नई दिल्ली: कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप के बीच संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि देशभर में लॉकडाउन के बीच संघ लोगों की मदद करता रहेगा. कोरोनावायरस को लेकर संघ प्रमुख मोहन राव भागवत ने बुधवार को कहा ‘वो हर संभव मदद के लिए तैयार है. वहीं शासन और प्रशासन की हर संभव मदद के लिए संघ के कार्यकर्ता पूरी तरह से तैयार है. इस युद्ध से मिलकर हम सबको लड़ना होगा.’
संंघ प्रमुख मोहन भागवत ने हिंदू नववर्ष के अपने पहले उद्घोषण में कहा,’ इस नववर्ष के आरंभ में ही सारा विश्व एक संकट से जुझ रहा है. इस युद्ध में विजय भारत की होगी.’
उन्होंने आगे कहा, ‘आज का उत्सव का दिन हमारे लिए एक संकल्प दिवस है. कोरोना नामक विषाणु को परास्त करने के लिए जो देशभर में प्रयास चले हैं, उसमें विजय पाने का संकल्प करके, हमको अपने कार्य को भी करना है और कार्य करते समय सामाजिक दायित्व का निर्वाह भी ठीक ढंग से करना है.’
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संघ प्रमुख ने कहा, ‘हम जानते हैं कि हमारा कार्य और कार्य करने की पद्धति एक प्रकार की है. कार्यक्रम अनेक प्रकार से हो सकते हैं. डॉक्टर हेडगेवार कहते थे कि रात को सब स्वयंसेवक अपना बिस्तर लेकर सोने के लिए एक जगह पर आएं और सुबह उठकर चले जाएं तो भी संघ का कार्य हो सकता है. इस वचन की पड़ताल भी संघ के इतिहास में एक-दो बार हुई है. दो-दो साल अपनी शाखाएं बंद रहीं, लेकिन अपना कार्य चलता रहा.’
उन्होंने कहा,’ हम अपने घरों, बिल्डिंग में बहुत छोटे समूहों में या पांच सात लोगों में प्रार्थना कर सकते है. लेकिन असाधारण परिस्थिति जब देश को हमारी जरूरत होगी तो हमें अपनी शाखा की आवश्यक बातें एकत्र रहना, प्रार्थना कर और सामूहिक संकल्प मन में दोहराने को चालू कर सकते हैं.’
भागवत ने कहा, शासन और प्रशासन की मदद लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यकर्ता पूरी तरह से तैयार हैं. लोगों की मदद, पुलिस और प्रशासन का सहयोग करना स्वंय सेवकों ने शुरु भी कर दिया है. सरकार ने जो नियम बनाए हैं, हमें सभी का पालन करना जरुरी है. समाज के द्वारा अनुशासन का पालन बेहद जरुरी है. इस युद्ध की सबसे बड़ी बात है सोशल डिस्टेंसिंग, जो समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है और इसी से कोरोना आपदा पर हमारी जीत होगी. इस युद्ध से मिलकर हम सबको लड़ना होगा.
इसके पहले तीन बार नहीं लगी शाखा
नाम न छापने के अनुरोध पर संघ के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने दिप्रिंट से कहा, ‘1948 महात्मा गांधी की हत्या के बाद, 1975 इमरजेंसी के दौरान और 1992 अयोध्या में ढांचा गिरने के बाद संघ की शाखाओं पर प्रतिबंध रहा. इस दौरान ध्वज के बिना शाखा लगती थी और कार्यक्रम भी होते थे.’
उन्होंने कहा,’ अभी परिस्थितयां ऐसी है कि सामूहिक एकत्र नहीं हो सकते है. क्योंकि लॉकडाउन और कर्फ्यू भी लगा हुआ है. ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ ही इसका मुख्य कारण है. इसलिए अपने घर परिवार और बिल्डिंग में भी हम प्रार्थना और संकल्प कर सकते है. बाकि हम लोग शासन और प्रशासन के सहयोग में लगे हुए है’