रौद्योगिकी और एमएसएमई मंत्री हैं.
पटेल ने वोट बांटकर कांग्रेस उम्मीदवार को नुकसान पहुंचाया था, लेकिन उनके शामिल होने से पार्टी बीजेपी के खिलाफ एकजुट होकर लड़ाई लड़ सकेगी.
समझा जाता है कि कांग्रेस रायसेन जिले के सांची से सात बार के बीजेपी विधायक गौरी शंकर शेजवार के बेटे मुदित शेजवार के भी संपर्क में है. उम्मीद है कि उन्हें स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी के खिलाफ मैदान में उतारा जाएगा जो कि सांची से जीते हुए सिंधिया समर्थक हैं.
एक और सिंधिया समर्थक जिन्हें बीजेपी के भीतर विरोध का सामना करना पड़ रहा है, वे हैं उद्योग नीति और निवेश प्रोत्साहन मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव. उन्हें धार जिले के बदनावर से बीजेपी नेता भंवर सिंह शेखावत से कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है.
शेखावत ने कथित तौर पर सच्चे कार्यकर्ताओं और जन नेताओं के बीच अंतर करने की क्षमता खोने के लिए बीजेपी की आलोचना की. 2020 में दत्तीगांव के बीजेपी में शामिल होने के बाद बदनावर के पूर्व विधायक को छोड़ दिया गया था. सिंधिया के वफादार ने बदनावर से उपचुनाव जीता और बाद में उन्हें मंत्री बनाया गया.
(संपादनः ऋषभ राज)
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