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Wednesday, 20 November, 2024
होमराजनीतिन प्रोटोकाल न तामझाम, `विंडसर प्लेस' में लोकसभा स्पीकर बिरला का लगता है जनता दरबार

न प्रोटोकाल न तामझाम, `विंडसर प्लेस’ में लोकसभा स्पीकर बिरला का लगता है जनता दरबार

कोटा समेत पूरे राजस्थान के लोग स्पीकर बिरला से मिलने सुबह से लेकर देर रात तक पहुंच रहे है. मिलने वालों की न सिर्फ सुनवाई हो रही है बल्कि राजस्थानी व्यंजनों से खातिरदारी भी हो रही है.

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नई दिल्ली: महज दूसरी बार के सांसद ओम बिरला ने लोकसभा स्पीकर की कुर्सी संभालने के बाद सदन की कई पुरानी परंपराओं को बदल दिया है. सदन शुरू होने से पहले और खत्म होने के बाद स्पीकर के चोंगे से निकलकर बिरला राजस्थान के कोटा से सांसद की भूमिका में आ जाते है और अपना ‘जनता दरबार’ लगाते हैं.

अभी नया बंगला तैयार नहीं हुआ है, लेकिन पुराने घर पर ही दरबार सजने लगा है. राजस्थान के लोग स्पीकर से मिलने हर सुबह से लेकर देर रात तक पहुंच रहे हैं. मिलने वालों की न सिर्फ सुनवाई हो रही है बल्कि राजस्थानी व्यंजनों से खातिरदारी भी हो रही है. स्पीकर के बंगले का माहौल न तो प्रोटोकाल में बंध रहा है न ही सुरक्षा कवच से असहज नजर आ रहा है. मुलाकातियों को पधार जो सा…कहकर विदाई दी जा रही है.

विंडसर प्लेस आवास में लोगों के लिए खास एयर कंडीशन्ड डोम बनाया गया है. मिलने आने वाले लोग वहां इंतज़ार ठेठ राजस्थानी व्यंजनों का मज़ा लेते हुए करते हैं. बिरला न केवल एक-एक से मिलते हैं बल्कि ​हर मेहमान के साथ बकायदा तस्वीर भी खिंचवाते हैं. हाल यह है कि बिरला भले ही कोटा के सांसद हो, लेकिन राजस्थान के सभी लोकसभा क्षेत्रों की जनता उनके पास समस्या लेकर पहुंचने लगी है. शायद ही पहले कभी किसी लोकसभा अध्यक्ष का यह रुप नज़र आया हो. और पहली बार लोकसभा अध्यक्ष के घर में आम जनता की बेरोक-टोक एंट्री शुरू हुई है. नए अंदाज से ​बिरला ने अपने बारे में कयास लगा रहे पुराने राजनीतिज्ञों को भी चौका दिया है.


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जब से बिरला ने लोकसभा स्पीकर का काम संभाला है. लोगों का आना जाना उनके निवास पर बढ़ गया है. जब भी वह  लोगों से मिलते है तो सीधे यह कहते है कि ‘मैं तो वहीं आपका पुराना सांसद हूं. जो भी समस्याएं हो, बताएं. मैं उसका समाधन करने की पूरी कोशिश करुंगा.’

सरकारी सुस्ती से दूर लोकसभा टी.वी

जो तेज़ी लोक सभा के संचालन में दिख रही है, उसी तरह का नज़ारा वर्षों से उंघते हुए संसदीय चैनल लोकसभा टी.वी की सरकारी सुस्ती पर भी देखने को मिल रहा है. सदन से लेकर स्पीकर के बंगले तक कैमरामेन से लेकर वीडियो जर्नलिस्ट की ड्यूटी का नया चार्ट तैयार किया गया है. चैनल में पांच दिन का सप्ताह छह दिनों के काम की परंपरा में तब्दील हो गया है. सरकारी अंदाज में चैनल की नौकरी बजा रहे स्टाफ अब वक्त का पाबंद हो गया है. चैनल नए तरह के कार्यक्रमों का प्रस्ताव बनाने में जुटा हुआ है. इधर,नए स्पीकर के पास बीते जमाने में सरकारी न्यूज़ चैनल में पसंद नापसंद के आधार पर हुई नियुक्तियों को लेकर शिकायतें भी पहुंचने लगी है.

कार्यवाही खत्म होने के बाद करते है अगले दिन की तैयारी 

लोकसभा अध्यक्ष संसद सत्र के दौरान पूरे समय संसद भवन में ही मौजूद रहते है. वे प्रशनकाल व शून्यकाल निपटाने के बाद ही कुछ देर के लिए अपने ​आफिस में आते है. इस दौरान वे दोपहर का खाना खाते है. वहीं संसदीय प्रक्रिया से जुड़े मसले पर संसदीय कार्य मंत्री और अफसरों से चर्चा भी करते है.  इस बीच संसद सदस्यों के अलावा ​मिलने आने वालों से भी मुलाकात करते है. अपना पूरा समय सदन में देने वाले स्पीकर को जब दिखता है कि सदन में हंगामा हो रहा है या छोटे विषय पर विवाद खड़ा हो रहा है तो खुद सदन में पहुंच जाते है. दोनों पक्षों की बातों को सुनकर मामले को शांत करवाते है. लोकसभा की कार्यवाही खत्म होने के बाद वे संसदीय कार्यमंत्री और लोकसभा सचिवालय के अधिकारियों के साथ बैठक कर अगले दिन की तैयारी करते है.

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अपने निवास पर लोगों से ​मुलाकात करने के बाद संसद जाते लोकसभा स्पीकर ओम बिरला. फोटो: ​सूरज बिष्ट / दिप्रिंट

कार्यवाही में इंग्लिश का प्रयोग बंद हिंदी पर ज़्यादा ज़ोर 

लोकसभा अध्यक्ष हिंदी के साथ साथ अंग्रेज़ी भी अच्छे से बोल लेते है. इसके बावजूद वह सदन की कार्यवाही में अंग्रेज़ी के शब्दों का प्रयोग नहीं करते है. वे कभी भी दूसरे सदस्यों को​ हिंदी में बोलने के लिए नहीं कहते है. लोकसभा अध्यक्ष ने सांसदों को ऑनरेबल एमपी के संबोधन के बजाए `माननीय सदस्यगण ` कहकर संबोधन करते है. वे एडजर्नमेंट मोशन को स्थगन प्रस्ताव और `ज़ीरो आवर` को शून्य काल कहते है. ​विधेयक को पारित करवाने की प्रक्रिया में उन्होंने ‘आय्स’ और ‘नेय्स’ को भी तिलांजलि दे दी है.

स्थगित नहीं होने के लिए याद रखी जाएगी 17 वीं लोकसभा 

लोकसभा की कार्यवाही के दौरान कई मुद्दों को लेकर विपक्षी दल हंगामा करते नज़र आते है. इस दौरान स्पीकर कई बार यह बोलते है कि मेरे लिए सभी दल सामना है. सत्ता पक्ष की तरफ से बार बार होती टोका टोकी को लेकर भी स्पीकर सख्त लहजे में कई बार हिदायत देते है कि आप भले ही संख्या में ज्यादा हो,लेकिन यह सदन सभी का है.सभी को अपना पक्ष रखने के लिए समय मिलेगा. उनका दावा है कि 17 वीं लोकसभा बार बार स्थगित नहीं होने के लिए याद रखी जाएगी.


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वहीं जब किसी मुद्दे पर सदन में हंगामा होता है तो बिरला यह कहते नजर आते है ‘आसन पैरों पर है. परंपरा के मुताबिक जब कभी स्पीकर अपनी कुर्सी से खड़े होते हैं, दूसरे सदस्य बैठ जाते हैं.लेकिन सदस्य कई दफा स्पीकर के निर्देशों को अनसुना कर हंगामे में लगे रहते है. इस बीच स्पीकर बिरला आसन पैरों पर है, कहकर सांसदों को मर्यादा की याद दिलाते है.

पुराने नियमों को बदला, सदन के कामकाज बढ़ाने पर ज़ोर 

लोकसभा स्पीकर का सबसे ज़्यादा ज़ोर लोकसभा  को सुचारू चलाने और काम निपटाने पर है. प्रशनकाल में एक मिनिट भी बर्बाद नहीं हो इसके लिए वह लंबे प्रशन पूछने और लंबे जवाब को भी छोटा करने पर जोर देते है. बिरला ने एक घंटे के शून्यकाल की परंपरा को खत्म करने के अलावा विपक्ष को मंत्री के जवाब के बाद सफाई देने जैसी नई परंपरा भी शुरु की.

शून्यकाल के दौरान ज़्यादा से ज़्यादा नए सदस्यों को बोलने का मौके देने की शुरुआत भी हुई. वहीं सदस्यों के लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पीछे आकर मार्शल से बात करने और उन्हें पर्ची देने की परंपरा को खत्म कर दिया है. संसद सदस्यों को अपनी जगह से बैठे बैठे बोलने और टोका टोकी पर भी रोक लगाई है.


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पूर्व में सत्र के दौरान जब कभी निवृत्तमान सदस्य की मौत हो जाती थी तो सदन में श्रद्धांजलि देने के बाद कार्यवाही को दिनभर के लिए स्थगित कर दिया जाता था. लेकिन अब इस परंपरा को भी बदल दिया गया है. हाल ही में केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के छोटे भाई और बिहार से लोजपा के समस्तीपुर से सांसद रामचंद्र पासवान की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी. सदन में उनकों श्रद्धाजंलि दी गई. इसके बाद कार्यवाही को केवल आधे दिन के लिए स्थगित किया था.

अब तक तो नए स्पीकर विपक्ष को भी रास आ रहे हैं पर वक्त ही बतायेगा कि पार्टी पोलिटिक्स से उपर उठ कर एक स्वतंत्र और निश्पक्ष स्पीकर के रुप में उभर रही अपनी पहचान को बिरला जारी रख पाते हैं या नहीं.

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