नई दिल्ली: केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी का कहना है कि ऐसी कोई संभावना नहीं है कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए), 2019 निरस्त किया जाए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुक्रवार को तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा किए जाने के बाद मुस्लिम नेताओं और अन्य लोगों की तरफ से इस विवादास्पद कानून को भी रद्द करने की मांग को फिर से हवा मिली है.
नकवी ने दिप्रंट को बताया, ‘लोगों ने सीएए को लेकर अल्पसंख्यक राजनीति शुरू कर दी है. यह कानून निरस्त करने का सवाल ही नहीं उठता है क्योंकि इसका भारत के नागरिकों से कोई लेना-देना नहीं है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘ये लोग अच्छी तरह जानते हैं कि सीएए कानून का नागरिकता छीनने से कोई लेना-देना नहीं है बल्कि इसे पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के हिंदुओं, सिखों और अन्य उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के लिए लाया गया है.’
सीएए का उद्देश्य पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान—भारत के मुस्लिम बहुल पड़ोसी देशों—के हिंदुओं, सिखों, जैनियों, बौद्धों, पारसियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता देने की राह में तेजी लाना है जो धार्मिक अल्पसंख्यकों की अपनी स्थिति के कारण उन देशों में उत्पीड़न का सामना करते हैं. .
इस कानून, जिसमें पड़ोसी देशों के मुसलमानों या अन्य समुदायों का उल्लेख नहीं है, की व्याख्या भेदभावपूर्ण कानून के तौर पर की गई है और 2019 में इसके पारित होने के बाद पूरे भारत में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे. बहरहाल, दो साल बाद भी अभी इस कानून को लागू करने के लिए नियम-कायदे तैयार नहीं किए गए हैं.
नकवी ने सीएए को लेकर चिंताओं को खारिज करने की कोशिश करते हुए कहा कि भारत में अल्पसंख्यकों के धार्मिक, सामाजिक, शैक्षिक और संवैधानिक अधिकार बिल्कुल सुरक्षित हैं और विकास में उनकी भागीदारी भी समान है.
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निरस्त करने की मांग बढ़ी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को घोषणा की थी कि तीनों विवादास्पद कृषि कानून, जिनका किसान एक साल से ज्यादा समय से विरोध कर रहे थे, जल्द ही वापस ले लिए जाएंगे. इसके बाद विभिन्न संगठनों और राजनेताओं ने मांग की कि सीएए को भी निरस्त किया जाए.
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलीमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने रविवार को बाराबंकी में एक जनसभा में कहा कि यदि कानून वापस नहीं लिया गया तो उत्तर प्रदेश को शाहीन बाग में बदल दिया जाएगा, जो कि सीएए को लेकर पूर्व में एक प्रमुख प्रदर्शन स्थल था.
ओवैसी ने एक ट्वीट में यह भी कहा, ‘अगर सरकार सीएए और एनआरसी (नागरिकों का राष्ट्रीय रजिस्टर) लागू करती है, तो हम फिर सड़कों पर उतरेंगे. हमारी मांग है कि जिस तरह सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया है, सीएए और एनआरसी को भी वापस लिया जाए.’
हुकूमत अगर NRC, CAA का क़ानून लागू करती है, तो हम फिर से सड़कों पर उतरेंगे और विरोध प्रदर्शन करेंगे। हमारी मांग है कि हुकूमत ने जिस तरह से तीनों कृषि क़ानून को वापस लिया है उसी तरह CAA, NRC का क़ानून भी वापस ले। https://t.co/2dvmw5E1Hf
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) November 22, 2021
प्रभावशाली सामाजिक-धार्मिक संगठनों के नेताओं ने भी सीएए को रद्द करने की मांग की है, जिसमें जमीयत उलेमा-ए-हिंद (जेयूएच) के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी और जमात-ए-इस्लामी हिंद के अध्यक्ष सैयद सदातुल्ला हुसैनी शामिल हैं.
मदनी ने शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा, ‘हमारे प्रधानमंत्री कहते हैं कि हमारे देश का ढांचा लोकतांत्रिक है, इसलिए अब उन्हें मुसलमानों को लेकर बनाए गए कानूनों पर ध्यान देना चाहिए. कृषि कानूनों की तरह सीएए को भी वापस लेना चाहिए.’
दिसंबर 2019 से मार्च 2020 के बीच सीएए के खिलाफ सड़क देशभर में विरोध-प्रदर्शन हुआ था. इस दौरान दक्षिण-पूर्वी दिल्ली का शाहीन बाग इलाका एक प्रमुख प्रदर्शन स्थल बना, जहां सड़क पर धरने पर बैठी मुस्लिम महिलाओं ने कानून रद्द नहीं होने तक वहां से हटने से इनकार कर दिया था.
अंततः यह तब खत्म हुआ जब स्वास्थ्य मंत्रालय ने मार्च 2020 में भारत में कोविड-19 के बढ़ते मामलों को देखते हुए इस तरह किसी भी जगह जुटने के खिलाफ एक अधिसूचना जारी की.
‘यूपी में भाजपा मजबूत’
उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सांसद नकवी ने यह भी कहा कि मार्च 2022 में प्रस्तावित आगामी विधानसभा चुनावों के दौरान भले ही कोई भी मैदान में उतरे राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) मजबूत स्थिति में है.
ओवैसी के इस ऐलान के बारे में पूछे जाने पर कि एआईएमआईएम उत्तर प्रदेश में 100 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, उन्होंने कहा, ‘यह चुनावी समय है, कोई भी चुनाव लड़ सकता है.’
उत्तर प्रदेश के रामपुर में रविवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान नकवी ने कहा था कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के युग ने ‘राज्य में कट, कमीशन और करप्शन की व्यवस्था खत्म करने के अलावा दंगों और दबंगों की राजनीति को भी ध्वस्त कर दिया है. भ्रष्टाचारियों और माफिया के बीच भय का माहौल है.’
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