scorecardresearch
Friday, 29 March, 2024
होमराजनीतिमणिपुर में बहुमत के करीब पहुंची BJP, ये हैं मुख्यमंत्री के चार दावेदार

मणिपुर में बहुमत के करीब पहुंची BJP, ये हैं मुख्यमंत्री के चार दावेदार

बीजेपी गुरुवार को जारी चुनाव परिणाम में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. बीजेपी ने इससे पहले कहा था कि चुनाव परिणाम आने के बाद उम्मीदवार मुख्यमंत्री के नाम का फैसला किया जाएगा.

Text Size:

गुवाहाटी: भारतीय जनता पार्टी मणिपुर की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है.  3.45 पर चुनाव आयोग की वेबसाइट पर जारी नतीजों के मुताबिक पार्टी अबतक 12 सीट जीत चुकी है और 11 सीटों पर बढ़त बना रखी है.  60 सदस्यों वाली विधानसभा में बीजेपी 31 के जादुई आंकड़ों के करीब पहुंच गई है. पिछले चुनाव में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिल पाया था.

कांग्रेस 2 सीटें जीती हैं और पांच सीटों पर आगे है. नागा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) को दो सीटें मिली हैं और वह पांच सीटों पर आगे है.  नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) पांच सीटों पर बढ़त बनाई हुई है. मणिपुर में बीजेपी नेतृत्व वाले गठबंधन का हिस्सा होने के बावजूद, इन चुनावों में एनपीपी और एनपीएफ, बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव नहीं लड़ी.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) अब तक तीन सीटें जीत कर राज्य में अपना खाता खोल चुकी है. जेडीयू पहली बार यहां से चुनाव लड़ रही है. यह पार्टी नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) का भी हिस्सा है.

अब सवाल है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी किसे मिलेगी? बीजेपी ने इससे पहले कहा था कि चुनाव परिणाम आने के बाद उम्मीदवार मुख्यमंत्री के नाम का फैसला किया जाएगा

मुख्यमंत्री के दावेदारों में वर्तमान मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह का नाम सबसे आगे है. अगर वह मुख्यमंत्री बनते हैं, तो यह उनका दूसरा कार्यकाल होगा. हालांकि, गठबंधन में शामिल अन्य पार्टियां अगर उनके नाम का समर्थन नहीं करती हैं, तो उन्हें सीएम पद पर आसीन करना मुश्किल होगा.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

इससे पहले, एनपीपी कोटे के मंत्री सिंह के काम करने के तरीकों के लेकर नाराजगी जाहिर करते हुए इस्तीफा दे चुके हैं. वे नेतृत्व परिवर्तन की मांग कर रहे थे. बीजेपी के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार पर संकट आने के बाद, बीजेपी के हाई-कमांड को मामले में सुलझाने के लिए दखल देना पड़ा.


यह भी पढ़े: योगी आदित्यनाथ- ‘जिज्ञासु लड़का’ जो फायरब्रांड नेता बनकर उभरा और दोबारा UP का CM बन इतिहास रच दिया


रेस में कौन-कौन हैं?

राजनीतिक जानकारों और पार्टी के सूत्रों के मुताबिक, मणिपुर में मुख्यमंत्री पद के चार दावेदार हैं. बीरेन सिंह, कैबिनेट मंत्री थोंगाम बिस्वजीत सिंह, कांग्रेस के पूर्व राज्य प्रमुख गोविंददास कोंठौजम  और विधानसभा अध्यक्ष युमनाम खेमचंद सिंह.

एन बीरेन सिंह

पूर्व फुटबॉल खिलाड़ी, बीएसएफ जवान और पत्रकार एन बीरेन सिंह ने पहली बार डेमोक्रेटिक रिवोल्यूशनरी पीपुल्स पार्टी के टिकट पर हेंगाग विधानसभा सीट से साल 2002 के मणिपुर विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की. इसके साल भर बाद उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन किया. उन्हें स्टेट ऑफ विजिलेंस का मंत्री बनाया गया.

बीरेन सिंह कभी मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता ओ इबोबी सिंह के करीबी माने जाते थे. माना जाता था कि उन्हें सिंह का संरक्षण प्राप्त है. दोनों के रिश्तों के बीच खटास तब आई जब 2012 चुनाव में बीरेन सिंह को इबोबी सिंह के कैबिनेट में जगह नहीं मिल पाई. इस चुनाव में कांग्रेस राज्य में लगातार तीसरी बार चुनाव जीतने में कामयाब रही थी.

साल 2016 में बीरेन सिंह बीजेपी में शामिल हो गए. यहां पर उन्होंने तेजी से पकड़ बनाया और 2017 के मणिपुर चुनाव में बीजेपी को जीत मिलने के बाद उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया.

पिछले पांच साल में बीरेन सिंह के कार्यकाल में कई तरह के विवाद हुए और सरकार की छवि को कथित तौर पर काफी नुकसान पहुंचा. राज्य में पत्रकारों पर देशद्रोह लगाने के मामले में मुख्यमंत्री की तीखी आलोचना हुई.  बीजेपी और इसके सहयोगियों के रिश्तों में तब खटास आई, जब एनपीपी नेता और उप मुख्यमंत्री युमनाम जॉयकुमार सिंह से सभी पद छीन लिए गए.

विधानसभा चुनाव से पहले दिप्रिंट ने मतदाताओं से बातचीत की. मतदाताओं ने कहा कि बीरेन सिंह सरकार में मणिपुर की सड़कें बेहतर हुई हैं.

थोंगम बिस्वजीत सिंह

थोंगम बिस्वजीत सिंह ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग के मंत्री रहे. उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर 2012 में विधानसभा चुनाव से अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की. वह इंफाल पूर्वी जिले के थोंगजु विधानसभा सीट से विधायक चुने गए.

साल 2015 में उन्होंने टीएमसी से इस्तीफा दे दिया और बीजेपी में शामिल हो गए. इसके बाद उन्होंने इसी सीट से उपचुनाव लड़ा और जीतने में कामयाब रहे.

बिस्वजीत ने खुमुकचम जॉयकिशन के साथ मिलकर नवंबर 2015 में बीजेपी को मणिपुर विधानसभा चुनाव में पहली बार जीत दिलाई थी. जॉयकिशन टीएमसी से बीजेपी में आये और फिर बीजेपी से पाला बदल कर कांग्रेस में शामिल हो गए.

साल 2017 में बिस्वजीत विधानसभा चुनाव जीतने में कामयाब रहे और उन्हें कई पोर्टफोलियो दिया गया. साल 2021 में उन्हें बीजेपी का नेशनल एग्जीक्यूटिव कमिटी का सदस्य बनाया गया.

साल 2017 में बीरेन को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद से, बिस्वजीत और बीरेन एक दूसरे के प्रतिद्वंद्वी  बन गए. साल 2019 में कैबिनेट में बदलाव होने के बाद, बिस्वजीत से उर्जा विभाग और उपमुख्यमंत्री जॉयकुमार सिंह से वित्त विभाग की जिम्मेदारी वापस ले ली गई थी.

गोविंददास कोंठौजम

गोविंददास कोंठौजम विष्णुपुर विधानसभा से छह बार कांग्रेस के विधायक रहे. वह 2017 के विधानसभा चुनावों के बाद कांग्रेस विधायक दल के मुख्य सचेतक भी रह चुके हैं. गोविंददास कोंठौजम इस इलाके के बड़े कांग्रेसी नेता थे.

कोंठौजम, मणिपुर प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष भी रहे. साल 2021 में उन्होंने निजी कारणों से पार्टी छोड़ दिया और बाद में बीजेपी में शामिल हो गए.

युमनाम खेमचंद सिंह

कारोबारी युमनाम खेमचंद सिंह ने पहली बार साल 2012 में सिंगजामेई विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था. वह कांग्रेस के इरेंगबाम हेमोचंद्र सिंह से हार गए थे. पांच साल बाद, 2017 में खेमचंद यहां से जीतने में कामयाब रहे और मणिपुर विधानसभा अध्यक्ष बनाए गए.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


यह भी पढ़े: बेरोजगार UP में राशन, भाषण, कड़ा प्रशासन योगी के मूल मंत्र थे; बीजेपी ने इसमें इमोशन और जोड़ दिया


share & View comments