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Thursday, 25 April, 2024
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‘कांग्रेस के खाते में सेंध’ गुजरात में AAP की एंट्री ने कैसे BJP को पहुंचाया फायदा

आप के मौजूद नहीं होने से 17 सीटों पर जीत हासिल करने वाली कांग्रेस को 33 और सीटें हासिल करने में मदद मिलती और शायद विधानसभा में भाजपा की सीटों की संख्या 123 पर आ सकती थी.

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नई दिल्लीः गुजरात विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) की मौजूदगी से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को 33 सीटों का फायदा पहुंचा है, जिससे 182-विधानसभा सदस्यीय सीटों में बीजेपी ने कुल 156 सीटों पर जीत हासिल की.

दिप्रिंट द्वारा चुनाव परिणामों पर किए गए विश्लेषण के अनुसार, इन 33 सीटों में से प्रत्येक पर आप और कांग्रेस के उम्मीदवारों द्वारा प्राप्त वोट भाजपा उम्मीदवारों की तुलना में अधिक थे.

इन 33 में से 17 सीटें राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में थीं, जहां कांग्रेस ने 2017 के विधानसभा चुनावों के दौरान 48 में से 28 सीटें जीतकर बेहतरीन प्रदर्शन किया था. सौराष्ट्र में पार्टी इस बार तीन सीटों पर सिमट कर रह गई. इनमें से 13 अन्य सीटें गुजरात के आदिवासी क्षेत्र में थीं, जो परंपरागत रूप से कांग्रेस का गढ़ रहा है.

यह आंकड़े कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पवन खेड़ा के उस तर्क को सही करार करते हैं, जिसमें उन्होंने कहा था कि गुजरात में ‘आप ने कांग्रेस की जगह खा ली’.

आप के मौजूद नहीं होने से 17 सीटों पर जीत हासिल करने वाली कांग्रेस को 33 और सीटें हासिल करने में मदद मिलती और शायद विधानसभा में भाजपा की सीटों की संख्या 123 पर आ सकती थी.

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हालांकि, आप यह भी दावा कर रही है कि अगर कांग्रेस मैदान में नहीं होती, तो उसे 12 सीटें और मिलतीं (सौराष्ट्र क्षेत्र में सात सहित), जिसमें फिलहाल आप दूसरे और कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही है.

कुल मिलाकर, आम आदमी पार्टी ने 182-सदस्यीय विधानसभा में पांच सीटें हासिल कीं और 35 अन्य में रनर-अप रही. कांग्रेस 119 के साथ दूसरे स्थान पर रही.

आप ने पांच सीटों में चार सौराष्ट्र क्षेत्र में जीतीं. उसने जामजोधपुर और विसावदर में कांग्रेस और बोटाड और गरियाधर में बीजेपी को हराया. आप ने देदियापाड़ा में अपनी पांचवीं सीट हासिल की, जो पहले भारतीय ट्राइबल पार्टी के कब्जे वाली आदिवासी बहुल सीट थी.

आप को ‘विचारधाराहीन’ पार्टी बताते हुए कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने दिप्रिंट से कहा, ‘यह चुनाव हमारे लिए आंखें खोलने वाला है. यह हमें मतदाता के मन में झांकने का मौका देता है. हम विश्लेषण करना चाहते हैं कि मतदाता आखिर क्या चाहते हैं. क्या वे सत्ता में पार्टी के साथ ट्रांसेक्शनल रिलेशन चाहते हैं? AAP मुफ्तखोरी के बल पर चुनाव लड़ती है, मुद्दों या विचारधारा से नहीं.

खेड़ा ने कहा, ‘अरविंद केजरीवाल खुद को मोदी का चैलेंजर कहते हैं, लेकिन कांग्रेस के खाते में सेंध लगाते हैं. मुझे लगता है कि केजरीवाल नहीं जानते कि वह किसके वोट बैंक को निशाना बना रहे हैं. उन्होंने यहां नरम हिंदुत्व की राजनीति की, लक्ष्मी और गणेश का जाप करते रहे, लेकिन बिलकिस बानो के मुद्दे पर एक शब्द भी नहीं बोले.’

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि आप ने ‘वोट-कटर’ की भूमिका निभाई.

गुजरात के एक राजनीतिक विश्लेषक हरि देसाई ने कहा, ‘आप ने पांच सीटें जीतने के अलावा कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई है. नरेंद्र मोदी के लिए राष्ट्रीय चुनौती बनने के बजाय, इसने वास्तव में कांग्रेस के वोट बैंक पर बड़े पैमाने पर सेंध लगाई है. चूंकि एआईएमआईएम (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) या अन्य निर्दलीय उम्मीदवारों द्वारा वोटों का एक अच्छा हिस्सा प्राप्त करने में एक बहुत ही छोटी भूमिका निभाई गई थी, यह AAP थी जिसने कांग्रेस के लिए अपमानजनक हार सुनिश्चित की.


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पाटीदारों के साथ ‘आप’ का संबंध

फरवरी 2021 में सूरत नगर निगम (एसएमसी) चुनाव में 27 सीटें जीतने के बाद आप ने खुद को प्रभावशाली पाटीदार वोट बैंक के लिए एक प्रमुख दावेदार के रूप में पेश किया था. इससे कुछ महीने पहले आप ने पाटीदार नेता गोपाल इटालिया को पार्टी की गुजरात इकाई का कन्वीनर नियुक्त किया था. कांग्रेस ने 2021 के चुनाव में पाटीदारों के गढ़ एसएमसी के सभी 120 वार्डों में एक भी सीट नहीं जीती थी.

विधानसभा चुनाव में 16 विधायक सीट वाले सूरत में आप एक भी सीट नहीं जीत सकी. इनमें से नौ सीटों पर दूसरे स्थान पर आप और सात पर दूसरे स्थान पर कांग्रेस रही.

इस बार सूरत में भाजपा ने सभी 16 सीटों पर जीत दर्ज की है जबकि मांडवी में आप को 49,108 वोट मिले हैं. मांडवी में भाजपा के कुंवरजीभाई हलपति का कांग्रेस के आनंदभाई चौधरी से जीत का अंतर 18,109 था. इसी तरह महुवा में भाजपा उम्मीदवार ने कांग्रेस उम्मीदवार को 18.54 प्रतिशत वोट शेयर से हराया, जबकि आप उम्मीदवार का वोट शेयर 20 प्रतिशत से अधिक था.

पाटीदार बहुल सौराष्ट्र क्षेत्र में आप ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए क्षेत्र की 48 सीटों में से चार पर जीत दर्ज की और 14 सीटों पर दूसरे स्थान पर रही. ये सारी सीटें आप ने बीजेपी से छीनीं. बीजेपी की सौराष्ट्र क्षेत्र में 38 सीटें आईं. कांग्रेस ने 2017 में सौराष्ट्र में 28 सीटें जीती थीं लेकिन इस चुनाव में वह केवल तीन सीटें ही जीत सकी और 26 सीटों पर दूसरे स्थान पर रही.

सौराष्ट्र गुजरात का सबसे बड़ा क्षेत्र है, जहां पर 48 विधानसभा सीटें हैं. इस अकेले क्षेत्र में 11 जिले आते हैं – सुरेंद्रनगर, मोरबी, राजकोट, जामनगर, देवभूमि द्वारका, पोरबंदर, जूनागढ़, गिर सोमनाथ, अमरेली, भावनगर और बोटाद.

आप प्रवक्ता नितिन बारोट ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमारे पास कुछ नहीं था. अब हमें जो कुछ भी मिल रहा है वह हमारे लिए फायदा ही है. सिर्फ सौराष्ट्र में ही नहीं, पूरे गुजरात में हमारा वोट शेयर बढ़ रहा है. यह तय है कि आप राष्ट्रीय पार्टी बनती जा रही है. यह अंतिम है. सौराष्ट्र में किसान आंदोलन हमारी मदद कर रहा है और हमारा समर्थन कर रहा है. बेरोजगार आंदोलन भी हमारी मदद कर रहा है.’

2017 में, कांग्रेस ने आदिवासियों की 27 आरक्षित सीटों में से 15 पर जीत हासिल की थी, और भाजपा ने नौ सीटें जीती थीं. 2022 के चुनाव में आप ने देदियापाड़ा सीट पर जीत हासिल की और नौ में दूसरे स्थान पर रही.

चुनावी मैदान में आप की मौजूदगी ने आदिवासी क्षेत्र की 13 सीटों पर कांग्रेस की संभावनाओं को खराब कर दिया, जहां प्रत्येक सीट पर दोनों दलों के संयुक्त वोट भाजपा की तुलना में अधिक थे. कांग्रेस ने 2017 में इन 13 में से नौ सीटें जीती थीं, जो दिखाता है कि आप ने आदिवासी क्षेत्र में मुख्य विपक्षी पार्टी को कितना नुकसान पहुंचाया है.

(अनुवाद: फाल्गुनी शर्मा और शिव पाण्डेय | संपादन: फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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