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Thursday, 25 April, 2024
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आंबेडकर जयंती पर संघ का आह्वान, घरों में जलाएं 7-7 दीये, आंबेडकरवादी बोले- आरएसएस का ढोंग

आरएसएस नहीं चाहता है कि लॉकडाउन, देश के बड़े दलित तबकों के करीब जाने का मौका उससे छीन सके. लिहाजा घर में रहते हुए भी डॉ.आंबेडकर जयंती के बहाने उनके अनुयायियों तक पहुंच बनाने की रणनीति तैयार कर ली है.

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों कोरोनावायरस से मुकाबले में जुटे लोगों के लिए देशभर में दीये जलवाए और लोगों ने उनके इस अनुरोध का पालन भी किया. अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एक संगठन ने मौजूदा लॉकडाउन के आखिरी दिन एक बार फिर दीपक जलाने का आह्वान किया है.  हालांकि राष्ट्रीय सामाजिक समरसता मंच के 14 अप्रैल को घरों में सात-सात दिए जलाने के अनुरोध का कोरोना और देशव्यापी चल रहे लॉकडाउन से कोई लेना नहीं है, बल्कि देश के संविधान निर्माता डॉ.आंबेडकर जयंती मनाने के लिए यह आह्वान किया गया है.

सामाजिक समरसता मंच के दिल्ली प्रांत के संयोजक इंद्रजीत ने दिप्रिंट से कहा,’ संघ की तरफ से 14 अप्रैल को डॉ.आंबेडकर जयंती के अवसर पर पूरे देश के लोगों से घरों में सात दीये जलाने की अपील की गई है. कोरोनावायरस के बढ़े संक्रमण की वजह से हम लोगों ने इस तरह जयंती मनाने का फैसला लिया है.’ साथ ही आपसी समन्वय को लॉकडाउन के माहौल में पुख्ता करने के लिए संगठन टेक्नोलोजी का भी भरपूर इस्तेमाल कर रहा है. इंद्रजीत का कहना था, ‘ ज़ूम एप और स्काइप के जरिए दिल्ली में करीब 12 से 15 सौ शाखाएं लग रही हैं. इसी के माध्यम से और मोबाइल मैसेज से लोगों को घरों में दीप जलाने की बात कही जा रही है. वहीं डॉ.आंबेडकर के जीवन के बारें में भी बताया जा रहा है.’

संघ के इस आव्हान के बाद इस कार्यक्रम को सफल बनाने में विश्व हिंदू परिषद भी मैदान में उतर गई है. वीएचपी के राष्ट्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ​ने दिप्रिंट से कहा, ‘देशभर में जहां भी समाज का वंचित वर्ग रह रहा है वहां जाकर हमारे कार्यकर्ता सेनेटाइजर और मास्क उन्हें देंगे. कोरोना वॉरियर्स में सफाई कर्मचारी भी आते हैं. इन्हें भी संगठन द्वारा मास्क और सेनेटाइजर दिया जाएगा. इसके अलावा सामाजिक दूरी का ध्यान रखते हुए देशभर के सभी कार्यालयों में डॉ.आंबेडकर को स्मरण किया जाएगा.’

ढोंग कर रहा है संघ

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के इस दीप जलाने के कार्यक्रम के आह्वान के बाद अब राजनीति भी तेज हो गई है. ऑल इंडिया बहुजन कॉर्डिनेशन कमेटी के संयोजक कुश आंबेडकरवादी ने दिप्रिंट से कहा, ‘संघ का जो दीप जलाने का कार्यक्रम है वो पूरी तरह से छलावा है. आरएसएस और भाजपा को हमेशा से बाबा साहब की विचारधारा से चिढ़ रही है. ये लोग हमेशा उनके विचारों को खत्म करने पर लगे रहे हैं. सभी आंबेडकर संस्थाओं की तरफ से भी घरों में 14 अप्रैल को संविधान की प्रस्तावना पढ़ने और रात को मोमबत्ती जलाने अपील की गई है.

वह आगे कहते हैं, ‘बहुजन संस्थाएं इस कार्यक्रम को कर रही है.संघ और भाजपा में बड़े पदों पर बैठे लोग कई बार दलित विरोधी बाते करते हैं, और अब दीया जलाने का ढोंग कर रहे हैं.’

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कोविड-19 के प्रकोप के बीच सोशल डिस्टेंसिंग डॉ.आंबेडकर जयंती को किसी बड़े जलसे में मनाने की सबसे बड़ी बाधा है. ऐसे में सामाजिक समरसता मंच ने इस आयोजन के जरिए दलितों तक पहुंचने का मन बनाया है. सभा और आयोजन के विकल्प के रूप में डिजिटल एकत्रिकरण को अपना लिया गया है. स्काइप और जूम एप के जरिए कॉन्फ्रेंस की शक्ल में चर्चा कर 14 अप्रैल के कार्यक्रम भी तय कर दिए गए है. कुल मिलाकर किसी भी सूरत में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यह नहीं चाहता है कि लॉकडाउन उसके देश के बड़े दलित तबकों के करीब जाने का मौका उससे छीन सके. लिहाजा घर में रहते हुए भी डॉ.आंबेडकर जयंती के बहाने के उनके अनुयायियों तक पहुंच बनाने की रणनीति तैयार कर ली गई है.

समरसता मंच के संयोजक इंद्रजीत ने दिप्रिंट से कहा,’ संगठन 7 से 15 अप्रैल तक बाबा साहब डॉ.आंबेडकर सेवा सप्ताह मना रहा है. इसमें कोरोना वॉरियर्स का सम्मान किया जा रहा है.  गरीब लोगों को संघ और सेवा भारती के सहयोग से सूखा भोजन भी दिया जा रहा है.’

अलोचकों को जवाब देने की तैयारी संघ

इस दौरान संगठन के सदस्यों ने दिल्ली के सभी अस्पतालों, पुलिस थाने, सफाई कर्मचारियों के अलावा सार्वजनिक स्थानों पर ड्यूटी में तैनात लोगों को आभार देना शुरू कर दिया है.आंबेडकर जयंती के दिन शाम के समय घर-घर में दीए जलाए जाएंगे. इन कार्यक्रमों के जरिए संघ परिवार जातियों का भेद खत्म कर देश को समरसता का बड़ा संदेश देने की तैयारी में है. 2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता के आने के बाद से ही संघ और भाजपा ने डॉ.आंबेडकर जयंती धूमधाम से मनाना शुरु किया है.


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2015 में डॉ.आंबेडकर की 125 वीं जयंती पर संघ परिवार और भाजपा ने देशभर में कार्यक्रम आयोजित कर दलितों का साधने की कोशिशें शुरू कर दी थी. वहीं संघ और भाजपा ऐसे ही कई कार्यक्रमों के माध्यमों से आलोचकों को हमेशा जवाब देने की कोशिश में रहता है जो उस पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाते रहते है. इंद्रजीत ने विरोधियों के लगाए जा रहे आरोपों का खंडन करते हुए दिप्रिंट से कहा, ‘डॉ.आंबेडकर राष्ट्रीय पुरुष हैं.वह अनुसूचित जाति के मसीहा तो थे ही संविधान निर्माता भी है. उन्होंने समाज को जोड़ने काम भी किया है. उन्होंने देश के लिए जो किया उसके लिए हम आभारी हैं.’

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