नई दिल्ली : मौर्य साम्राज्य के फिलॉसफर चाणक्य ने न केवल मोदी सरकार की शासन की नीतियों को प्रभावित किया है बल्कि प्रधानमंत्री के खुद को प्रधानसेवक कहने को चाणक्य की नीति से उठाया गया है. यह नहीं मोदी सरकार की कर नीति, अजित डोभाल की मस्कुलर पॉलिसी और साम, दाम, दंड, भेद की रणनीति को भी चाणक्य की नीति से लिया गया है. इसका खुलासा खुद बीजेपी अध्यक्ष ने अपनी लिखी पुस्तक में किया है.
गृहमंत्री अमित शाह सोमवार को राज्यसभा में धारा 370 खत्म करने का फैसले की झलक भी चाणक्य की नीति से प्रभावित थी. शाह अपनी किताब में चाणक्य को सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का जनक बताते हैं. उनकी घोषणा से ठीक एक दिन पहले बीजेपी सांसदों की बैठक में सांसदों को पढ़ने के लिए बांटी गई शाह की चाणक्य पर लिखी किताब को अगर किसी ने पढ़ा होता तो तस्वीर साफ़ थी कि अमित शाह के अखंड राष्ट्र की विचारधारा में जम्मू कश्मीर में धारा 370 ‘खत्म करना एक स्वाभाविक प्रक्रिया थी.’
यह भी पढ़ेंः बीजेपी विस्तार का ‘शाह फार्मूला’ विचारधारा पर डटकर बढ़ाएंगे पार्टी का फुटप्रिंट
शाह ने संसद में धारा 370 खत्म करते समय अपने भाषण में कहा कि धारा 370 को खत्म कर ही जम्मू-कश्मीर की एकता और देश की अक्षुण्णता को बरकरार रखा जा सकता है. शाह की इस घोषणा पर सीधे सीधे चाणक्य की कूटनीति का असर देखा जा सकता है. चाणक्य को उद्धृत करते हुए एक राष्ट्र, अखंड राष्ट्र के शिल्पी शीर्षक में शाह लिखते हैं कि चाणक्य ने सिकंदर के हमले के समय यह निश्चय किया कि अगर हम भारत को एक नहीं रख सके, हम अगर एक अखंड केन्द्रीय साम्राज्य नहीं बना सके तो हमारा अस्तित्व, हमारी संस्कृति, हमारी परंपराएं सब कुछ एक दिन लुप्त हो जाएंगी.
शाह ने मंगलवार को संसद में कहा कि अखंड जम्मू कश्मीर का मतलब सिर्फ जम्मू कश्मीर नहीं बल्कि पाक अधिकृत कश्मीर और चीन के कब्ज़े वाला हिस्सा ऑक्साई चीन भी है. शाह चाणक्य नीति पर आधारित अखंड भारत, सुखी समृद्ध भारत के विचार को मोदी शासन में धरती पर उतारने का काम कर रहें हैं.
बीजेपी के थिंकटैंक रामभाऊ प्रबोधिनी द्वारा छापी गई 52 पन्नों की किताब सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के शिल्पी से मोदी सरकार की नीतियों पर चाणक्य की नीति की झलक एक जगह पर नहीं बल्कि कई जगहों पर दिखती है. मसलन
व्यापार और कर नीति.
बीजेपी अध्यक्ष लिखते हैं कि चाणक्य ने देश के अर्थतंत्र के लिए बहुत अच्छे सिद्धांत गढ़े हैं. उन्होंने बताया है कि जनता पर टैक्स कैसे लगने चाहिये. चाणक्य के मुताबिक राजा को अर्थात राज्य को करदाताओं से कर ऐसे लेना चाहिये जैसे भंवरा पुष्प से मधु चूसता है. इसलिए इस प्रक्रिया में न तो पुष्प की सुगंध समाप्त होती है न ही पुष्प का सौंदर्य प्रभावित होता है.
बजट भाषण पढ़ते हुए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने चाणक्य के नीति शास्त्र को उद्धृत करते हुए कहा था कि टैक्स ऑफिसर भंवरे की तरह हैं जो पुष्प से मधु बिना उन्हें नुक़सान पहुंचाए इकट्ठा करते हैं तो बजट और सरकार के टैक्स प्रपोज़ल में चाणक्य नीति की झलक साफ़ दिखती है. चाणक्य ने कहा था कि नए व्यापार को टैक्स फ्री रखना चाहिये, मोदी सरकार ने स्टार्टअप इंडिया में नए व्यापार को टैक्स फ्री रखा है.
सबका साथ, सबका विकास
मोदी सरकार की सबका साथ, सबका विकास की 2014 की टैगलाइन भी चाणक्य नीति से ली गई है. बीजेपी अध्यक्ष लिखते हैं कि जब नरेन्द्र भाई कहते हैं कि सबका साथ, सबका विकास हो तो वे चाणक्य की परंपरा को ही आगे बढ़ा रहे हैं. प्रधानमंत्री अपने भाषणों में और किसी भी कार्यक्रम को शुरू करने के समय कहते हैं कि अंतिम व्यक्ति का विकास होना चाहिये यह भी चाणक्य नीति से लिया गया है. चाणक्य को उद्धृत करते हुए शाह लिखते हैं कि चाणक्य की नीति के मुताबिक सबका विकास होना चाहिये. अंतिम व्यक्ति का विकास होना चाहिये और विकास की प्रक्रिया में सबकी हिस्सेदारी होनी चाहिये.
कांग्रेस के परिवारवाद पर हमला, कांग्रेस भी चाणक्य से सीखे
अमित शाह लिखते हैं कि चाणक्य के ज़माने में राजा का ज्येष्ठ पुत्र ही राजा होता था. चाणक्य ने इसे बदला. चाणक्य ने कहा जो श्रेष्ठ है वही ज्येष्ठ है. वही राजा बन सकता है. राहुल गांधी के लिए यह बात कही जा सकती है. अमित शाह कांग्रेस के परिवारवाद पर हमला करते हुए कहते हैं कि चाणक्य ने 2300 साल पहले परिवारवाद की भूमिका को राजनीति में कम करने का प्रयास किया पर जो बात चाणक्य ने कही उससे नए अध्यक्ष की तलाश कर रही कांग्रेस सीख सकती है. चाणक्य कहते हैं अगर एक ही बेटा है जो सूझ-बूझ वाला नहीं है तो उसे राज पद पर नहीं, उसकी जगह किसी और योग्य का चुनाव होना चाहिये. कांग्रेस अगर चाणक्य को पढे़ तो प्रियंका गांधी कांग्रेस अध्यक्ष के लिए मुफ़ीद बैठती हैं.
यह भी पढ़ेंः वो अमित शाह ही हैं जिन्होंने अपनी ‘नीति’ से नरेंद्र मोदी को दूसरी बार पीएम की कुर्सी तक पहुंचाया
आरबीआई और सेबी की स्वायत्तता
आरबीआई की स्वायत्तता, रघुराम राजन और उर्जित पटेल की सरकार से कई मुद्दों पर असहमति, रिजर्व बैंक की वित्त मंत्रालय से तनातनी के सूत्र भी मोदी सरकार पर चाणक्य नीति के प्रभाव में दिखता है. गृहमंत्री अमित शाह लिखते हैं कि 2300 साल पहले रेगुलेटर की कल्पना सबसे पहले चाणक्य ने की थी. कोषागार का निर्देशक राजा से स्वतंत्र होता था, राजा से बंधा हुआ नहीं. यानि प्रधानमंत्री से बंधा नहीं होता था. राजा के आदेश की अवहेलना करने पर भी उसे फांसी की सज़ा नहीं होती थी. मतभेदों के बाद भी दो गवर्नरों की सम्मानजनक विदाई और उसके बाद भी आरबीआई की स्वायत्तता बरकरार रखना उसी चाणक्य नीति का हिस्सा है.
वेल्थ टैक्स की आहट
मोदी सरकार ने इस साल बजट में वेल्थ टैक्स नहीं लगाया है पर अगर मोदी सरकार की नीतियों पर चाणक्य के प्रभाव को देखे तो अगले बजट में सरकार वेल्थ टैक्स लगा सकती है. शाह लिखते हैं कि राजस्व जुटाने के छह तरीके चाणक्य ने बताएं हैं और संपत्ति कर की कल्पना उन्होंने उसी समय कर दी थी. मतलब वेल्थ टैक्स लगने वाला है.
भ्रष्टाचार पर मोदी नीति
अमित शाह लिखते हैं कि भ्रष्टाचार पर चाणक्य की नीति वास्तविकता के धरातल पर टिकी हुई है. कोई भी राजा अगर ऐसा कहता है कि मेरे राज्य में भ्रष्टाचार नहीं है यह असंभव है राज्य के भीतर भ्रष्टाचार शाश्वत है.
विदेश नीति पर असर
बीजेपी अध्यक्ष लिखते हैं कि विदेश नीति पर चाणक्य के विचार इतने सूक्ष्म और यथार्थवादी हैं कि उसे देखकर लगता है कि विदेश नीति के पंडितों को चाणक्य से सीखना चाहिये. बालाकोट में भारत ने जिस तरह एयरफ़ोर्स का इस्तेमाल करते हुए सर्जिकल स्ट्राइक किया उसके सूत्र चाणक्य के विदेश नीति के सूत्र नंबर दो में मिलते हैं. चाणक्य की विदेश नीति में विग्रह नीति का मतलब है जो युद्ध करते हैं उनसे युद्ध ही विकल्प है. मोदी सरकार ने पाकिस्तान के साथ बातचीत की खिड़की बंद कर दी. 2014 में विदेश मंत्री स्तर की वार्ता को रद्द किया और सेना पर हमले का जवाब सर्जिकल स्ट्राइक के ज़रिये दिया.
जम्मू कश्मीर में वाजपेयी और रॉ के प्रमुख रहे एस दुलत की अलगाववादियों से बातचीत और कश्मीरियत की पॉलिसी के विपरीत राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल की मस्कुलर पॉलिसी के पीछे भी चाणक्य की नीति का ही असर है. शाह के मुताबिक चाणक्य ने वसुधैव कुटुम्बकम की भावना की जगह देशहित को सर्वोपरि रखने का निर्देश दिया है. पड़ोसी पाकिय्तान और चीन के संबंधों को दो तरीके से निपटने की कूटनीति की छाप विग्रह और संश्रय में मिलती है.
यह भी पढ़ेंः चुनावी तैयारियों के लिए जम्मू कश्मीर बीजेपी नेताओं से मिलेंगे शाह और नड्डा, एजेंडे में धारा 35 ए नहीं
साम, दाम, दंड, भेद की नीति
चाणक्य की नीति साम, दाम, दंड भेद का जिक्र करते हुए शाह लिखते हैं कि चाणक्य ने कहा है कि साम, दाम, दंड भेद का प्रयोग व्यक्ति के लिए नहीं, राष्ट्र को यशस्वी बनाने के लिए करना चाहिये. सत्य क्या है और असत्य क्या है इस प्रश्न को पूछते हुए शिष्य चाणक्य से पूछते हैं कि आप पर कई गणराज्यों के प्रमुखों की हत्या कराने का आरोप है. सत्य क्या है? चाणक्य जबाब देते हैं कि जो काम करते समय अंतरात्मा कहे कि यह कार्य कर लेना चाहिये वहीं सत्य है. मैंने खुद के लिए कुछ नहीं किया,अपने राष्ट्र को एक करने के लिए किया है. बुनकर से ज्यादा सत्यवादी कोई नहीं हो सकता. इस शीर्षक में साफ नहीं किया गया है कि गृहमंत्री अमित शाह किस परिप्रेक्ष्य में इसका उल्लेख कर रहे थे.
कुल मिलाकर अगर मोदी सरकार को समझना है तो आपको चाणक्य को पढ़ना पड़ेगा क्योंकि मोदी सरकार की नीतियों और गवर्नेंस के मॉडल का ब्ल्लूप्रिंट चाणक्य की शासन नीति से लिया गया है और इसकी झलक शासन की नीति पर हर जगह दिखती है.