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Sunday, 3 November, 2024
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ज्यादातर लोग धर्मांतरण विरोधी कानून के पक्ष में, इसे लेकर कोई भी आशंका अनुचित: कर्नाटक CM बोम्मई

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने दिप्रिंट को दिए एक इंटरव्यू में विवादास्पद धर्मांतरण विरोधी विधेयक से लेकर ‘बिटकॉइन घोटाले’ और एमएलसी चुनावों में भाजपा के प्रदर्शन पर विस्तार से चर्चा की.

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वाराणसी: कर्नाटक में ऐसे समय पर जबकि ईसाइयों पर हमले की कई घटनाएं सुर्खियों में रही हैं, भाजपा सरकार की तरफ से राज्य विधानमंडल के मौजूदा शीत सत्र के दौरान एक धर्मांतरण विरोधी विधेयक पेश करने के आसार के बीच सभी की निगाहें मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई पर टिकी हुई हैं.

पिछले हफ्ते बेलगावी के एक चर्च पर हमले का वीडियो वायरल होने के बाद से विपक्ष और अल्पसंख्यक अधिकार समूहों की तरफ से आलोचना तेज कर दी गई है जिसमें बोम्मई सरकार पर अल्पसंख्यक विरोधी भावनाएं भड़काने का आरोप लगाया जा रहा है.

हालांकि, मुख्यमंत्री इससे सहमत नहीं हैं. बोम्मई ने दिप्रिंट को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि धर्मांतरण विरोधी विधेयक के बारे में किसी तरह की आशंका ‘अनुचित’ है और सरकार का एकमात्र उद्देश्य बलपूर्वक या जबरन धर्मांतरण को रोकना है.

उन्होंने कहा, ‘यह केवल कर्नाटक सरकार नहीं है जो इस तरह के कानून लाने की कोशिश कर रही है. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात जैसे अन्य राज्यों में पहले से ही जबरन धर्मांतरण पर प्रतिबंध लगाने के कानून हैं. जबरन धर्म परिवर्तन के कई मामले हमारे संज्ञान में आने के बाद ही इस कानून को लाने पर विचार किया गया.’

‘किसी भी समुदाय के लोगों को डरना नहीं चाहिए कि उनके साथ किसी प्रकार का उत्पीड़न होगा.’

भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक में भाग लेने वाराणसी पहुंचे बोम्मई ने दिप्रिंट के साथ राज्य के हालिया क्रिप्टोकरेंसी विवाद और इस सप्ताह विधान परिषद चुनावों में पार्टी के उत्साहजनक प्रदर्शन के बारे में भी बात की.


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‘हम किसी धर्म के खिलाफ नहीं’

धर्मांतरण विरोधी विधेयक को लेकर विवाद हाल के हफ्तों में बढ़ गया है. गौरतलब है कि 28 नवंबर को बजरंग दल के लगभग 25 सदस्यों ने कथित तौर पर एक चर्च में घुसकर एक प्रार्थना सभा में बाधा डाली थी.

मानवाधिकार संगठन पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) की इस हफ्ते की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि इस साल की शुरुआत से अब तक ईसाइयों के खिलाफ हेट क्राइम के 39 मामले सामने आए हैं.

बेंगलुरू के आर्कबिशप ने नवंबर में मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर आगाह किया था कि ‘अवांछनीय और भेदभावपूर्ण’ बिल ‘अराजक तत्वों के लिए एक हथियार बन जाएगा’ और यह सांप्रदायिक तनाव का कारण बनेगा.

बोम्मई ने दिप्रिंट से कहा कि उन्हें नहीं लगता कि यह कोई ‘बड़ा मुद्दा’ है और अधिकांश लोग धर्मांतरण विरोधी कानून के पक्ष में हैं. उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने ईसाई समुदाय के डर को दूर करने की पूरी कोशिश की है.

बोम्मई ने कहा, ‘मैंने सभी को भरोसे में लिया है. मैं ईसाई समुदाय के नेताओं से मिला हूं और उन्हें आश्वास्त भी किया है कि धर्मांतरण विरोधी कानून किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं है. बहुसंख्यक समुदाय इसकी मांग कर रहा है.’

उन्होंने कहा, ‘कानून केवल जबरन धर्मांतरण के खिलाफ है, जो प्रलोभन देकर कराया जाता है. उत्पीड़न से डरने की जरूरत नहीं है लेकिन अगर कोई जबरन धर्मांतरण कराता है तो कानून अपना काम करेगा.’

बेंगलुरू के आर्कबिशप पीटर मचाडो ने अपने पत्र में कहा था कि प्रस्तावित कानून संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन है, जो लोक व्यवस्था, सदाचार और स्वास्थ्य के अधीन रहते हुए सभी व्यक्तियों को धर्म के अबाध रूप से मानने, उसके अनुरूप आचरण करने और प्रचार करने का समान अधिकार प्रदान करता है.

अक्टूबर में पीयूसीएल ने भी कर्नाटक हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि राज्य सरकार चर्च और पादरियों के सर्वेक्षण का आदेश देकर ईसाइयों को ‘सताने’ की कोशिश कर रही है. सर्वेक्षण का आदेश पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक कल्याण मामलों की विधायी समिति की तरफ से दिया गया था.


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‘विधान परिषद में और सीटों की उम्मीद थी लेकिन नतीजा अच्छा ही है’

इस सप्ताह हुए विधान परिषद चुनावों के नतीजों के बारे में पूछने पर- जिसमें भाजपा को 25 में से 11 सीटें मिली हैं, बोम्मई ने कहा कि वह इससे खुश हैं.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘नतीजा हमारे लिए काफी अच्छा रहा है. हालांकि, हम 13-14 सीटों की उम्मीद कर रहे थे लेकिन फिर भी हमने अपने प्रदर्शन में सुधार किया है. हम पार्टी की संगठनात्मक बैठक में अपने प्रदर्शन की समीक्षा करेंगे.’

राज्य विधानसभा के 75 सदस्यीय उच्च सदन विधान परिषद में भाजपा की ताकत 32 से बढ़कर 37 (बहुमत से एक कम) हो गई है, जबकि कांग्रेस सदस्यों की संख्या 29 से घटकर 26 रह गई है.

यह उस पार्टी के लिए एक राहत की बात है, जिसे पिछले महीने हंगल उपचुनाव में शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा था, जो निर्वाचन क्षेत्र मुख्यमंत्री के अपने गृह जिले हावेरी में पड़ता है. जुलाई के अंत में येदियुरप्पा की जगह कर्नाटक के मुख्यमंत्री का पद संभालने वाले लिंगायत नेता के लिए यह पहली राजनीतिक परीक्षा थी.

हंगल में चुनाव प्रचार के लिए बोम्मई एक सप्ताह तक वहीं डेरा डाले रहे थे, इसके बावजूद इस सीट पर हार ने भाजपा में खलबली मचा दी थी.


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‘क्रिप्टोकरेंसी घोटाले में सरकार की कोई भूमिका नहीं’

नवंबर में विपक्षी दल कांग्रेस ने कर्नाटक सरकार पर कथित बिटक्वाइन घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया था.

श्रीकृष्ण रमेश नाम के एक हैकर ने कर्नाटक सरकार की ई-प्रोक्योरमेंट साइट में सेंध लगाकर कथित तौर पर 11.5 करोड़ रुपये की हेराफेरी की थी और सरकार पर इसे ‘कवर-अप’ करने के आरोप लगे थे. बोम्मई ने इस मसले पर प्रधानमंत्री मोदी के साथ चर्चा की थी, जिन्होंने मुख्यमंत्री को सतर्कता बरतने की सलाह दी थी.

कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने दिप्रिंट को बताया कि राज्य में बिटक्वाइन घोटाला कोई ‘मुद्दा नहीं’ है. उन्होंने कहा, ‘जांच जारी है. विपक्ष इसे बेवजह मुद्दा बना रहा है, यह उनका एजेंडा है. इस घोटाले में सरकार की कोई भूमिका नहीं है.’


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‘2023 के विधानसभा चुनाव में कोई चुनौती नहीं’

यह पूछे जाने पर कि 2023 में प्रस्तावित कर्नाटक विधानसभा चुनावों में वह भाजपा का प्रदर्शन कैसा रहने की उम्मीद करते हैं, बोम्मई जीत के प्रति पूरी तरह आश्वस्त नजर आए.

उन्होंने कहा, ‘राज्य सरकार पूरी ऊर्जा के साथ काम कर रही है. केंद्रीय योजनाएं लागू करने में हमारा ट्रैक रिकॉर्ड बहुत अच्छा रहा है. हम गरीबों के लिए योजनाएं लागू कर रहे हैं और हमने किसानों, युवाओं, महिलाओं और समाज के अन्य सभी वर्गों के लिए भी काफी काम किया है.’

‘मुझे अगले विधानसभा चुनाव में कोई चुनौती नजर नहीं आ रही है. मुझे पूरा भरोसा है कि लोग हमें वोट देंगे और हम पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाएंगे.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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