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Sunday, 17 March, 2024
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पिछली बार 21 सीटें जीतने वाली कांग्रेस बनाएगी राजस्थान में सरकार

‘कांग्रेस चुनाव ठीक से नहीं लड़ती है. संगठन की कमजोरी और ठीक से टिकट बंटवारा नहीं करने से कांग्रेस भाजपा के खिलाफ बने माहौल को भुना नहीं पाई.’

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नई दिल्ली: पिछले विधानसभा चुनाव में 200 में से केवल 21 सीट पर सिमटने वाली कांग्रेस, ताजा चुनाव नतीजे आने के बाद राजस्थान में पूर्ण बहूमत के साथ सरकार बनाते हुए दिखाई दे रही है.

पिछली बार 163 सीटें जीतने वाली सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी को इस बार लगभग 90 सीटों के नुकसान के साथ 75 सीटें मिलती दिखाई दे रही हैं, जबकि कांग्रेस को अंतिम अपडेट तक 99 सीटें मिल रही हैं. लेकिन दिलचस्प बात यह है कि भाजपा और कांग्रेस के वोट प्रतिशत में एक फीसदी से भी कम का अंतर दिखाई दे रहा है.

अगर पिछले दो बार के चुनाव परिणाम को देखें तो 2013 में भाजपा ने 163 सीटें जीती थीं, वहीं कांग्रेस की झोली में 21 सीटें गई थीं. बीजेपी को 45.2 प्रतिशत वोट मिले तो कांग्रेस को 33.1 फीसदी वोटों के साथ संतोष करना पड़ा था.

इस बार के नतीजे काफी हद तक 2008 की पुनरावृत्ति करते दिखाई देते हैं. 2008 के राजस्थान चुनाव में जहां कांग्रेस को 96 सीटों पर जीत मिली थी, वहीं बीजेपी के खाते में 78 सीटें गई थीं. उस समय बसपा 6 सीटें जीतने में सफल रही थी. बीजेपी को जहां 36.82 फीसदी मिले थे, वहीं कांग्रेस ने 34.27 परसेंट हासिल किए थे.

अभी ताजा मिले रुझानों के अनुसार कांग्रेस को इस बार के विधानसभा चुनाव में 39.1 प्रतिशत वोट मिलते दिखाई दे रहे हैं, वहीं कांग्रेस के खाते में 38.6 परसेंट वोट जाते नजर आ रहे हैं. 2008 में मुख्यमंत्री पद के लिए मुकाबला तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी और अशोक गहलोत के बीच था, तो वहीं इस बार भी सीएम पद के लिए लड़ाई मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच है.

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2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 101 के जादुई आंकड़े को नहीं छू पाई थी और उसे 96 सीटें हासिल हुई, हालांकि स्पष्ट बहुमत हासिल नहीं होने के कारण कांग्रेस ने बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के 6 विधायकों और निर्दलियों के साथ गठबंधन कर सरकार बना ली. इस बार भी कांग्रेस 103 सीटों के आसपास हासिल करती नजर आ रही है. बस अंतर यह है कि इस दफा उसे सरकार बनाने के लिए किसी अन्य दल का सहारा नहीं लेना पड़ेगा.

साल 2008 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उस समय की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का विरोध काफी तेज हो गया था. घनश्याम तिवारी, ललित किशोर चतुर्वेदी, जसवंत सिंह, महावीर प्रसाद जैन, कैलाश मेघवाल और किरोड़ी लाल मीणा जैसे कई नेता वसुंधरा के खिलाफ मुखर हो गए थे और इनमें से किरोड़ी लाल मीणा ने पार्टी छोड़ दी. बड़े नेताओं के विरोध के वजह से बीजेपी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा और नतीजे के बाद यही कहा जाने लगा कि पार्टी के अंदर असंतुष्ट गतिविधियां नहीं हुई होतीं तो 2008 में भी भाजपा सरकार बना लेती.

2018 में अब तक आए रुझानों में जिस तरह से बीजेपी हारते हुए दिख रही है, उसके पीछे भी वसुंधरा राजे के खिलाफ पार्टी के अंदर उपजा भितरघात है. दैनिक भास्कर उदयपुर के रेसिडेंट एडिटर और राजस्थान की राजनीति की गहरी समझ रखने वाले त्रिभुवन कहते हैं, ‘कांग्रेस चुनाव ठीक से नहीं लड़ती है. संगठन की कमजोरी और ठीक से टिकट बंटवारा नहीं करने से कांग्रेस भाजपा के खिलाफ बने माहौल को भुना नहीं पाई.’

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