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Thursday, 18 April, 2024
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केरल में दो विधानसभा सीटों पर सबरीमला मुद्दा चुनाव प्रचार के केंद्र में, मुकाबला त्रिकोणीय

सत्तारूढ़ एलडीएफ और विपक्षी यूडीएफ और राजग मतदाताओं के बीच विकास समेत विभिन्न मुद्दे उठा रही है लेकिन इन दोनों निर्वाचन क्षेत्रों पर सबरीमला मंदिर का मुद्दा चर्चा का मुख्य विषय है.

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तिरुवनंतपुरम : केरल में मध्य त्रावणकोर (दक्षिण केरल) में पश्चिमी घाट की सीमा से लगते एक ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र और देश का आईटी हब कहा जाने वाला यहां दूसरा क्षेत्र एक-दूसरे से बहुत दूर स्थित है लेकिन इन दोनों निर्वाचन क्षेत्रों के बीच एक चीज समान है.

पथनमथिट्टा जिले में कोन्नी विधानसभा क्षेत्र और राज्य की राजधानी में स्थित काजाकुट्टम की दूरी बहुत अधिक है लेकिन यहां चुनाव प्रचार अभियान के दौरान सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश और धर्म की रक्षा का मुद्दा चर्चा का केंद्र बना हुआ है.

दोनों सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है, जहां भाजपा को तेजी से बढ़ते मत प्रतिशत पर उम्मीदें है जबकि पारंपरिक विरोधी माकपा के नेतृत्व वाली एलडीएफ और कांग्रेस नीत यूडीएफ अपना-अपन वर्चस्व कायम करने को लेकर आश्वस्त हैं.

सत्तारूढ़ एलडीएफ और विपक्षी यूडीएफ और राजग मतदाताओं के बीच विकास समेत विभिन्न मुद्दे उठा रही है लेकिन इन दोनों निर्वाचन क्षेत्रों पर सबरीमला मंदिर का मुद्दा चर्चा का मुख्य विषय है.

काजाकुट्टम में माकपा नेता और देवस्व ओम मंत्री कदाकम्पल्ली सुरेंद्रन एलडीएफ प्रत्याशी के तौर पर दूसरी बार यह सीट जीतने की कवायद में लगे हैं. उन्हें मंदिर मामलों का मंत्री रहते हुए महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे पर तीखी आलोचना का सामना करना पड़ा था.

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उन्हें शिकस्त देने के लिए भाजपा ने अपनी तेज-तर्रार नेता और सबरीमला में महिलाओं के प्रवेश की मुखर आलोचक रही शोभा सुरेंद्रन को चुनावी मैदान में उतारा है जबकि यूडीफ ने जाने माने स्वास्थ्य विशेषज्ञ एस एस लाल को जिम्मेदारी सौंपकर इस क्षेत्र के शिक्षित और पेशेवर मतदाताओं को साधने की कोशिश की है.

सत्तारूढ़ एलडीएफ ने सबरीमला को चुनावी मुद्दा न बनाए जाने की भरसक कोशिश लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान सुरेंद्रन की एक टिप्पणी ने खेल पूरा बदल दिया.

सुरेंद्रन ने 2018 में सबरीमला में महिलाओं के प्रवेश को लेकर हुई घटनाओं पर खेद जताया और इसे ऐसी घटना बताया, जो भगवान अयप्पा के मंदिर में ‘कभी नहीं होनी चाहिए.’

हालांकि, पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी ने फौरन इस ‘खेद’ को खारिज किया और कहा कि वाम दल का महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे पर रुख पहले जैसा है और राज्य सरकार उच्चतम न्यायालय का फैसला लागू करने के लिए बाध्य है.

विपक्षी दल कांग्रेस और भाजपा ने इस मुद्दे को तूल देते हुए काजाकुट्टम में इसे चुनावी हथियार बनाया.

भाजपा उम्मीदवार शोभा सुरेंद्रन ने कहा कि उनकी किस्मत ने उन्हें इस क्षेत्र में देवस्व ओम मंत्री के खिलाफ खड़ा कर दिया है और उन्होंने उम्मीद जताई कि श्रद्धालु इस लड़ाई में उनके साथ खड़े होंगे.

वहीं, कोन्नी ऐसा विधानसभा क्षेत्र है, जहां सबरीमला का मुद्दा स्वाभाविक ही उठेगा क्योंकि यह पथनमथिट्टा जिले में आता है, जहां भगवान अयप्पा का मंदिर स्थित है.

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन की उम्मीदवारी से इस सीट की महत्ता बढ़ गई है जिन्होंने इस मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की अनुमति देने के उच्चतम न्यायालय के आदेश को लागू करने के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ कई प्रदर्शनों का नेतृत्व किया था.

दूसरी ओर एलडीएफ के मौजूदा विधायक के यू जनीश कुमार को वाम सरकार द्वारा किए गए कई विकास कार्यों के बल पर अपनी जीत बरकरार रखने की उम्मीद है. इन विकास कार्यों में एक सरकारी मेडिकल कॉलेज शुरू करना और पुनालुर-मुवाट्टुपुझा राज्य राजमार्ग का निर्माण शामिल है.

यूडीएफ के रॉबिन पीटर निर्वाचन क्षेत्र में सत्ता विरोधी लहर के बल पर यहां से जीत दर्ज करने की कोशिश में हैं.

यह विधानसभा क्षेत्र 1966 से कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ का गढ़ रहा है.

कांग्रेस के दिग्गज नेता और सांसद अदूर प्रकाश ने 1996 से 2016 के बीच लगातार पांच बार इस सीट पर जीत हासिल की.

जब उन्होंने पार्टी के निर्देश पर 2019 संसदीय चुनाव लड़ने का फैसला किया तो यहां उपचुनाव कराया गया, जिसमें जनीश कुमार 9,953 मतों के अंतर से जीत गए.

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