पटना: बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राज्यसभा जाने पर विचार करने को अफवाह और शरारत भरी हरकत बताते हुए शुक्रवार को कहा कि यह सच्चाई से बहुत दूर है.
मुख्यमंत्री के विश्वासपात्र माने जाने वाले संजय कुमार झा ने ट्वीट कर कहा, ‘मैं इस अफवाह से हैरान हूं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राज्यसभा जाने पर विचार कर रहे हैं, यह शरारत और सच्चाई से बहुत दूर है.’
उन्होंने कहा, ‘श्री कुमार के पास बिहार की सेवा करने का जनादेश है, और मुख्यमंत्री के रूप में पूरे कार्यकाल तक वह सेवा करना जारी रखेंगे। वह कहीं नहीं जा रहे हैं.’
संजय ने कहा, ‘नीतीश कुमार 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए का चेहरा थे और लोगों ने इस गठबंधन को सत्ता में बनाये रखने के लिए वोट किया.’
उन्होंने कहा, ‘लोगों की सेवा करने की उनकी (नीतीश की) अटूट प्रतिबद्धता और बिहार को बदलने की क्षमता पुनीत है. मैं सभी से इस तरह के दुष्प्रचार से दूर रहने का आग्रह करता हूं, इससे कोई लाभ नहीं होगा.’
उल्लेखनीय है कि कुछ पत्रकारों के साथ एक अनौपचारिक बातचीत के दौरान नीतीश ने कथित तौर पर राज्यसभा के संदर्भ में अपनी अधूरी इच्छा को लेकर टिप्पणी की थी. पत्रकारों ने उनसे हाल ही में अपने पुराने संसदीय क्षेत्र का दौरा किये जाने को लेकर पूछा था.
पत्रकारों ने मजाकिया लहजे में पूछा था कि क्या नीतीश की फिर से संसदीय चुनाव लड़ने की योजना है?
मीडिया के एक वर्ग द्वारा ऐसी खबरें चलायी जा रही थीं कि जदयू नेता एक शीर्ष संवैधानिक पद के लिए दिल्ली जा सकते हैं. नीतीश कुमार 2005 से बिहार में सत्ता में हैं और सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री बने रहे हैं.
रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि वह राज्य में एक नए ‘सत्ता हस्तानांतरण’ के फार्मूले के लिए सहमत हो सकते हैं, जहां भाजपा को अपना मुख्यमंत्री बनाने की अनुमति दी जा सकती है. भाजपा ने 2020 के विधानसभा चुनावों में जद(यू) से कहीं अधिक सीट जीती हैं.
वेंकैया नायडू के कार्यकाल की समाप्ति के बाद उपराष्ट्रपति पद के लिए नीतीश कुमार के भाजपा की पसंद के रूप में उभरने की अटकलों के बारे में पूछे जाने पर बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने बृहस्पतिवार को कहा था, ‘अच्छा ही रहेगा ना.’
भाषा अनवर सुरेश
सुरेश
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.
यह भी पढ़ें: मोदी सरकार को सशस्त्र बलों के कर्मियों में 10% की कटौती कर, ‘घाटे’ को भरने के लिए भर्ती नहीं करना चाहिए