नई दिल्ली: मध्य प्रदेश में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत न मिलने के बाद सत्ता की चाबी बसपा, सपा और निर्दलीय विधायकों में हाथ में है. इस बीच बसपा प्रमुख मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कांग्रेस को अपना समर्थन देने का ऐलान किया है. उधर शिवराज सिंह चौहान ने हार स्वीकार करते हुए कहा है कि वे सरकार बनाने का दावा पेश नहीं करेंगे. वे राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपेंगे.
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कल आए नतीजों में किसी दल को बहुमत नहीं मिला, हालांकि, कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. कांग्रेस को 114 सीटें, भाजपा को 109 सीटें, बसपा को दो, सपा को एक सीटें मिली हैं. इसके अलावा 4 निर्दलीय उम्मीदवार भी जीते हैं. किसी भी दल को राज्य में सरकार बनाने के लिए 116 सीटें चाहिए. बसपा के कांग्रेस को समर्थन के ऐलान के बाद स्पष्ट रूप से कांग्रेस अपना बहुमत साबित कर सकती है.
बसपा प्रमुख मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा, ‘आजादी के बाद सबसे लंबे समय तक कांग्रेस ने शासन किया लेकिन दलितों, अल्पसंख्यकों की समस्याएं खत्म नहीं हुईं. उनका विकास नहीं हुआ. इसके चलते हमें दलितों के उत्थान के लिए अलग पार्टी बनानी पड़ी.’
बसपा प्रमुख ने कहा कि भाजपा एक जातिवादी और संकीर्ण सोच वाली पार्टी है. हमने भाजपा को सत्ता में आने से रोकने के लिए चुनाव लड़ा था, दुख की बात है कि हमें कामयाबी नहीं मिली. हमें पता चला है कि भाजपा चुनाव हारने के लिए मप्र में सत्ता में आने की कोशिश कर रही है. भाजपा को सत्ता से बाहर करने के लिए हमारी पार्टी कांग्रेस को समर्थन देगी.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस से असहमत होते हुए भी हमारी पार्टी ने कांग्रेस को समर्थन देने का फैसला लिया है. मायावती ने यह भी कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो हमारी पार्टी राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी भाजपा को सत्ता से बाहर करने के लिए कांग्रेस को समर्थन देगी.