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Sunday, 3 November, 2024
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‘अपर्याप्त सबूत’: क्यों मिली मेघालय BJP के उपाध्यक्ष मराक को ‘वेश्यालय’ चलाने के मामले में जमानत

जुलाई में उनके फार्महाउस पर पुलिस की छापेमारी के बाद गिरफ्तार किए गए बर्नार्ड मराक को मेघालय हाई कोर्ट द्वारा चार में से दो मामलों में जमानत दे दी गई है. बीजेपी का कहना है कि ये मामले 'राजनीतिक प्रतिशोध' का हिस्सा हैं.

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तुरा, मेघालय: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) मेघालय के उपाध्यक्ष बर्नार्ड मराक, जो एक पूर्व उग्रवादी से राजनेता बने हैं, को मेघालय हाई कोर्ट ने शुक्रवार को उनके खिलाफ दर्ज चार में से दो मामलों – ‘वेश्यालय’ चलाने और विस्फोटक के भंडारण के लिए – में सशर्त जमानत दे दी.

हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ‘वेश्यालय’ वाले मामले में ‘आरोपी व्यक्ति को इस कथित अपराध से जोड़ने के लिए सबूत अपर्याप्त हैं.’ साथ ही, पुलिस द्वारा मराक के फार्महाउस से कथित रूप से विस्फोटक बरामद करने के मामले में, अदालत ने माना कि ‘आरोपी द्वारा अन्य आरोपियों के साथ आपराधिक साजिश में शामिल होने के कोई साक्ष्य नहीं हैं.’

बता दें कि, पिछली 22 जुलाई को मेघालय पुलिस ने वेस्ट गारो हिल्स जिले के मुख्यालय तुरा से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित मराक के फार्महाउस ‘रिम्पू बागान’ पर छापा मारा था.

छापेमारी के बाद जारी एक बयान में तुरा पुलिस ने कहा था कि उन्होंने ‘कई युवा लड़कों और लड़कियों को इस फार्महाउस के परिसर में खुलेआम शराब पीते हुए’ पाया था और उनमें से कुछ तो ‘बिना कपड़ों के’ थे. पुलिस का कहना है कि छापेमारी के दौरान उन्होंने पांच बच्चों को ‘गंदे से केबिन जैसे अस्वच्छ कमरे में बंद पाया था.’ पुलिस ने इस फार्महाउस को किसी ‘वेश्यालय’ जैसा बताया और मराक पर अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया.

इसके बाद, 26 जुलाई, मराक को गिरफ्तार कर लिया गया था.

प्रारंभिक छापेमारी के छह दिन बाद, 28 जुलाई को, मेघालय पुलिस और जिला बाल संरक्षण इकाई ने फार्महाउस का एक और दौरा किया और वहां कई विस्फोटक और अन्य हथियार पाए.

मराक, जो गारो हिल्स ऑटोनॉमस डिस्ट्रिक्ट काउंसिल (जीएचएडीसी) के सदस्य भी हैं, पर विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, 1908 के तहत मामला दर्ज किया गया था.

मगर, मेघालय हाई कोर्ट ने दोनों मामलों में अपर्याप्त सबूतों को देखते हुए उन्हें सशर्त जमानत दे दी है.

राज्य बीजेपी अध्यक्ष अर्नेस्ट मावरी ने मराक की गिरफ्तारी को ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ की कार्रवाई कहा है और भाजपा उपाध्यक्ष के वकील एवं वरिष्ठ अधिवक्ता अंगशुमान बोरा ने भी सभी चार मामलों को ‘मनगढ़ंत’ बताया है.

भाजपा 2023 के विधानसभा चुनावों के लिए मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा के निर्वाचन क्षेत्र – दक्षिण तुरा – से पार्टी के उम्मीदवार के रूप में मराक को पेश करने का रही है, बशर्ते वह बरी हो जाएं.


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मराक का फार्महाउस

मराक का फार्महाउस – ‘रिंपू बागान’ – तुरा से लगभग 8 किलोमीटर दूर ईडनबारी इलाके में एक घने जंगल के अंदर, मुख्य सड़क से दूर मिट्टी के एक टूटे फूटे रास्ते के अंत में स्थित है. इसका नाम मराक के अपने उपनाम ‘रिंपू’ पर रखा गया है.

यह लाल संरचना एक जर्जर अवस्‍था वाली इमारत है और पहली नज़र में, एक मंजिला प्रतीत होती है. हालांकि, इसके चारों ओर घूमने पर एक पहाड़ी से कटी हुई सीढ़ी पर बनी तीन मंजिला संरचना का पता चलता है.

एक खबर के अनुसार, यह फार्महाउस कभी एएनवीसी-बी – जो अचिक नेशनल वालंटियर काउंसिल (एएनवीसी) का एक गुट था – का एक शिविर हुआ करता था. यह उग्रवादी समूह गारो लोगों के लिए एक अलग राज्य के निर्माण के वास्ते लड़ रहा था. इसे ‘अचिक लैंड’ कहा जाता था.

मराक ने 2012 में गठित एक अलग गुट एएनवीसी-बी के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया था, जो सरकार के साथ शांति वार्ता में शामिल होने के खिलाफ था. हालांकि, इसके दो साल बाद एएनवीसी और एएनवीसी-बी दोनों ने हथियार डाल दिए थे और साल 2014 में मराक भाजपा में शामिल हो गए थे.

पुलिस द्वारा जारी प्रेस रिलीज के अनुसार, फरवरी में सामने आए एक मामले – जिसमें एक नाबालिग लड़की ने रिंपू बागान के परिसर में कई बार यौन उत्पीड़न की शिकायत की थी – के बाद से ही यह फार्महाउस उनके रडार पर था. वेस्ट गारो हिल्स के पुलिस अधीक्षक (एसपी) विवेकानंद सिंह राठौर ने दिप्रिंट को बताया कि पिछले साल भी इसी तरह के दो मामले सामने आए थे, जिसमें इसी तरह से मराक का नाम लिया गया था.’

लेकिन इस साल जुलाई तक पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की थी.

राठौर ने कहा, ‘हमें अपना होमवर्क करना था और इसके पहले वहां नहीं जाना था, क्योंकि हम जानते थे कि अगर हम सबूत इकठ्ठा नहीं कर सके, तो यह एक मुद्दा बन जाएगा. मराक मेघालय बीजेपी के उपाध्यक्ष और जिला परिषद के सदस्य हैं.’

छापेमारी के तुरंत बाद, मराक गुवाहाटी के रास्ते दिल्ली ‘भाग गए’ थे. बाद में उन्हें 26 जुलाई को उत्तर प्रदेश के हापुड़ में पकड़ लिया गया था और तुरा वापस लाया गया था.

दिप्रिंट इस बारे में टिप्पणी के लिए मराक की पत्नी एल.के. ग्रेसी, जो नॉर्थ-ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी (एनईएचयू) में एक प्रोफेसर हैं, से संपर्क किया लेकिन उन्होंने साक्षात्कार के लिए किए गए सभी अनुरोधों को अस्वीकार कर दिया.

‘आरोपी व्यक्ति को कथित अपराध से जोड़ने के लिए कुछ भी नहीं’

पुलिस के अनुसार 22 जुलाई को हुई छापेमारी में कुल 68 लोगों को हिरासत में लिया गया था और रिंपू बागान से 36 वाहन, 47 मोबाइल फोन, लगभग 170 लीटर शराब के साथ – साथ 500 कंडोम भी जब्त किए गए थे.

एसपी राठौर ने कहा, ‘कोई भी व्यक्ति 50 रुपए की मामूली राशि के साथ वहां एक कमरा बुक कर सकता है और [वहां] एक केयर टेकर है जो उन्हें कमरे में ले जाता है … होटल के पास शराब परोसने सहित कोई अनुमति नहीं थी.’

तुरा के एक पुलिस अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि हिरासत में लिए गए 68 लोगों में एचआईवी पॉजिटिव और गर्भवती महिलाएं भी शामिल हैं.

मराक के खिलाफ अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम की धारा 3 (वेश्यालय चलाने या परिसर को वेश्यालय के रूप में इस्तेमाल करने की अनुमति देने के लिए), 4 (वेश्यावृत्ति की कमाई पर जीवन यापान कर ), 5 (किसी भी व्यक्ति को वेश्यावृत्ति के उद्देश्य से खरीदना या इसके लिए प्रेरित करना), 6 (किसी व्यक्ति को उस परिसर में बंदी बना कर रखना जहां वेश्यावृत्ति की जाती है) और 7 (सार्वजनिक स्थानों में या उसके आसपास वेश्यावृत्ति) के तहत मामले दर्ज किये गए थे.

हालांकि, हाई कोर्ट ने मराक को जमानत देते हुए कहा कि, ‘गवाहों के बयान और रिकॉर्ड पर पेश की गई सामग्री से, आरोपी व्यक्ति को कथित अपराध से जोड़ने के लिए सबूत अपर्याप्त हैं, क्योंकि ऐसा कोई प्रारंभिक सबूत नहीं है जिसके अनुसार घटना की जगह को वेश्यालय के रूप में इस्तेमाल किया गया हो.’

आदेश में कहा गया है कि मराक का कहना है कि उन्होंने साल 2003 में संपत्ति खरीदी थी और इमारत को एक केयरटेकर के हवाले कर दिया था. उनके अनुसार, उन्होंने आखिरी बार दो महीने पहले अपनी इस संपत्ति का दौरा किया था ‘और उस समय उन्हें कथित रूप से की गई किसी भी तरह की अवैध गतिविधियों के बारे में पता नहीं था’.

अदालत ने यह भी कहा कि भले ही आगंतुकों ने यौन गतिविधियों में भाग लिया हो, मगर यह संभवत: सहमति देने के योग्य वयस्कों के बीच हुआ था.

दिप्रिंट ने इस मामले की जांच अधिकारी ममता हाजोंग से सम्पर्क किया, जिन्होंने मामले पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

इसके अतिरिक्त, छापेमरी के दौरान हिरासत में लिए गए लोगों द्वारा मेघालय मानवाधिकार आयोग के पास ‘मनमानी गिरफ्तारी’ के बारे में शिकायतें भी दर्ज करवाईं गईं हैं.

दिप्रिंट द्वारा हासिल किए गए एक आदेश की प्रति में आयोग ने कहा है कि तुरा की किसी डोमिनची मराक से ‘जांच अधिकारी ने पूछा था कि क्या वह खुद को बेचने के लिए वहां आयीं थी.’ तुरा की इस 22 वर्षीय मेकअप आर्टिस्ट ने अपनी शिकायत में कहा कि वह उनके पुरुष मित्र के साथ इस फार्महाउस में समय बिताने के लिए गयीं थीं क्योंकि यह ‘युवा लोगों के लिए एक लोकप्रिय हैंग-आउट (समय बिताने की जगह) है.’

तुरा के स्थानीय लोगों ने वताया कि गारो हिल्स इलाके में ऐसे कई फार्महाउस आम हैं, जहां अक्सर युवा लोग आते-जाते रहते हैं.

दूसरी शिकायत सिलचिनोरा जी. संगमा/मोमिन (जैसा कि शिकायत में दर्ज नाम से दिखाई देता है) के पिता द्वारा दर्ज करवाई गई थी, जिन्हें छापेमारी के एक महीने 13 दिन बाद तक हिरासत में रखा गया था.

आयोग के आदेश में यह भी कहा गया है कि मोमिन, जो स्पीच इम्पीडिमेंट (बोलने में आने वाली बाधा) से ग्रस्त और दिव्यांग है, को उनके ‘उस प्रेमी के साथ वहां पाया गया था जिसके साथ वह लगभग 10 वर्षों से संबंध में है’.


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बाद के मामले

पुलिस के मुताबिक शुरुआती छापेमारी के छह दिन बाद, 28 जुलाई को, उन्हें उसी फार्महाउस में कई विस्फोटक और हथियार मिले.

राठौर ने कहा कि जिन दो टीमों को 22 और 23 जुलाई को भेजा गया था, उन्हें शुरू में कोई विस्फोटक नहीं मिला था. उन्होंने कहा, ‘बाद में हमें वहां बंधक रखे जा रहे बच्चों के कपड़े और किताबें वापस लेने का अनुरोध मिला. जब हमारी टीम वहां गई, तो उन्होंने एक कमरे का एक छोटा सा दरवाजा देखा, जिसकी तलाशी नहीं ली गई थी.’

उन्होंने बताया कि इस कमरे में 35 जिलेटिन की छड़ें, 100 डेटोनेटर, चार क्रॉसबो और 15 तीर मिले हैं.

इसके बाद, मराक पर विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की धारा 4 (विस्फोट करने का प्रयास, या जीवन या संपत्ति को खतरे में डालने के इरादे से विस्फोटक बनाने या रखने का प्रयास), धारा 120 (अपराध करने के इरादे को छुपाना), 120 बी (आपराधिक साजिश), 121 (युद्ध छेड़ने), 121A (अपराध करने की साजिश रचने) और भारतीय दंड संहिता की धारा 109 (लोगों को उकसाने) के तहत मामला दर्ज किया गया और अगस्त में उन्हें जिला जेल से फिर से गिरफ्तार किया गया.

यह पूछे जाने पर कि इन हथियारों का इस्तेमाल किस लिए किया जा रहा था, एसपी ने कहा कि मामले की जांच की जा रही है.

हालांकि, शुक्रवार को अदालत ने इस मामले में भी ‘आपराधिक साजिश’ के अपर्याप्त सबूत पाते हुआ कहा की ‘इस तरह के मुमकिन लगने वाले स्पष्टीकरण – कि इसी चीज (विस्फोटक) को वहां किसी और के द्वारा रखा गया हो सकता है – से इस समय बिना किसी ठोस सबूत के इनकार नहीं किया जा सकता है.’

इसके अतिरिक्त, अदालत ने कहा, ‘संबंधित केयरटेकर को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है, जो यह दर्शाता है कि जानकारी के संबंध में आरोपी व्यक्ति के बयान के संस्करणों पर विश्वास या अविश्वास नहीं किया जा सकता है.’

जिस लंबे अंतराल के बाद विस्फोटक मिले थे, उसके बारे में भी सवाल उठाये गए हैं. बीजेपी की वेस्ट गारो हिल्स इकाई के महासचिव विल्वर ग्रेहम एम. डांगो ने कहा, ‘यह कैसे हुआ कि [शुरुआती छापेमारी के] इतने समय बाद उन्हें बच्चों के कमरे में विस्फोटक मिले. उस समय मराक को यूपी से गिरफ्तार किया जा रहा था.’

फिर, अगस्त में, मेघालय पुलिस ने बीजेपी नेता पर दो अन्य अलग-अलग मामलों में भी मुकदमा दर्ज किया.

23 अगस्त को, मेघालय पुलिस द्वारा जारी एक प्रेस बयान में कहा गया कि मराक एक संगठन – ‘मेघालय चैंबर ऑफ कॉमर्स’ (एमसीसी) को भी संचालित कर रहे थे – जिसे ‘सदस्यता शुल्क’ और ‘मासिक नवीनीकरण शुल्क’ के ‘नाम पर दुकानदारों से भारी मात्रा में धन इकट्ठा करते पाया गया था.

इसके बाद, मराक को आईपीसी की धारा 120बी (आपराधिक साजिश), 384 (जबरन वसूली), और 417 (धोखाधड़ी की सजा) सहित कई अन्य धाराओं के तहत तीसरी बार गिरफ्तार किया गया था.

हालांकि, मराक के वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता अंगशुमान बोरा ने दिप्रिंट को बताया, ‘जैसा कि दावा किया गया है, वह एमसीसी के सदस्य नहीं हैं. इस संस्था ने एक प्रस्ताव पारित किया था जिसके दौरान उन्हें आमंत्रित किया गया था और उन्हें बस एक सलाहकार बनाया गया था.‘

12 सितंबर को, मराक को ‘प्रोटेक्शन ऑफ़ चिल्ड्रन अगेंस्ट सेक्सुअल ओफ्फेंसेस (पोक्सो) एक्ट के तहत चौथे मामले में गिरफ्तार किया गया था, और उन्हें तुरा के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा न्यायिक हिरासत में 10 दिनों के लिए भेज दिया गया था. राठौर ने दिप्रिंट को बताया कि बरामद किये गए पांच बच्चों में से एक की मेडिकल जांच में यौन उत्पीड़न की बात सामने आई थी.

मराक पर पोक्सो अधिनियम की धारा 5 और 6 के तहत मामला दर्ज किया गया था, जो एक बच्चे के गंभीर यौन उत्पीड़न से संबंधित है.

यह पूछे जाने पर कि क्या पीड़ित बच्चे ने अपराधी के बारे में कोई जानकारी दी है, राठौर ने कहा कि बच्चे ने ऐसा नहीं किया.

वकील बोरा, जिन्होंने दावा किया था कि सभी चार मामले गढ़े गए थे, ने सवाल किया, ‘इस मामले का उल्लेख उसी घटना (छापे) के हिस्से के रूप में क्यों नहीं किया गया?’

अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियमपर दिए गए अपने आदेश में अदालत ने कहा है, ‘यह आरोप कि छापे के समय किसी नाबालिग लड़की के यौन उत्पीड़न किया गया था, अच्छी तरह से स्थापित नहीं हो पाया है, क्योंकि केस डायरी में आरोपी व्यक्ति को उस मामले से जोड़ने वाला कोई विशेष सबूत नहीं है.

बोरा ने कहा कि पोक्सो के तहत मामला दर्ज किये जाने के खिलाफ एक याचिका दायर की गई है.


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‘गारो हिल्स में बीजेपी के प्रतीक’

दिप्रिंट ने वेस्ट गारो हिल्स के जिन बीजेपी सदस्यों से मुलाक़ात की उन्होंने दावा किया कि ये मामले मराक के खिलाफ सिर्फ एक ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ हैं क्योंकि उन्होंने कॉनराड संगमा के नेतृत्व वाली सरकार के कथित भ्रष्टाचार के बारे में बातें की थीं

भाजपा के उत्तरी तुरा मंडल के अध्यक्ष टीकाराम लामा ने कहा, ‘वह [बर्नार्ड मराक] लोकप्रियता में आगे बढ़ रहे थे. साल 2015 से पहले यहां भाजपा के बारे में कोई नहीं जानता था. वह गारो हिल्स में भाजपा के प्रतीक बन गए हैं.

हालांकि, ऊपर उद्धृत पुलिस अधिकारी ने यह कहते हुए असहमति जताई कि इस नेता के समर्थकों का समूह ‘आत्मसमर्पण करने वाले पूर्व उग्रवादियों’ का है, जो उनकी ही तरह, भाजपा का हिस्सा बन गए हैं.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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