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Friday, 22 November, 2024
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दीदी का दिल्ली में दमदार हथियार हैं महुआ मोईत्रा जो रखेंगी टीएमसी का झंडा ऊंचा

महुआ मोइत्रा ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर जारी बहस को लोकसभा में बीजेपी बनाम तृणमूल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी.

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नई दिल्ली: तृणमूल कांग्रेस से पहली बार सांसद चुनी गई बैंकिंग क्षेत्र की कंपनी, जेपी मार्गन की पूर्व उपाध्यक्ष महुआ मोइत्रा ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर जारी बहस को लोकसभा में बीजेपी बनाम तणमूल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. हिन्दी कवि रामधारी सिंह दिनकर को उद्धृत करते हुए पूर्व बैंकर ने कहा कि मतभेद इस देश का राष्ट्रीय चरित्र है उसे खत्म नहीं किया जा सकता.

एनआरसी पर हमले करते हुए मोइत्रा ने कहा कि केवल एक समुदाय को एनआरसी में परेशान किया जा रहा है. पांच सालों में बीजेपी सरकार ने देश को अंधेरे में धकेल दिया है. बीजेपी की राष्ट्रीयता नक़ली है. मोइत्रा ने सरकार पर हमला करते हुए कहा कि यह लोकसभा चुनाव रोज़गार, किसानों के मुद्दे पर नहीं लड़ा गया. बल्कि यह पूरा चुनाव व्हाट्सएप और फेक न्यूज़ पर लड़ा गया.

तृणमूल कांग्रेस के आक्रामण में जान फूकतें हुए मोइत्रा ने कहा ‘जब मैं छोटी थी मां अपनी बातें मनवाने के लिए काले भूत का डर दिखाती थी. देश में पिछले पांच साल से राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर काले भूत से रोज़ डराया जा रहा है. रोज़ नए दुश्मन का डर दिखाकर छद्म राष्ट्रीयता का आवेग तैयार किया जा रहा है. पूरा देश रामजन्मभूमि के 2.77 एकड़ के लिए चिंतिंत नहीं है.’


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तृणमूल के हमले का जबाब पश्चिम बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष ने दिया. मेदनीपुर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीतकर आए बंगाल बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा पश्चिम बंगाल को पूर्वी बंग्लादेश बनाने की पूरी साज़िश चल रही है. बंगाल में स्कूल है तो टीचर नहीं, पुलिस स्टेशन है तो पुलिस नहीं, डाक्टर है तो नर्स नहीं. मतदाता हैं तो मतदान केन्द्र पर क़ब्ज़ा है. बंगाल की जनता को ममता बनर्जी ने आयुष्मान भारत, किसान सम्मान निधि से वंचित कर रखा है. पहले धर्म के आधार पर बांटने की राजनीति चलती थी अब भाषा के आधार पर राजनीति की जा रही है.

पहली बार लोकसभा पहुंचे दिलीप घोष ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकारी योजनाओं को जनता तक पहुंचाने के लिये बिचौलिये और तृणमूल कांग्रेस के नेता जनता से कमीशन लेते है. ऐसा मॉडल केवल ममता के प्रशासन में ही चल सकता है. अब मुख्यमंत्री कह रहीं हैं कि वो इन बिचौलियों को दूर करने के लिए क़ानून बनाएगी पर जब राज्य में क़ानून नाम की चीज़ ही नहीं बची है. क़ानून बनाने से क्या फायदा होगा?

कौन हैं महुआ

2008 में न्यूयॉर्क से जेपी मार्गन की नौकरी छोड़कर राजनीति में आई महुआ पहले राहुल गांधी के आम आदमी के सिपाही प्रोजेक्ट से जुड़ी, बाद में ममता की नज़र पड़ने पर कांग्रेस छोड़कर तृणमूल के संगठन से जुड़ गईं. पहली बार करीमपुर से 2016 में तृणमूल की विधायक चुनी गई.

महुआ की आक्रामकता और आग को देखकर ममता ने उन्हें संगठन में महासचिव और प्रवक्ता की ज़िम्मेदारी दे रखी थी. अपने बैंकिंग रिश्तों का फायदा उठाते हुए महुआ ने करीमपुर में तकरीबन 150 करोड़ का निवेश कराकर क्षेत्र का कायापलट किया. तभी से महुआ ममता की आंखो में चमकी और ममता ने महुआ को कृष्णानगर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने को कहा. ममता ने अभिनेता और दो बार के सांसद तापस पॉल का टिकट काटकर महुआ को चुनाव लड़ाया.


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महुआ ने न केवल कृष्णानगर से चुनाव जीता. बल्कि ममता की दिल्ली में फ़्रंट से मुकाबला करने वाले मुखर सांसद की कमी को भी पूरा किया. ममता को संसद में एक ऐसे फायरब्रांड महिला सांसद की ज़रूरत थी, जो  सौगत रॉय और सुदीप बंदोपाध्याय के अनुभव के साथ अपनी आक्रामकता भरकर बीजेपी का संसद में सामना कर सके. मोदी सरकार पर आक्रामक महुआ ने अपने पहले भाषण से अपनी राजनैतिक मेंन्टोर ममता बनर्जी को ज़रूर ख़ुश किया होगा.

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