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Wednesday, 20 November, 2024
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मध्य प्रदेश में राजनीतिक लड़ाई से फुरसत मिली तो अब शुरू हुई शिवराज के सहारे कोविड-19 से जंग

मध्य प्रदेश में कोरोना से निपटने के लिए कोई स्वास्थ्य मंत्री तक नहीं है. अकेले सीएम शिवराज सिंह ने कमान थाम रखी है. इस बीच भी राज्य में अफसरों के थोकबंद राजनीतिक तबादलों का सिलसिला भी जारी है.

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नई दिल्ली: कोरोना से निपटने की रणनीति और बचाव की तैयारियां को लेकर मध्य प्रदेश के रवैये पर सवाल खड़े हो रहे है. जिस वक्त कोविड-19 महामारी को लेकर सावधानी की शुरुआत हुई थी तब यह प्रदेश सरकार गिराने और बचाने की राजनीतिक उठापटक में व्यस्त था. राज्य से सटे प्रदेश राजस्थान और महाराष्ट्र में कोरोना जब तेजी से फैला उसी वक्त मध्य प्रदेश के तत्कालीन मंत्री तुलसी सिलावट अपनी ही कांग्रेस सरकार को गिराने के लिए खुद राजनीतिक क्वारेंटाइन हो गए.हैरत की बात यह है कि अब भी प्रदेश में महामारी से निपटने के लिए कोई स्वास्थ्य मंत्री तक नहीं है. अकेले सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कमान थाम रखी है, और एक के बाद एक घोषणाओं से लेकर कर्फ्यू जैसे कदम उठाए जाने लगे हैं. इस बीच भी मध्य प्रदेश में अधिकारियों का थोकबंद राजनीतिक तबादलों का सिलसिला जारी है.

मध्य प्रदेश स्वास्थ्य मंत्रालय में अतिरिक्त संचालक सपना एम. लोवंशी ने दिप्रिंट से कहा, ‘प्रदेश की राजनीतिक उठापटक का हमारी तैयारियों पर कोई भी असर नहीं हुआ है. हम लोग लगातार काम कर रहे हैं. ऐसा कहीं नहीं है कि हमारी कही चूक हुई है.’

दावों से इतर आपको याद होगा कि दस दिनों तक पूरे प्रदेश में कोरोना की चिंता को छोड़ राजनीतिक ड्रामा चलता रहा. कांग्रेस सरकार गिरी और भाजपा की नई भी बन गई. इस बीच भी इस प्रदेश में महामारी को लेकर गंभीरता नजर नहीं आई. जबलपुर में जब एक साथ चार मरीज मिले तो राज्य कोरोना को लेकर जागा. हालांकि इसके बाद भी प्रदेश के सबसे बड़े शहर इंदौर में, जनता कर्फ्यू के जश्न का लापरवाह नजारा देशभर की सूर्खियों में छाया. महज तीन दिन पहले एक के बाद एक दस कोरोना संक्रमित लोग इस शहर में मिले और 24 घंटे में दो मौतें भी हो गईं तब जाकर प्रदेश सरकार का रवैया महामारी पर गंभीर नजर आने लगा है.

मध्य प्रदेश स्वास्थ्य विभाग के एक उच्च अधिकारी ने नाम न छापने के अनुरोध पर दिप्रिंट हिंदी से दावा किया कि, ‘राज्य में कोविड 19 से निपटने की तैयारी में कोई कसर नहीं छूटी है. वर्तमान स्थिति में राज्य में अभी कुल 3 हजार बेड्स हैं. 1200 सौ आईसीयू बेड्स हैं लेकिन इनकी संख्या दिन ब दिन बढ़ती ही जा रही है. राज्य में जितने भी हॉस्पिटल आयुष्मान भारत योजना से जुड़े हैं वहां कोरोना का इलाज होगा. चाहे मरीज आयुष्मान का हितग्राही हो या नहीं. सरकार इसका खर्चा देगी. वहीं पहले मेडिकल कॉलेज में उपचार होगा. इसके बाद जैसे-जैसे संख्या बढ़ेगी जिलों के अस्पताल में ले जाएंगे.’

शिवराज ने शपथ लेते ही कोरोना को लेकर की बैठक

23 मार्च को शपथ लेने के बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि पहली प्राथमिकता कोरोना को रोकने को लेकर होगी. शपथ के तुरंत के बाद वह वल्लभ भवन मंत्रालय पहुंचे. उन्होंने रात में ही सीएम का कार्यभार संभाला.

इसके बाद उन्होंने रात में करीब 11 बजे स्वास्थ्य विभाग के अमले के साथ बैठक की. इसमें केंद्र और राज्य सरकार के प्रतिनिधि भी शामिल थे. इसके बाद उन्होंने राज्य में फैलते कोरोना को लेकर सभी जिलों के कलेक्टर और पुलिस अधिकारियों को निर्देश भी जारी किया.

जैसे ही राज्य में बढ़ा कोरोना उठाए ये कदम

कोरोना के बढ़ते प्रकोप और राज्य में भाजपा की सत्ता आने के बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान अपने पूरे एक्शन में आ गए हैं. उन्होंने अखबारों व ट्वीट के माध्यम से लोगों को कोरोना से बचने के लिए संदेश भी दिया. उन्होंने ट्वीट किया, ‘मेरे सोशल मीडिया अकाउंट हमेशा से ही हरसंभव मदद के लिए खुले हुए हैं. मैं आशा करता हूं कि लोग जिम्मेदारीपूर्ण तरीक़े से इस माध्यम का उपयोग कर मुझसे सम्पर्क कर सकते हैं.’

वहीं, सरकार ने राज्य में कोरोना के बढ़ते मामले के बाद 24 मार्च को ही 104 और 181 टोल फ्री नंबर शुरू किए. जिससे लोग कोरोना से संबंधित सहायता ले सकते हैं.

इसके बाद से लेकर अब तक सरकार राज्य में कोरोनावायरस के फैलाव को रोकने के उपायों की विस्तृत समीक्षा करने में जुटी हुई है. राज्य के कई जिलों में लॉकडाउन और कर्फ्यू लगाने के निर्देश दिए गए हैं.

वहीं जब पीएम के आह्वान के बाद लगे जनता कर्फ्यू से इंदौर सहित कई शहरों के लोग एकत्र हो गए. इसके बाद से सरकार ने शहरों को लॉकडाउन करना शुरू किया. यह कदम देरी से उठाने को लेकर प्रशासन को और आलोचना का सामना भी करना पड़ा.

स्वास्थ्य मंत्रालय में अतिरिक्त संचालक सपना एम. लोवंशी ने दिप्रिंट से कहा, ‘जो लोग बाहर निकल रहे हैं उसके लिए प्रशासन को कड़ा रुख लेने के लिए कहा है.’

अब तक 24 केस, दो की मौत और 2 हजार लोग निगरानी में

राज्य में कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं. राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, ‘राज्य में कुल 29 केस हैं. इनमें से इंदौर से ही केवल 15, भोपाल में 3 और शिवपुर में दो, जलबपुर से 8, और ग्वालियर में एक पॉजिटिव है. वहीं राज्य में करीब 2 हजार लोग को निगरानी में रखा गया है. 20 संदिग्धों की रिपोर्ट जांच के लिए भेजी गई है. इंदौर में दो लोगों की मौत हो गई है. इनमें एक 65 वर्षीय बुजुर्ग इंदौर से और 65 वर्षीय बुर्जु महिला उज्जैन की रहने वाली थी.’

स्वास्थ्य मंत्रालय में अतिरिक्त संचालक सपना एम. लोवंशी ने दिप्रिंट से कहा, ‘अभी तक 29 लोग कोरोना पॉजिटिव हैं और 2 लोगों की मृत्यु भी हुई है. इंदौर में जहां संक्रमित मरीज ज्यादा पाए गए हैं. उन 9 क्षेत्रों को निषेध कर दिया गया है. लोगों के आने-जाने पर पाबंदी लगा दी गई है.’


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मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रवीण जड़िया ने दिप्रिंट से कहा, ‘मध्य प्रदेश में कोरोना से गुरुवार को जिस व्यक्ति की मौत हुई उसका इलाज शहर के एमआरटीबी अस्पताल में चल रहा था. उसकी उम्र करीब 65 साल थी. सर्दी, खांसी और सांस लेने में दिक्कत के बाद इस व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती कराया गया था.’

इससे पहले, बुधवार को उज्जैन की 65 वर्षीय महिला ने इंदौर के एमवाय अस्पताल में दम तोड़ा था.

भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल बना राज्यस्तरीय कोराना उपचार केंद्र

राज्य सरकार ने राज्य के भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल को राज्यस्तरीय कोराना उपचार केंद्र बनाया है. यहां केवल कोविड 19 से संक्रमित मरीजों का ही इलाज किया जा रहा है. स्वास्थ्य विभाग ने इसके लिए आदेश भी जारी करते हुए कहा है, यह स्पेशियलिटी स्वास्थ्य संस्थान है. इसे राज्यस्तरीय कोविड-19 उपचार संस्थान चिन्हित किया जाता है. इसमें सिर्फ कोविड-19 के मरीजों का उपचार किया जाएगा. बीएमएचआरसी को भोपाल गैस पीड़ितों के उपचार के लिए बनाया गया है.

स्वास्थ्य मंत्रालय में अतिरिक्त संचालक सपना एम. लोवंशी के अनुसार, ‘कोरोना को देखते हुए सभी जिलों को लॉकडाउन कर दिया है. हमारे सैंपल टेस्टिंग लैब की संख्या बड़ा दी गई है. इंदौर में एक, ग्वालियर में एक, जबलपुर में एक और भोपाल में दो हैं. ‘इसके अलावा रैपिड रिस्पांस टीम आन कॉल पूरी तरह से तैयार है. 104 टोल फ्री नंबर पर जो भी सूचना मिलती है उस पर रैपिड रिस्पांस टीम उसे जवाब दे रही है.’

घोषणाओं का दौर

21 दिन का लॉकडाउन घोषित होने के बाद सीएम शिवराज ने दूरदर्शन के माध्यम से राज्य की जनता को संबांधित करते हुए कहा, गरीबों, दिहाड़ी मजदूरों के खाने-पीने का हरसंभव इंतजाम हम कर रहे हैं. कोरोना से निपटने हेतु मैंने और मेरे विधायक व सांसद साथियों ने अपने एक माह का वेतन मुख्यमंत्री राहत कोष में दान किया है. मैं समाज से अपील करता हूं कि वे भी सहयोग करे.


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सीएम ने घोषणा करते हुए कहा, ‘लॉकडाउन के कारण उत्पन्न होने वाली स्थिति और इससे प्रभावित वर्गों के लिये सहायता पैकेज देने का निर्णय लिया है. प्रदेश के 46 लाख पेंशनर्स को सामाजिक सुरक्षा योजना के अंतर्गत रु. 600 प्रतिमाह का भुगतान किया जा रहा है. वहीं सभी प्रकार के सामाजिक सुरक्षा पेंशन, विधवा पेंशन, वृद्धावस्था पेंशन, निराश्रित पेंशन इत्यादि का दो माह का एडवांस भुगतान किया जायेगा. संनिर्माण कर्मकार मंडल के अंतर्गत मजदूरों को रु. 1,000 की सहायता राशि उपलब्ध कराई जाएगी. वहीं सहरिया, बैगा और भारिया जनजातियों के परिवारों के बैंक खातों में दो माह की एडवांस राशि दो हजार उपलब्ध कराई जाएगी.इसके अलावा बीपीएल परिवारों को 1 माह का राशन निशुल्क दिए जाने का फैसला किया गया है.’

सीएम ने कहा,यदि कोई इससे संक्रमित भी है तो चिंता ना करें, हम सरकारी और चिन्हित प्राइवेट अस्पतालों में समुचित इलाज की नि:शुल्क व्यवस्था करवा रहे हैं. वहीं सामुदायिक निगरानी को बढ़ाया जाए जिससे बुखार, सर्दी, खांसी के मरीजों के बारे में जिला प्रशासन को तत्काल सूचना मिल सके. जिन मरीजों को सामान्य सर्दी, खांसी और बुखार हो उन्हें जांच के बाद समाधान होने पर घर में ही दवा पहुंचाने के प्रयास करेंगे.

मामले बढ़े तो 15 फरवरी के बाद विदेश लौटने वाली की सूची जारी की

स्वास्थ विभाग ने उन लोगों की सूची जारी कि जो 15 फरवरी के बाद विदेश से प्रदेश लौटे है. इसमें इंदौर के 4415 और भोपाल के 2605 लोग शामिल हैं. इनमें सबसे कम शहडोल से केवल एक व्यक्ति विदेश से लौटा है. इन सभी लोगों में कोरानावायरस संक्रमण की आशंका ज्यादा जताई जा रही है. इन सभी लोगों के अब घर के आगे कोविड-90 सस्पेक्टेड के पोस्टर चिपकाए जा रहे हैं. उन्हे होम क्वारेंटाइन होने के लिए कहा रहा है.

वहीं पड़ोसियों को भी कहा जा रहा है कि संबंधित व्यक्ति या उसका परिवार नियमों का पालन नहीं करता है तो उसकी सूचना कॉल सेंटर में दी जाए. कई लोग इसे निजता का हनन मान रहे है. उनका कहना है कि इससे हमारी बदनामी हो रही है. भोपाल में विदेश से लौटे दो परिवार के लोग इस मामले में जिला प्रशासन की टीम से झगड़े भी है.


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इधर, राज्य सरकार ने भी प्रदेशवासियों से अपील की है कि कोई व्यक्ति अगर प्रोटोकॉल का पालन नहीं करता है तो इसकी सूचना जिला कंट्रोल रूम या 104 हेल्पलाइन पर दें. जन समुदाय से यह भी अपील की जाती है कि वह अपने आस पास में रह रहे क्वारेंटाइन्ड व्यक्तियों के प्रति सद्भाव रखें .कभी भी उनके स्वास्थ्य कि कोई शिकायत होती है तो तत्काल सूचना अपने जिला कंट्रोल रूम में दें.

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