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Friday, 20 December, 2024
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‘जम्मू और डोगरा थे उपेक्षित’- उमर अब्दुल्ला के पूर्व सलाहकार, NC नेता देवेंदर राणा BJP में शामिल

जम्मू-कश्मीर के भाजपा उपाध्यक्ष पवन खजूरिया ने कहा कि राणा के शामिल होने से केंद्र शासित प्रदेश में एनसी को झटका लगेगा.

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नई दिल्ली: नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के जम्मू अध्यक्ष देवेंदर सिंह राणा सोमवार को भाजपा में शामिल हो गए. इससे पहले जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के राजनीतिक सलाहकार के रूप में काम कर चुके राणा केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह के छोटे भाई भी हैं.

तीन बार के विधायक रहे राणा को जम्मू क्षेत्र में नेशनल कॉन्फ्रेंस के चेहरे के रूप में देखा जाता था. 2014 के विधानसभा चुनाव में जम्मू क्षेत्र में भाजपा को मिली भारी जीत के बावजूद वह नगरोटा से जीते थे. उन्होंने मुस्लिम बहुल इलाके कश्मीर आधारित पार्टी एनसी की हिंदू बहुल जम्मू में धर्मनिरपेक्ष छवि को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

राणा, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, जितेंद्र सिंह, हरदीप सिंह पुरी और भाजपा प्रभारी तरुण चुग की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हुए.

उन्होंने कहा, ‘मैंने जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में जम्मू को मजबूत करने के लिए जम्मू घोषणापत्र शुरू किया, क्योंकि जम्मू की उपेक्षा की गई है, डोगराओं की उपेक्षा की गई है. उस समय सबसे बेहतर पार्टी भाजपा थी. राष्ट्रहित में, जम्मू नैरेटिव को मजबूत करने के लिए, मैं भाजपा में शामिल हो गया.’

जनवरी में राणा द्वारा प्रस्तावित जम्मू घोषणापत्र में क्षेत्र के सभी राजनीतिक दलों से क्षेत्र में और अधिक विकास के लिए एकजुट होने का आह्वान किया गया था. इसे धारा 370 को बहाल करने तथा राज्य का दर्जा दिलवाने के लिए बनाए गए कश्मीर आधारिक गुपकर गठबंधन के समकक्ष देखा जा रहा था.

उन्होंने कहा, ‘मैं जम्मू-कश्मीर के समावेशी विकास के लिए जम्मू घोषणा पत्र के लिए काम करूंगा. हमने सभी दलों से इस घोषणा पत्र का हिस्सा बनने को कहा है लेकिन कुछ पार्टियां राजनीति कर रही हैं और क्षेत्र को मजबूत नहीं करना चाहतीं.

राणा के पार्टी छोड़ने से एनसी को नुकसान हो सकता है. उनके साथ एनसी के पूर्व विधायक सुरजीत सिंह सलाथिया भी सोमवार को भाजपा में शामिल हो गए.


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कार और मीडिया उद्यमी

देवेंदर राणा इंजीनियरिंग ग्रेजुएट और उद्यमी हैं. 2008 में वह नगरोटा सीट से विधायक बने और छह साल (2008-2014) के लिए मुख्यमंत्री के सलाहकार के रूप में कार्य किया. इससे पहले नगरोटा सीट भाजपा के पास थी. उन्हें 2011 में जम्मू क्षेत्र का एनसी का प्रांतीय अध्यक्ष भी बना दिया गया था.

डोगरा होते हुए भी उन्हें जम्मू के गुज्जर मुस्लिम समुदायों के समर्थन प्राप्त होने का श्रेय दिया जाता है.

उनके पास न केवल जम्मू बल्कि पंजाब सहित भारत के अन्य हिस्सों में भी ऑटोमोबाइल कंपनी मारुति की कई डीलरशिप हैं. वह जम्मू में स्थानीय चैनल टेक वन के भी मालिक हैं .

नेशनल कांफ्रेंस के एक नेता ने कहा कि राणा और पार्टी के बीच संघर्ष का एक बिंदु यह था कि वह जम्मू पर ज्यादा जोर दे रहे थे.

नेता ने कहा, ‘गुपकर गठबंधन की एक बैठक में उन्होंने फारूक अब्दुल्ला से कहा कि वे पीडीपी (गुपकर सहयोगी) की आवाज़ को ज्यादा बुलंद करके राष्ट्रीय सुरक्षा और अखंडता के साथ समझौता न करें. अब्दुल्ला ने राणा को आश्वस्त किया कि गुपकर गठबंधन राष्ट्र विरोधी नहीं है और हम जम्मू-कश्मीर के लिए काम कर रहे हैं. पिछले साल गुपकर नेताओं के साथ यह उनकी (राणा की) आखिरी बैठक थी.’

जम्मू-कश्मीर के भाजपा उपाध्यक्ष पवन खजूरिया ने कहा कि राणा के शामिल होने से केंद्र शासित प्रदेश में एनसी को झटका लगेगा.

उन्होंने आगे कहा, ‘वह डोगरा हैं लेकिन गुज्जर मुस्लिम और बकरवाल समुदायों के साथ उनका अच्छा तालमेल है, क्योंकि नगरोटा में उनकी सीट पर पर्याप्त संख्या में हिंदू और गुर्जर शामिल हैं.’

उन्होंने कहा, ‘उनके बीजेपी में शामिल होने से जम्मू में नेशनल कांफ्रेंस को नुकसान होगा और इससे गुर्जरों के बीच भी संदेश जाएगा. इस तरह, हम तीन से चार निर्वाचन क्षेत्रों में अपने बढ़त बनाएंगे. कठुआ से लेकर कुपवाड़ा क्षेत्र तक उसका अच्छा नेटवर्क है.

भाजपा के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा कि पहला संदेश ‘हम विधानसभा चुनाव से पहले देना चाहते हैं कि भाजपा सत्ता में आने वाली है, क्योंकि एनसी के नेता भी भाजपा में शामिल होने के लिए पार्टी छोड़ रहे हैं.’

दूसरा, परिसीमन के बाद अनुसूचित जनजाति की नौ आरक्षित सीटों में से, चार जम्मू क्षेत्र में आएंगी. डीडीसी (जिला विकास परिषद) चुनाव में आरक्षण के बाद हम गुज्जर समुदाय में पहले ही पैठ बना चुके हैं.

“उनके शामिल होने के बाद एनसी के वोट बैंक कमजोर होगा और हम उस समुदाय में और अधिक पैठ बना सकते हैं, जो कि जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में 15 से अधिक सीटों पर प्रभावशाली है.

2020 के डीडीसी चुनाव में एनसी को रामबन, किश्वर और राजौरी की तरह जम्मू के मुस्लिम इलाकों में फायदा हुआ, लेकिन भाजपा ने जम्मू, कठुआ, ऊधमपुर, दोना, सांबा और रियासी में शीर्ष पदों पर जीत हासिल करते हुए हिंदू बहुल लोगों में अपना वर्चस्व बनाए रखा. जम्मू में भाजपा को 280 डीडीसी में से 75 सीटें मिलीं, जिनमें तीन कश्मीर में हैं, जबकि गुपकार गठबंधन को 110 सीटें मिलीं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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