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Thursday, 21 November, 2024
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भड़काऊ पोस्ट, सुरक्षा में कमी और हत्यारों की ‘हड़बड़ी’, इन कारणों से उठ रहे कमलेश मर्डर केस पर सवाल

कमलेश तिवारी हत्याकांड में हत्यारों की हड़बड़ी भी साफ नजर आई. पूरी प्लानिंग के साथ आए हत्यारे भागते वक्त मिठाई का डिब्बा, कैशमेमो और पिस्टल जैसे अहम सबूत मौके पर छोड़ गए.

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लखनऊ : हिंदूवादी नेता कमलेश तिवारी की हत्या के मामले में भले ही यूपी पुलिस ने गुजरात एटीएस की मदद से तीन आरोपियों को सूरत से पकड़ लिया हो, लेकिन ये केस इतनी आसानी से सुलझता नहीं दिख रहा. भड़काऊ पोस्ट, सुरक्षा में कमी, हत्यारों की हड़बड़ी व पुलिस का आनन-फानन में मामले के खुलासों ने कई सवाल को जन्म दे दिया है.

एक तरफ कमलेश के घरवालों का आरोप है कि योगी सरकार बनते ही कमलेश की सुरक्षा घटा दी गई. जबकि, अखिलेश सरकार में अधिक सुरक्षा कर्मी तैनात थे. वहीं पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरा है. उन्होंने कहा, ‘ये लोग (योगी सरकार) हत्या की कहानी को भी दूसरी कहानी की तरफ लेकर जा रहे हैं और कह रहे हैं कि 2015 में धमकी दी गई थी. अगर 2015 में धमकी दी गई थी, तो बताओ ढाई साल से सरकार क्या कर रही थी. ढाई साल से सरकार ने कार्रवाई क्यों नहीं की. यह केवल कहानी बना रहे हैं और जिन्होंने घटना की वह भी नहीं पकड़े गए हैं. पकड़े वो गए हैं जो 2015 में साजिश कर रहे थे.’

सीएम से मिलकर भी संतुष्ट नहीं सरकार

रविवार को कमलेश तिवारी का परिवार सीएम योगी से मिला. उन्होंने पूरी मदद का वादा भी किया. लेकिन, कमलेश का परिवार इससे संतुष्ठ नहीं है. कमलेश की मां ने मीडिया को बताया कि हिन्दू धर्म में 13 दिन कहीं जाया नहीं जाता बहुत दबाव में मैं सीएम से मिलने गई. पुलिस वाले बार-बार दबाव डाल रहे थे. उनकी ये भी शिकायत है कि अखिलेश सरकार के वक्त 15 सुरक्षाकर्मी तैनात थे, तो योगी सरकार के वक्त कम होकर महज़ दो क्यों कर दिए गए.


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कमलेश ने बताया था मिल रही हैं धमकियां

सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है. जिसमें कमलेश ने जिक्र किया था कि एक साल पहले भोपाल में उनकी गाड़ी का काफी दूर तक पीछा किया गया था. इस बारे में कमलेश ने मध्य प्रदेश सरकार से शिकायत भी की थी. इसके अलावा उनके कार्यालय की रेकी भी हुई थी, दावा किया गया है कि इस बारे में शिकायत के बाद ही प्रशासन ने कमलेश के कार्यालय पर सीसीटीवी कैमरे लगवाए थे. यह वीडियो कुछ दिन पहले का है, जिसमें कमलेश कह रहे हैं कि उन्हें दुबई और पाकिस्तान से जान से मारने की धमकी भरी कॉल आ रही हैं. वीडियो में कमलेश ने यह भी आरोप लगाया है कि उन्होंने यूपी सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक से सुरक्षा की मांग की थी. एटीएस और इंटेलिजेंस ने भी इनपुट दिया था कि उनकी जान को खतरा है. इसके बावजूद गृह मंत्रालय ने सुरक्षा बढ़ाने पर ध्यान नहीं किया. दलील दी गई कि फाइल राज्य सरकार को भेज दी गई.

हत्यारों की हड़बड़ी और पुलिस की जल्दबाजी

कमलेश तिवारी हत्याकांड में हत्यारों की हड़बड़ी भी साफ नजर आई. पूरी प्लानिंग के साथ आए हत्यारे भागते वक्त मिठाई का डिब्बा, कैशमेमो और पिस्टल जैसे अहम सबूत मौके पर छोड़ गए. वहीं, पुलिस अफसरों ने घटना के कुछ देर बाद ही बिना पर्याप्त साक्ष्य और जानकारी के आपसी रंजिश में हुई हत्या बताना शुरू कर दिया. ऐसे में अपराधियों के बाद पुलिस की इस जल्दबाजी से वारदात के खुलासे पर भी सवाल उठ रहे हैं.

हत्या के बाद मिठाई का डिब्बा, बिल और पिस्टल छूटी जैसे सबूत मौके पर कैसे छूट गए, जिनसे आसानी से उनकी पहचान हो सके. ऐसे में इस गड़बड़ी को संदेह के लिहाज से देखा जा रहा है. कांग्रेस के यूपी चीफ अजय कुमार लल्लू का कहना है कि योगी सरकार मामले पर पर्दा डालने की कोशिश कर रही है. इस मामले की निष्पक्षता से जांच हुई तो कई अहम खुलासे होंगे .

परिवार ने उठाए पुलिस खुलासे पर सवाल

कमलेश के बड़े बेटे सत्यम ने भी मीडिया से बातचीत में पुलिस खुलासे पर सवाल उठाते हुए कहा कि हत्यारे कैमरे में कैद है, जो सुनने में आ रहा है. पुलिस ने खुलासा कर दिया है. हम उसे नहीं मानते वाकई पुलिस ने सही खुलासा किया है तो फुटेज से हत्यारों की पहचान करवाई जाए.


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बीजेपी नेता पर भी लगाए थे परिवार ने आरोप

इस हत्याकांड में पीड़ित परिवार ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता पर साजिश रचने का आरोप लगाया था. तिवारी की मां ने महमूदाबाद में स्थित राम जानकी मंदिर की मुकदमेबाजी को भी इस घटना की वजह बताया है. तिवारी की मां ने शिव कुमार गुप्ता नाम के एक स्थानीय भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेता पर इस हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया. परिवार से जुड़े सूत्रों की मानें तो पिछले कई साल से बीजेपी नेता और कमलेश के परिवार के बीच तनातनी चल रही थी.

बता दें कि कमलेश सोशल मीडिया पर अक्सर भाजपा व आरएसएस के खिलाफ मुखर रहते थे. उन्होंने बीते 14 अक्टूबर को फेसबुक पर लिखा था, ‘भाजपा संघ के लोगो को कमलेश तिवारी का काम नहीं दिखाई दे रहा हैं जो हिंदूओ के लिये जान की बाजी लगाकर कर रहे, संघ भाजपा का विरोध देख रहे, उतरो मुसलमानों के खिलाफ हम तुम्हारे साथ हैं हम जेल मे रहे तब तो साथ दिया नही आज हजारो लाखो हिंदुओ को संगठित कर लड़ रहे तो पीड़ा हो रही हैं.’ यही नहीं इससे पहले भी वह बीजेपी आरएसएस के खिलाफ कई पोस्ट कर चुके थे.

हालांकि, यूपी पुलिस अभी इस घटना के पीछे गुजरात कनेक्शन ही बात कर रही है. डीजीपी ओपी सिंह ने शनिवार को प्रेस काॅन्फ्रेंस कर कहा कि 2015 में कमलेश तिवारी ने पैगंबर मुहम्मद पर जो आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, उसे लेकर ही सूरत के कट्टरपंथियों ने साजिश रची और अपने दो साथियों को भेजकर कमलेश की हत्या कराई. पुलिस को रविवार सुबह लखनऊ स्थित खालसा होटल से हमलावरों के भगवा कुर्ते और एक बैग मिला. वे सूरत से आकर इसी होटल में ठहरे थे. पुलिस के हाथ उनके पहचान पत्र भी लगे हैं. हत्या के आरोपी फरीद और अशफाक फरार हैं. वह ट्रेन से लखनऊ आए थे और ट्रेन से ही शाम को भाग निकले.

पहले आपसी रंजिश बताती रही पुलिस

बता दें कि शनिवार को पुलिस अफसरों ने हत्या के कुछ देर बाद ही बिना जांच के पूरे मामले को आपसी रंजिश बताना शुरू कर दिया. अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी और डीजीपी ओपी सिंह तक ने यही कहा. गुजरात एटीएस के खुलासे के बाद शनिवार को लखनऊ से एसपी क्राइम के नेतृत्व में एक टीम सूरत भेजी गई, जबकि वारदात के कुछ मिनट बाद ही कमलेश का 13 अक्टूबर का गुजरात कनेक्शन का ट्वीट वायरल होने लगा था. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर आला अफसर वारदात को आपसी रंजिश में हुई हत्या साबित करने पर जोर क्यों दे रहे थे और अब पुलिस के खुलासे के बावजूद भी कमलेश का परिवार जांच से संतुष्ट नहीं है.

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