नई दिल्ली: कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (सीपीआई) छोड़कर कांग्रेसी नेता बने कन्हैया कुमार द्वारा एक इंस्टाग्राम पोस्ट में मंगलवार को पहाड़ियों में छुट्टियां मनाते हुए डाली गई तस्वीर के बाद कई लोग उन पर कटाक्ष कर रहे हैं. उनसे सवाल किया जा रहा हैं कि वह पहाड़ों में छुट्टियां मनाने के बजाय अपनी नई पार्टी की नींव मजबूत करने के लिए सड़कों पर क्यों नहीं उतर रहे हैं?
एक ओर जहां कुछ लोगों ने उनकी कम्युनिस्ट कार्यकर्ता वाली साख पर कटाक्ष किया, वहीं कई लोगों ने कन्हैया का बचाव करते हुए कहा कि उन्हें आराम करने और अपने लिए समय निकालने का पूरा अधिकार है.
कन्हैया कुमार द्वारा शेयर की गई तस्वीर में इस युवा नेता को पहाड़ों में बने एक कमरे में खूबसूरत नजारे को निहारते हुए और किताब पढ़ते हुए देखा जा सकता है.
यह भी पढ़ेंः इमरान ने UNGA में फिर अलापा J&K का राग, भारत बोला-‘भोला-भाला बनकर पाकिस्तान खुद ही आग लगाता है’
इस तस्वीर के कैप्शन में बशीर बद्र का शेर है: ‘मैं चुप रहा तो और ग़लतियां बढ़ीं/वो भी सुना है उसने जो मैंने कहा नहीं.’
एक ट्विटर हैंडल ने कन्हैया कुमार की पोस्ट का एक स्क्रीनशॉट साझा किया और लिखा: ‘यह कुछ ऐसा जो सीपीआई नेता कन्हैया कुमार पोस्ट नहीं कर सके, लेकिन कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार के लिए इसे पोस्ट करना स्वाभाविक सा है.’
Something that CPI leader Kanhaiya Kumar could not post but is natural for CONGRESS leader Kanhaiya Kumar to post. pic.twitter.com/0x3RX0NlSo
— Ahindri Banerjee ?? (@speakahindri) October 19, 2021
एक अन्य ट्विटर यूज़र ने कहा, ‘@kanhaiyakumar के लिए एक नया उपनाम ‘बेगूसराय का बुर्जुआ’ हो सकता है,’ इसमें बिहार के बेगूसराय में कुमार की साधारण पृष्ठभूमि चुटकी ली गई है .
The new moniker for @kanhaiyakumar can be the “Bourgeois from Begusarai.” #KanhaiyaKumar pic.twitter.com/sjOC9COIFo
— Suvam Pal (@suvvz) October 19, 2021
एक तीसरे ट्विटर यूजर ने लिखा, ‘निश्चित रूप से लॉन्ग मार्च पर तो नहीं बल्कि ऐसे लॉन्ग मार्च पर जिसकी कोई मंजिल नहीं.’ इसमें 1934 और 1936 के बीच चीन के रेड आर्मी द्वारा किए गए ‘द लॉन्ग मार्च’ का जिक्र किया गया है जो कुओमिन्तांग शासन का मुकाबला करने के लिए पीपुल्स रिपब्लिक की नींव रख रहा था.
The “image” of a politician today is made literally by the images they choose to put out. What image do you think this Comrade-turned-Congressi is trying to project? Discuss. pic.twitter.com/np3ONpLR7e
— Shivam Vij ?? (@DilliDurAst) October 20, 2021
कन्हैया पिछले महीने ही बड़ी धूमधाम से सीपीआई को, जिसके साथ वह अपने छात्र राजनीति के दिनों से जुड़े थे, उसे छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे.
‘इस तस्वीर की वजह से हर कोई उत्तेजित क्यों हैं?’
कई ऐसे भी लोग थे, जिन्होंने उन लोगों का भी मज़ाक उड़ाया, जिन्हें कन्हैया का इस तरह छुट्टियां मनाना अजीब लग रहा है.
एक ट्वीटर यूज़र ने लिखा ‘आखिर #KanhaiyaKumar की ये तस्वीर सभी को क्यों उत्तेजित कर रही है? इतनी सुन्दरता से ओतप्रोत वातावरण में कोई व्यक्ति बैठकर किताब क्यों नहीं पढ़ सकता? या फिर ऐसा इसलिए है क्योंकि हम उनकी जैसी पृष्ठभूमि से उठकर किसी का ऐसी जगहों पर पहुंचने को स्वीकार नहीं कर सकते हैं? क्या इसलिए हम इसमें भी पावर्टी पोर्न तलाश रहे हैं.
Why is this picture of #KanhaiyaKumar triggering everyone? Why cannot a person sit and read a book environed in such beauty? Or is it because we cannot accept someone from his background reaching such places? Is that why we are on lookout for poverty porn?#JustAsking pic.twitter.com/rvxntqaqU7
— Banarasi Nietzsche (@Einqalaab) October 20, 2021
कन्हैया के बचाव में सामने आए एक और सोशल मीडिया यूजर ने लिखा, ‘मैं भी कन्हैया कुमार के सीपीआई छोड़ने पर उतना ही निराश हूं. लेकिन मैं इस तस्वीर को पोस्ट करने के लिए उन्हें ट्रोल करने वालों के साथ नहीं हूं. उनकी राजनीति के लिए उनकी आलोचना करें, पर आपको किसी अच्छे से होटल के कमरे में बैठने के लिए उन्हें जज करने या ऑडिट करने का कोई अधिकार नहीं है.
I am equally disappointed with Kanhaiya Kumar for leaving CPI.
but I am not with the ones trolling him for posting this pic. Criticize him for his politics, you have no right judge or audit him for sitting in a decent hotel room. pic.twitter.com/pwNOmlJspp— Mohammed S P (@ghostof_juror8) October 20, 2021
बता दें कि कन्हैया को कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए लगभग एक महीना हो चुका है, लेकिन उन्हें अभी तक पार्टी में कोई पद नहीं दिया गया है. नाम न जाहिर करने की शर्त पर कांग्रेस के सूत्रों ने कहा कि उन्हें ‘बहुत जल्द’ पार्टी रैंक में समायोजित किया जाएगा और ‘तब वो भी काम पर लग जाएंगे.’
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)
यह भी पढ़ेंः कश्मीर में अल्पसंख्यकों की रक्षा हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य- ‘चूहे के बिल से निकालकर’ आतंकियों से करेंगे हिसाब-किताब