नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम (MCD) में भले ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के हाथ से सत्ता चली गई हो, लेकिन इस हार में भी उसे एक उम्मीद की किरण नज़र आ सकती है. आंकड़ों की तरफ देखने पर कहा जा सकता है कि अगर आज दिल्ली में विधानसभा चुनाव कराए जाते और मतदाता उसी तरह अपने मताधिकार का प्रयोग करते तो बीजेपी 70-सदस्यीय दिल्ली विधानसभा में 24 सीटों पर जीत का परचम लहरा लेती. सीटों की यह संख्या 2020 की तुलना में 16 ज्यादा है.
दूसरी ओर, सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) को 41 सीटों पर ही संतोष करना पड़ता, जो 2020 की तुलना में 21 सीट कम हैं.
दिप्रिंट हर विधानसभा क्षेत्र में वार्ड-वार वोटों का अनुमान लगाकर इन आंकड़ों पर पहुंचा है. हालांकि, नगरपालिका, विधानसभा और संसदीय चुनावों में वोटिंग पैटर्न और मतदाताओं के मसले अलग-अलग होने के चलते इस तरह के निष्कर्ष एक सटीक तस्वीर पेश नहीं करते हैं.
इस साल एमसीडी चुनावों में 50.48 प्रतिशत मतदान हुआ. यह साल 2017 में 53.6 प्रतिशत मतदान से भी कम है. जबकि 2020 के विधानसभा चुनावों में मतदान प्रतिशत 62.59 प्रतिशत रहा था.
राजनीतिक विश्लेषक रशीद किदवई के अनुसार,‘एमसीडी चुनाव इस मायने में असामान्य हैं कि वे प्रत्यक्ष लोकतंत्र की अवधारणा के सबसे करीब हैं. मतदाता अपने उम्मीदवारों और उनके फायदे व नुकसान से अच्छी तरह वाकिफ होते हैं. दिल्ली में शीला दीक्षित जी के समय में भी भाजपा एमसीडी में इसलिए सत्ता में बनी हुई थी क्योंकि उसका ज़मीनी स्तर से जुड़ाव बेहतर था. मतदाता जानते हैं कि अंतर कैसे करना है.’
यहां इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि दिल्ली कैंट और नई दिल्ली कैंटोनमेंट बोर्ड और नई दिल्ली एमसीडी के अंतर्गत आते हैं. इन इलाकों के लगभग 2.76 लाख मतदाता एमसीडी मतदाता इस विश्लेषण का हिस्सा नहीं हैं.
एमसीडी चुनावों के वोटिंग पैटर्न का विश्लेषण करते हुए यह आकलन लगाया जा सकता है कि दिल्ली में अगर आज विधानसभा चुनाव हुए तो उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की पटपड़गंज सीट और AAP नेता आतिशी की कालकाजी सीट को भाजपा छीन लेती.
एमसीडी चुनाव में कालकाजी के तहत आने वाले तीन वार्डों में बीजेपी को 44,998 और आप को 43,686 वोट मिले थे. इन तीनों वार्डों को 2022 के दिल्ली निकाय चुनावों में बीजेपी ने जीता है.
इसी तरह पटपड़गंज में चारों वार्डों में बीजेपी को 35,048 वोट मिले, जबकि आप को 32,148 वोट मिले.
डेटा के विशलेषण के अनुसार, बवाना, शालीमार बाग, त्रिनगर, शकूर बस्ती, मॉडल टाउन, सदर बाज़ार, पालम, जंगपुरा, कस्तूरबा नगर, शाहदरा कुछ ऐसी विधानसभा सीटें हैं जो बीजेपी के खाते में जा सकती हैं.
आंकड़े बताते हैं कि अधिकतम वोट का अंतर पूर्वी-दिल्ली के रोहताश नगर निर्वाचन क्षेत्र में रहा. इस सीट में चार वार्ड शामिल हैं-अशोक नगर, राम नगर पूर्व, रोहताश नगर और वेलकम कॉलोनी. 2017 के चुनावों में भाजपा ने तीन वार्डों में जीत हासिल की और सभी चार वार्डों में 55,855 वोट प्राप्त किए थे, जबकि आप को 41,354 वोट मिले. यहां 14,501 वोटों का अंतर रहा था.
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AAP, बीजेपी के वोट शेयर में उछाल
एमसीडी चुनाव के लिए सभी 250 वार्डों में 1.45 करोड़ से ज्यादा मतदाता रजिस्टर हैं.
आप ने 134 वार्डों के साथ एमसीडी चुनाव जीता, जबकि 15 साल से अधिक समय तक एमसीडी पर शासन करने वाली बीजेपी 104 वार्डों के साथ दूसरे स्थान पर रही. AAP ने इन चुनावों में 2017 में 21.09 प्रतिशत से अपने वोट शेयर में 42.05 प्रतिशत की वृद्धि देखी है. हालांकि, बीजेपी ने 2017 की तुलना में अपने 77 वार्डों को खो दिया है, लेकिन अगर वोट शेयर की बात करें तो जहां 2017 में उसका वोट शेयर 36.08 प्रतिशत था, इस बार वह तीन प्रतिशत से ज्यादा बढ़ा है.
तत्कालीन तीन निगमों- उत्तर, दक्षिण और पूर्वी दिल्ली के विलय के मद्देनजर परिसीमन की कवायद के बाद यह पहला एमसीडी चुनाव था, जिसमें वार्डों की संख्या 272 से घटाकर 250 कर दी गई थी.
नए परिसीमन के बाद दिल्ली में प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र को जनसंख्या के आधार पर कई 3-6 वार्ड तक सीमित कर दिया गया है.
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‘अगले विधानसभा चुनाव में AAP का बहिष्कार’
बीजेपी के इम्प्रीत बख्शी ने कहा कि एमसीडी चुनावों में उनकी पार्टी का बढ़ा वोट शेयर इस बात का सबूत है कि अगले विधानसभा चुनाव में आप का ‘बहिष्कार’ हो जाएगा. बख्शी ने दिप्रिंट को बताया ‘2025 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी का वोट शेयर 50 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा. 15 साल की सत्ता विरोधी लहर के बाद भी बीजेपी के वोटरों ने पार्टी नहीं छोड़ी और हमारा वोट शेयर बढ़ा ही है. हम सिर्फ 1,000 वोटों के अंतर से 16 से ज्यादा सीटों पर हारे हैं.’
किराड़ी विधायक और आप प्रवक्ता ऋतुराज झा ने कहा कि एमसीडी चुनावों की तुलना विधानसभा या लोकसभा चुनावों से करना ठीक नहीं है.
उन्होंने कहा, ‘यह एक त्रिस्तरीय शासन प्रणाली है जहां, लोकसभा और विधानसभा चुनाव मुख्य चुनाव हैं. यहां, मोदी बनाम कौन होगा, यह तय किया जाएगा. स्थानीय निकाय चुनाव में छोटे इलाकों में अलग-अलग प्रत्याशियों का अपना प्रभाव होता है. सबसे अच्छी तुलना 2017 के एमसीडी चुनाव से की जाएगी और आप की सीटों में 300 प्रतिशत का उछाल देखने को मिला है.’
किदवई के अनुसार, भारतीय मतदाता राजनीतिक रूप से चतुर हैं और अलग-अलग चुनावों में अपने मतदान विकल्पों का अलग-अलग तरीके से इस्तेमाल करते हैं.
उन्होंने कहा, ‘अगर आप दिल्ली के मुस्लिम मतदाताओं को देखें, तो उन्होंने 2014 के चुनाव में कांग्रेस को वोट दिया था, लेकिन उन्होंने 2015 के विधानसभा चुनाव में AAP को वोट दिया था. इसी तरह दिल्ली में ही (सभी) सात लोकसभा सीटें 2019 में भाजपा के पास चली गईं, लेकिन अगले साल विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 70 में से सिर्फ आठ सीटें जीतीं.’
(अनुवाद: संघप्रिया | संपादन: फाल्गुनी शर्मा)
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