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Friday, 15 November, 2024
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SC ने स्पीकर से कहा, शिवसेना विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिका पर कार्रवाई न करें

प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की एक पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की ओर से दाखिल किए उस प्रतिवेदन पर गौर किया.

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नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र विधानसभा के नवनिर्वाचित अध्यक्ष राहुल नारवेकर को, उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना धड़े के विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग कर रही याचिका पर फिलहाल कोई फैसला ना लेने का सोमवार को निर्देश दिया.

प्रधान न्यायाधीश एनवी रमन्ना, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की एक पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की ओर से दाखिल किए उस प्रतिवेदन पर गौर किया, जिसमें कहा गया था कि उद्धव ठाकरे धड़े की ओर से दायर कई याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई होनी है.

सिब्बल ने कहा, ‘अदालत ने कहा था कि याचिकाओं को 11 जुलाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा. मैं आग्रह करता हूं कि मामले पर सुनवाई पूरी होने तक अयोग्यता संबंधी कोई फैसला ना किया जाए.’

उन्होंने यह भी कहा कि बागी विधायकों के संपर्क करने पर शीर्ष अदालत ने उन्हें राहत दी थी.

सिब्बल ने कहा, ‘हमारी अयोग्यताओं संबंधी याचिकाओं पर अध्यक्ष कल सुनवाई करने वाले हैं…मामले पर सुनवाई पूरी होने तक किसी को अयोग्य नहीं ठहराया जाना चाहिए. मामले पर यहां (शीर्ष अदालत में) फैसला होना चाहिए.’

पीठ ने कहा, ‘श्रीमान मेहता (राज्यपाल की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता), आप कृपया विधानसभा अध्यक्ष को सूचित करें कि वह इस संबंध में कोई सुनवाई ना करें. मामले पर सुनवाई हम करेंगे.’’

इसके बाद, राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि वह विधानसभा अध्यक्ष तक यह संदेश पहुंचा देंगे.

एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के बागी विधायकों के महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन करने के बाद, ठाकरे गुट ने शीर्ष अदालत में कई याचिकाएं दायर की हैं.

उद्धव ठाकरे नीत धड़े ने तीन और चार जुलाई को हुई महाराष्ट्र विधानसभा की कार्यवाही की वैधता को भी चुनौती दी है, जिसमें विधानसभा के नए अध्यक्ष का चयन किया गया था और इसके बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शक्ति परीक्षण में बहुमत साबित किया था.

इससे पहले, ठाकरे गुट के मुख्य सचेतक सुनील प्रभु ने मुख्यमंत्री और 15 बागी विधायकों को विधानसभा से निलंबित करने की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था, जिनके खिलाफ अयोग्यता याचिकाएं लंबित हैं.

उच्चतम न्यायालय की अवकाशकालीन पीठ ने 27 जून को शिंदे गुट को राहत प्रदान करते हुए 16 बागी विधायकों को भेजे गए अयोग्यता नोटिस पर जवाब देने की अवधि 12 जुलाई तक बढ़ा दी थी.

महाराष्ट्र के राज्यपाल के शक्ति परीक्षण का आदेश देने के बाद 29 जून को महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार ने शीर्ष अदालत का रुख किया था. अदालत के राज्यपाल के आदेश पर रोक लगाने से इनकार करने के बाद उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.

एकनाथ शिंदे ने 30 जून को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, जिसके बाद प्रभु ने उन पर और 15 बागी विधायकों पर ‘भाजपा के प्यादों के तौर पर काम करने, दलबदल कर संवैधानिक पाप करने’’ जैसे आरोप लगाए तथा उनके निलंबन की मांग करते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया था.’

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