बेंगलुरु: सार्वजनिक निर्माण ठेकेदारों के एक वर्ग ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कर्नाटक की दो महीने पुरानी कांग्रेस सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं.
मंगलवार को बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) कॉन्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन, जिसमें 750 से अधिक सदस्य शामिल हैं, ने बेंगलुरु में कर्नाटक के राज्यपाल थावर चंद गहलोत से मुलाकात की और बीबीएमपी द्वारा दो साल से अधिक समय से निष्पादित कार्यों के लंबित बिलों का भुगतान नहीं करने पर अपनी व्यथा बताते हुए एक पत्र सौंपा.
पत्र में “बाहरी कारणों” के लिए भुगतान रोकने में बीबीएमपी की मनमानी कार्रवाइयों के बारे में बात की गई थी.
पत्र जिसे दिप्रिंट ने भी देखा है, में लिखा है, “एसोसिएशन को भुगतान जारी करने से इनकार करने में बीबीएमपी के अवैध और मनमाने रुख की शिकायत करने वाले कई ठेकेदारों से अभ्यावेदन प्राप्त हुए हैं और हमें कुछ ठेकेदारों द्वारा यह भी सूचित किया गया है कि उन बिलों के विरुद्ध भुगतान जारी करने के लिए माननीय बेंगलुरु विकास मंत्री के आदेश जो प्रमाणित हैं और भुगतान के लिए स्वीकृत हैं, की ओर से 10-15 प्रतिशत कमीशन की मांग की जा रही है.”
गौरतलब है कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार के पास बेंगलुरु सिटी डेवलपमेंट का पोर्टफोलियो है.
मंगलवार को पत्रकारों से बात करते हुए शिवकुमार ने आरोपों को राजनीतिक साजिश बताकर खारिज कर दिया. उन्होंने कहा, “मेरे द्वारा किसी भी ठेकेदार को जवाब देने का कोई सवाल ही नहीं है, मुझे किसी भी बिल के बारे में कुछ भी पता नहीं है. मैंने किसी भी ठेकेदार से बात नहीं की है. मैं भी बुद्धिमान हूं. मैं ठेकेदारों और राजनीति को जानता हूं, मैं जानता हूं कि कौन किसके पीछे है. वे जो चाहें करने दें.”
अपने पत्र में ठेकेदारों ने आरोप लगाया है कि राजनीतिक वर्ग ने पहले से किए गए कार्यों के लिए भुगतान रोक दिया है, जिससे उनकी बिरादरी के अधिकांश लोग कमजोर हो गए हैं, “जिसके कारण ठेकेदारों ने आत्महत्या का विचार बना लिया है”.
इसमें कहा गया है, “बीबीएमपी राजनीतिक दबाव के कारण ठेकेदारों को अनुचित कारणों से परेशान करने की कोशिश कर रही है और इस प्रक्रिया में ठेकेदारों को नुकसान हो रहा है.”
उन्होंने कहा, “हताशा की स्थिति में होने के कारण हमारे पास कोई अन्य सहारा उपलब्ध नहीं है, हमने इस उम्मीद के साथ महामहिम से संपर्क किया है कि महामहिम जल्द से जल्द इस मामले में हस्तक्षेप करेंगे और ठेकेदारों के जीवन के नुकसान को रोकेंगे.”
पत्र में चेतावनी दी गई है कि यदि बिलों का जल्द से जल्द भुगतान नहीं किया गया, तो ठेकेदारों के पास “आत्महत्या करने” के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा.
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ये आरोप कर्नाटक में भ्रष्टाचार पर फिर से ध्यान केंद्रित करते हैं, एक मुद्दा जिसे कांग्रेस ने मई विधानसभा चुनाव के दौरान पिछली बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार के खिलाफ इस्तेमाल किया था.
जहां कांग्रेस ‘PayCM’ और ‘40 फीसदी सरकार, बीजेपी मतलब भ्रष्टाचार’ जैसे अभियानों के साथ सत्ता में आई, वहीं ठेकेदारों के आरोपों ने अब बीजेपी को सत्तारूढ़ पार्टी पर हमला करने का मौका दे दिया है.
भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव सी.टी. रवि ने मंगलवार को मीडिया से कहा कि कर्नाटक सरकार ठेकेदारों की मांगों का समाधान करने के बजाय धमकियां दे रही है.
उन्होंने आरोप लगाया, “पहले, जब 40 प्रतिशत कमीशन के आरोप थे, तो भाजपा सरकार ने हर एक टेंडर, खासकर बड़े टेंडरों की जांच के लिए एक न्यायिक आयोग नियुक्त किया था…अब उनके (कांग्रेस) खिलाफ आरोप हैं, लेकिन वे धमकियों का सहारा ले रहे हैं.”
नवंबर 2021 में कर्नाटक स्टेट कॉन्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन द्वारा पीएम नरेंद्र मोदी को जुलाई को लिखा गया एक पत्र सामने आया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि निर्वाचित प्रतिनिधि और सरकारी अधिकारी रिश्वत के लिए ठेकेदारों को परेशान कर रहे थे. तब राज्य में बीजेपी सत्ता में थी. कांग्रेस ने इसे पार्टी के खिलाफ अपना सबसे बड़ा अभियान बना लिया था.
फिर अप्रैल 2022 में उडुपी में एक निजी ठेकेदार संतोष पाटिल की आत्महत्या खबर बनी. पाटिल ने तत्कालीन ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज राज्य मंत्री के.एस. ईश्वरप्पा पर पिछले फरवरी में बेलगावी में किए गए कार्यों का भुगतान जारी करने के लिए रिश्वत की मांग करने का आरोप लगाया था.
आरोप के बाद ईश्वरप्पा ने इस्तीफा दे दिया था.हालांकि, पुलिस द्वारा की गई जांच में उन्हें क्लीन चिट दे दी गई.
(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)
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