नई दिल्ली : कर्नाटक भाजपा अध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा के निर्देश पर पार्टी के विधायकों ने राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से दिल्ली में मुलाकात कर उन्हें सरकार बनाने की संभावनाओं से अवगत कराया. पर शाह ने येदियुरप्पा को स्पीकर का फैसला आने तक धैर्य बनाए रखने का निर्देश दिया है. उन्होंने विधायकों को दोबारा मिलने के लिए बुलाया था लेकिन उनके संसद में व्यस्त होने के कारण मुलाकात नहीं हो सकी है.
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मिलने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टर ने कहा कि हमने सारी स्थितियों की जानकारी बीजेपी अध्यक्ष को दे दी है और उन्होंने भरोसा दिलाया है कि स्थिति की समीक्षा के बाद बीजेपी सरकार बनाने की दिशा में आगे बढ़ेगी.
शेट्टर के अलावा येदियुरप्पा के विधायक बेटे विजेन्द्र येदियुरप्पा के करीबी विधायक अरविन्द लिम्बावली. मघुस्वामी और वसावराज बोम्मई ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की. येदियुरप्पा को हाईकमान ने कांग्रेस की तरफ से रिवर्स तोड़फोड़ से बचने के लिए बेंगलुरू में ही रहने को कहा है. बीजेपी हाईकमान ने कर्नाटक बीजेपी प्रभारी मुरलीधर राव को भी बेंगलुरू में रुकने को कहा है.
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कर्नाटक से मंत्रिमंडल में शामिल एक केन्द्रीय मंत्री के मुताबिक बीजेपी हड़बड़ी में कोई फैसला नहीं लेना चाहती और स्पीकर के फैसले का हम इंतजार कर रहें है और इससे सरकार बनाने में थोड़ा विलंब हो सकता है. पार्टी संवैधानिक विशेषज्ञों से भी विचार विमर्श कर रही है कि स्पीकर के फैसला न लेने की सूरत में स्पीकर को हटाने के लिए क्या बीजेपी को पहल करनी चाहिये पर इसके लिए सदन की बैठक बुलानी होगी और संख्या बल की गांरटी होनी चाहिये.
राज्य के वित्त विधेयक को 31 जुलाई तक पारित कराना होगा जिसके लिए सरकार बनना जरूरी है वरना राज्य में राष्ट्रपति शासन थोडे़ समय के लिए लगाना पड़ सकता है जो कि येदियुरप्पा को मंज़ूर नहीं है तो कुल मिलाकर बीजेपी के पास तीन विकल्प ही बचे हैं बशर्ते येदियुरप्पा उसके लिए तैयार हो जाएं. राज्य में इतने कम बहुमत वाली स्थिति में बीजेपी हाईकमान येदियुरप्पा को फ़िलहाल नाराज करने की हालात में नहीं है.
बिना देर किए बीजेपी येदियुरप्पा के नेतृत्व में सरकार बनाए
येदियुरप्पा के करीबी नेताओं का कहना है कि जल्दी से जल्दी बीजेपी हाईकमान सरकार बनाने की हरी झंडी दिखाए. तर्क यह है कि देरी होने पर बागी विधायक का धैर्य जबाब दे सकता है. येदियुरप्पा के एक करीबी नेता के मुताबिक अगर स्पीकर 15 विधायकों को निलंबित भी कर देतें है तब भी सरकार बनाने की संभावना पर कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा. अंतर सिर्फ यह होगा कि बागी विधायकों को मंत्री बनने के लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा. उपचुनाव में मोदी और येदियुरप्पा की लोकप्रियता के कारण ये विधायक आसानी से जीतकर मंत्री बन सकते हैं. बीजेपी प्रभारी मुरलीधर राव के मुताबिक अगर स्पीकर फैसला देने में देरी करते हैं तो बीजेपी इसी संख्याबल पर सरकार बनाने का दावा पेश करेगी.
राष्ट्रपति शासन का विकल्प भी है पर येदियुरप्पा तैयार नहीं
बीजेपी के पास दूसरा विकल्प यह है कि वह राज्य में थोडे़ समय के लिए राष्ट्रपति शासन लगाए और स्पीकर के फैसले के बाद राजनैतिक स्थिति के सामान्य होने का इंतजार करे. ऐसी स्थिति में बीजेपी कुछ और विधायकों का इस्तीफा कराकर अपने संख्याबल को और बेहतर बना सकती है. इस विकल्प में वित्त विधेयक आसानी से पास हो जाएगा और बिना रिस्क उठाए बीजेपी आराम से सरकार बना सकती है. इसमें सुप्रीम कोर्ट के फैसले और स्पीकर के फैसले के बाद किसी अपमानजनक स्थिति से बीजेपी बच सकती है.
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नये चुनाव का विकल्प अंतिम
राज्य में नया जनादेश लेना बीजेपी के लिए सर्वश्रेष्ठ विकल्प हो सकता है अगर अमित शाह इस निडर फैसले पर येदियुरप्पा को राजी कर पाएं. वैसे इस विकल्प पर न विधायक तैयार होंगे और न ही येदियुरप्पा. अभी विधानसभा चुनाव हुए सालभर ही बीते हैं और विधायकों को फिर से चुनाव में जाने का विकल्प आकर्षित नहीं करेगा. इस विकल्प के लिए न केवल विधायकों को फिर से घन बल का इंतज़ाम करना पड़ेगा बल्कि चुनावी अनिश्चतता में जीतने की गारंटी भी नहीं होगी.