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Saturday, 4 May, 2024
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हरियाणा के जाट गढ़ में BJP-JJP नेताओं का विरोध, किसानों की दो टूक — ‘जवाब दो, हिसाब दो’

हिसार, सिरसा और रोहतक की जाट बहुल सीटों पर बीजेपी और जेजेपी उम्मीदवारों को विरोध का सामना करना पड़ रहा है, जहां जेजेपी ने बीजेपी पर आरोप लगाया है, वहीं बीजेपी इन घटनाओं पर पर्दा डालने की कोशिश कर रही है.

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गुरुग्राम: जब हरियाणा की सोनीपत संसदीय सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार मोहन लाल बडौली इस महीने की शुरुआत में रोहना गांव में प्रचार करने गए, तो उन्हें तानों, फब्तियों और विरोध कर रहे किसानों ने घेर लिया.

हिसार संसदीय सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार और छह बार के कांग्रेस विधायक संपत सिंह के बेटे गौरव सिंह ने रविवार को इस प्रकरण का एक कथित वीडियो एक्स पर पोस्ट किया, जिसमें देखा जा सकता है कि बडौली को अपना चुनावी भाषण छोटा करने और जल्दी वहां से भागने को मजबूर होना पड़ा.

यह कोई अकेली घटना नहीं है. जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव नज़दीक आ रहे हैं और प्रचार अभियान तेज़ हो रहा है, सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो से पता चलता है कि सत्तारूढ़ भाजपा के उम्मीदवारों को कई निर्वाचन क्षेत्रों में किसानों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है.

किसान संघ और संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के घटक पगड़ी संभाल जट्टा किसान संघर्ष समिति के अनुसार, ये विरोध प्रदर्शन ‘जवाब दो, हिसाब दो’ अभियान का हिस्सा हैं — पिछले पांच साल में सत्तारूढ़ पार्टी को उसके काम के लिए जवाबदेह बनाने का एक ठोस प्रयास.

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यह प्रतिक्रिया विशेष रूप से राज्य के जाट गढ़ में मजबूत है, जिसमें चार संसदीय सीटें — सिरसा, हिसार, रोहतक, झज्जर — जिनमें कि 36 विधानसभा सीटें शामिल हैं.

गौरतलब है कि यह घटनाक्रम पंजाब में किसानों द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी वाले कानून के लिए अपने विरोध प्रदर्शन को फिर से शुरू करने के दो महीने बाद आया है — एक सरकारी हस्तक्षेप जो किसानों को बाज़ार की अनिश्चितताओं के बावजूद उनकी उपज के लिए एक निश्चित मूल्य की गारंटी देता है.

और ये केवल भाजपा के नेता नहीं जिन्हें इस तरह के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है — इसके पूर्व सहयोगी, जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के नेताओं को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. उदाहरण के लिए 5 अप्रैल को आम आदमी पार्टी द्वारा साझा किए गए एक वीडियो में पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को जाटों के गढ़ हिसार के नारा गांव में प्रवेश करने से रोका गया.

समिति के प्रदेश अध्यक्ष मनदीप नथवान के मुताबिक, किसानों ने सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं से पूछने के लिए 20 सवालों की एक सूची तैयार की है.

नथवान ने कहा, “महत्वपूर्ण मुद्दों के बारे में सवाल पूछना घटकों का वैध अधिकार है. ऐसा केवल उन मामलों में होता है, जहां अपने अहंकार के कारण, भाजपा-जजपा नेता हमारे सवालों का जवाब नहीं देना चाहते हैं और लोगों से वोट मांगना चाहते हैं, जहां इस तरह का हंगामा देखा जाता है.”

चौटाला के छोटे भाई दिग्विजय चौटाला ने इन विरोध प्रदर्शनों के लिए “भाजपा के कुकर्मों” को जिम्मेदार ठहराया. गौरतलब है कि बीजेपी ने पिछले महीने बड़ा फेरबदल करते हुए जेजेपी को हरियाणा सरकार से बाहर कर दिया था.

दिग्विजय ने अपने भाई के खिलाफ विरोध के बाद एक वीडियो में कहा, “आज पूरे हरियाणा में भाजपा के खिलाफ रोष का माहौल है. यह पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर के खिलाफ है या कोई और कारण है, यह हम नहीं जानते, लेकिन जहां भी उनके (भाजपा के) उम्मीदवार जा रहे हैं, उन्हें ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है.”

हालांकि, जब उनसे पूछा गया कि वे उस वीडियो के बारे में क्या सोचते हैं जिसमें दिखाया गया है कि दुष्यंत चौटाला को हिसार गांव में प्रवेश करने से रोका जा रहा है, तो पूर्व मुख्यमंत्री खट्टर ने इसे “विरोध करने का गलत तरीका” बताते हुए इसकी निंदा की.

खट्टर ने शनिवार को संवाददाताओं से कहा, “जो लोग किसी उम्मीदवार से नाखुश हैं वे चुनाव में उस व्यक्ति के खिलाफ मतदान कर सकते हैं, लेकिन उम्मीदवारों को प्रचार करने से रोकना लोकतंत्र में सही नहीं है.”


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एमएसपी, स्वामीनाथन रिपोर्ट — किसानों की क्या है मांगें

बडौली (सोनीपत) और चौटाला की तरह, भाजपा उम्मीदवारों रणजीत सिंह (हिसार), अरविंद कुमार शर्मा (मौजूदा सांसद, रोहतक) और अशोक तंवर (सिरसा) को भी विरोध का सामना करना पड़ा.

सिरसा के एक वीडियो में प्रदर्शनकारियों को भाजपा की वैन से पोस्टर फाड़ते हुए भी दिखाया गया है.

राज्य की आबादी में जाटों की हिस्सेदारी 22-23 प्रतिशत होने का अनुमान है, जिनका सभी चार सीटों पर प्रभाव है.

इस तरह के गुस्से वाले प्रदर्शन केवल उम्मीदवारों तक ही सीमित नहीं हैं बल्कि उनके लिए प्रचार करने वाले पार्टी नेताओं तक भी फैले हुए हैं. उदाहरण के लिए हरियाणा के डिप्टी स्पीकर रणबीर सिंह गंगवा जब रणजीत सिंह के लिए प्रचार करने हिसार गए तो उन्हें जोरदार विरोध का सामना करना पड़ा.

पगड़ी संभाल जट्टा किसान संघर्ष समिति के कार्यकारी सदस्य अनिल गोरची के अनुसार, भाजपा और जेजेपी नेताओं से पूछे जाने वाले सबसे प्रमुख सवालों में किसानों के हालिया दौर का विरोध शामिल है.

उन्होंने सूचीबद्ध किया, “किसानों को दिल्ली की ओर बढ़ने की अनुमति क्यों नहीं दी गई (फरवरी में नए सिरे से किसान विरोध के दौरान), उनके ट्रैक्टरों को रोकने के लिए सड़कों पर कीलें क्यों लगाई गईं, केंद्र में भाजपा और नरेंद्र मोदी सरकार ने एमएसपी लागू क्यों नहीं किया, सत्ता के 10 साल तक पार्टी ने स्वामीनाथन समिति की रिपोर्ट की सिफारिशों को लागू करने का अपना वादा क्यों नहीं निभाया, भाजपा ने लखीमपुर खीरी में किसानों की मौत के लिए जिम्मेदार नेता को फिर से मैदान में उतारने का फैसला क्यों किया.” आखिरी सवाल 2021 की घटना को संदर्भित करता है जब कथित तौर पर केंद्रीय मंत्री अजय टेनी का वाहन प्रदर्शनकारी किसानों के एक समूह में घुस गया, जिसकी हिंसा के परिणामस्वरूप आठ लोगों की मौत हो गई.

अन्य सवाल कृषि कर्ज़ की माफी, बाढ़ प्रभावित किसानों के लिए मुआवजे और विवादास्पद अग्निपथ योजना के बारे में हैं.

अपनी ओर से भाजपा इन विरोध प्रदर्शनों को कम करने की कोशिश कर रही है और इसे “कुछ तत्वों का काम बता रही है जो विपक्ष के इशारे पर परेशानी पैदा करना चाहते हैं”.

राज्य पार्टी के प्रवक्ता संजय शर्मा ने कहा, “लोकसभा चुनाव में लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वोट देंगे. हमारी पार्टी हरियाणा की सभी 10 सीटें जीतने जा रही है. विपक्ष भाजपा की लोकप्रियता की बराबरी करने में असमर्थ है और इसलिए इस तरह की रणनीति से लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहा है.”

लेकिन विपक्ष सत्तारूढ़ सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है और दावा कर रहा है कि यह स्थिति लोगों के बीच गुस्से की हद को दर्शाती है.

कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर हुड्डा ने दिप्रिंट को बताया, “हर कोई जानता है कि भाजपा सांसदों ने 2019 में चुनाव जीतने के बाद से कभी भी अपने निर्वाचन क्षेत्रों का दौरा नहीं किया है. चुनाव नज़दीक होने के कारण, वे फिर से लोगों के वोट चाहते हैं. लोगों का गुस्सा जायज़ है.”

कांग्रेस नेता गौरव सिंह ने सहमति जताई. सिंह ने फोन पर कहा, “अब, पांच साल बाद, लोग उनसे उनकी अनुपस्थिति का हिसाब मांग रहे हैं.”

इस बीच, चौटाला की मां नैना सिंह, जो बधरा से विधायक हैं, ने इस सप्ताह कहा कि जेजेपी “भाजपा के साथ गठबंधन करने की कीमत चुका रही है”.

उन्होंने सोमवार को मीडिया से कहा, “यह एक आम कहावत है कि चने के साथ घुन भी पिसता है. मैं किसानों को बताना चाहती हूं कि दुष्यंत चौटाला न तो कृषि मंत्री (राज्य में) थे और न ही केंद्र में मंत्री थे. उनके पास किसानों के साथ जो किया जा रहा था उसे रोकने की शक्ति नहीं थी.”

(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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