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Tuesday, 17 December, 2024
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सिक्किम के पूर्व CM चामलिंग बोले — अगर चुंगथांग बांध ‘घटिया’ है, तो सरकार ने कार्रवाई क्यों नहीं की

सिक्किम के पूर्व मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग ने ‘रोकी जा सकने वाली’ हिमनदी झील से आई बाढ़ के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया.

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गंगटोक: सिक्किम के पूर्व मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग ने कहा है कि ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (जीएलओएफ) जो कि दक्षिण लोनक झील से उत्पन्न हुआ था, जिसने 3 और 4 अक्टूबर की मध्यरात्रि के दौरान बड़े पैमाने पर तबाही मचाई, उसे रोका जा सकता था और कईं ज़िंदगियां बचाई जा सकती थीं. क्या राज्य सरकार ने वैज्ञानिक अध्ययनों से मिली चेतावनियों पर कार्रवाई की थी.

दिप्रिंट को शुक्रवार को दिए एक विशेष इंटरव्यू में चामलिंग ने कहा, “जीएलओएफ दक्षिण लोनाक झील में एक अध्ययनित घटना है और हाल ही में 2021 में विभिन्न वैज्ञानिक अध्ययनों के माध्यम से चेतावनियां जारी की गई थीं. गोले (प्रेम सिंह तमांग) ने इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया.”

सिक्किम के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले मुख्यमंत्रियों में से एक — चामलिंग ने कहा कि अगर सरकार ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया होता, तो ऐसी घटना को रोकने के लिए कदम उठाए जा सकते थे, या जनता को स्थान खाली करने के वास्ते पर्याप्त समय देने के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली लगाई जा सकती थी.

उन्होंने कहा, “बुनियादी ढांचे को शायद बचाया नहीं जा सकता था, लेकिन कम से कम लोगों की जान तो बचाई जा सकती थी.” अब तक 80 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है और 100 लोग लापता हैं.

7 अक्टूबर को सीएम गोले ने मीडिया से कहा था कि यह पता लगाने के लिए उचित जांच की जाएगी कि क्या चामलिंग के कार्यकाल के दौरान निर्मित चुंगथांग बांध का निर्माण घटिया था. दरअसल, बाढ़ के दौरान बांध पानी का दबाव सहन करने में असमर्थ होकर टूट गया था.

इस बारे में पूछे जाने पर, चामलिंग ने कहा कि कोई भी जलविद्युत परियोजना, विशेष रूप से तीस्ता चरण 3 के पैमाने पर, एक बहुत बड़ा उपक्रम है और संबंधित शीर्ष निकायों के तकनीकी परिश्रम के बिना इसका निर्माण नहीं किया जा सकता है.

चामलिंग ने कहा, निर्माण, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण, केंद्रीय जल आयोग, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और केंद्रीय मृदा और सामग्री अनुसंधान स्टेशन जैसी भारत सरकार की एजेंसियों द्वारा जांच और अनुमोदित तकनीकी मानकों पर आधारित था.

उन्होंने कहा कि निर्माण चरण के दौरान विभिन्न तृतीय-पक्ष एजेंसियां, जैसे लाहमेयर, डब्ल्यूएपीसीओएस (वाटर एंड पावर कंसल्टेंसी सर्विसेज (इंडिया) लिमिटेड), एनएचपीसी (नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन) और लैवलिन जैसी अन्य शामिल थीं.

उन्होंने कहा, “अगर बांध घटिया था, तो इसकी संरचना के साथ कुछ तकनीकी समस्याएं दिखनी चाहिए थीं, लेकिन संचालन के पिछले छह साल में संकट या खराबी के कोई संकेत नहीं थे.”

पूर्व सीएम ने आगे पूछा कि अगर बांध वास्तव में घटिया था, तो राज्य सरकार को बांध सुरक्षा अधिनियम 2021 के तहत कार्रवाई करने से किसने रोका, जो राज्य को न केवल कार्रवाई करने का अधिकार देता है बल्कि खतरनाक बांधों के मामले में निवारक उपाय स्थापित करने का भी अधिकार देता है.

उन्होंने कहा, “तब सरकार ने कोई कदम क्यों नहीं उठाया? यह अधिनियम राज्य को बांध सुरक्षा सुनिश्चित करने और आपदाओं को रोकने के लिए राज्य बांध सुरक्षा संगठन और बांध सुरक्षा पर राज्य समिति स्थापित करने का अधिकार देता है.”

उन्होंने कहा कि कार्यकारी अध्यक्ष और निदेशक बांध सुरक्षा अधिनियम 2021 की धारा 30 के तहत किसी भी आपदा से बचने के लिए बदलाव के लिए बांध की समीक्षा और जांच करने के लिए एक बांध सुरक्षा इकाई का गठन करने के लिए बाध्य हैं.

उन्होंने कहा, “अगर बांध घटिया था, तो यह राज्य सरकार की जिम्मेदारी थी, जो बांध सुरक्षा अधिनियम 2021 से बंधी है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बांध मानक के अनुरूप हैं.”

‘राजनीतिक प्रोपेगेंडा’

सीएम के बयान को “राजनीतिक प्रोपेगेंडा” बताते हुए चामलिंग ने कहा कि गोले सरकार 11 अक्टूबर को दलाई लामा के हाथों उसी कथित “घटिया” बांध को राष्ट्र को समर्पित करने के लिए तैयार थी.

पूर्व सीएम ने कहा कि मीडिया को दिए गए सीएम के बयान से यह स्पष्ट हो गया कि उन्हें रात 10.40 बजे आसन्न आपदा के बारे में पता था, लेकिन जनता को देर रात 2-3 बजे तक भी सूचित नहीं किया गया था.

उन्होंने कहा, “प्रारंभिक सूचना के बावजूद, तीस्ता स्टेज-3 बांध को समय पर नहीं खोला गया. सूचना प्रबंधन और कमांड की श्रृंखला के मामले में गंभीर खामियां सामने आ रही हैं.”

यह कहते हुए कि वह कोई राजनीतिक दोषारोपण का खेल नहीं खेल रहे हैं, चामलिंग ने कहा कि उनके सत्ता में रहने के दौरान, जब सरकार को 2013 में संभावित जीएलओएफ खतरे के बारे में पता चला, तो अध्ययन टीमों को 2014, 2016, 2017 और 2018 में लहोनक झील भेजा गया था.

उन्होंने कहा, “2016 में अभियान के दौरान, झील से 150 लीटर प्रति सेकंड की दर से पानी निकालने के लिए एचडीपीई (हाई-डेंसिटी पॉलीथीन) पाइप लगाए गए थे. यह सोनम वांगचुक और लद्दाख के छात्र शैक्षिक और सांस्कृतिक आंदोलन की मदद से किया गया था. हमने कई जागरूकता कार्यक्रम और अभ्यास भी आयोजित किए, जिनके बारे में मैंने सुना है कि बाद में उन्हें बंद कर दिया गया.”

चामलिंग के 25 साल के कार्यकाल के दौरान तीस्ता-III और तीस्ता-V सहित कुछ बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं का निर्माण और कमीशन किया गया था.

यह पूछे जाने पर कि जो कुछ हुआ है उसके मद्देनजर क्या उन्हें लगता है कि तीस्ता जैसी हिमनदी नदी पर बांध बनाना एक अच्छा विचार था, चामलिंग ने कहा कि बांध विद्युत अधिनियम, 2003 के अनुसार बनाया गया था.

उन्होंने कहा, “तदनुसार, क्षेत्र की कमजोरियों को ध्यान में रखते हुए सभी पर्यावरणीय मंजूरी केंद्र सरकार की एजेंसियों द्वारा दी गई है. हमारी सरकार ने परियोजना को डेवलपर को आवंटित कर दिया है और केंद्रीय सरकारी एजेंसियों द्वारा पर्यावरण और तकनीकी मंजूरी दे दी गई है.”

उन्होंने कहा कि देश की ऊर्जा खपत की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए ऊर्जा का हरित स्रोत सुनिश्चित करने के लिए न केवल सिक्किम में बल्कि देश भर के विभिन्न राज्यों में ऐसी जलविद्युत परियोजनाओं का निर्माण किया गया है.

उन्होंने कहा, “1998 की शुरुआत में राष्ट्रीय जल विद्युत नीति में भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र को जल विद्युत के स्रोत के रूप में देखा गया था.”


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‘सरकार तो है लेकिन शासन नहीं’

चामलिंग के मुताबिक, राज्य में अब सबसे बड़ी समस्या यह है कि सरकार तो है, लेकिन शासन व्यवस्था नहीं है.

उन्होंने कहा, “इस सरकार द्वारा फैलाए गए राजनीतिक आतंकवाद के कारण लोग डरे हुए हैं. अब, नशीले पदार्थ एक बड़ा मुद्दा बन गए हैं. सीमावर्ती राज्य में ऐसी समस्याएं होना सबसे खतरनाक बात है.”

पूर्व सीएम ने कहा, “यह अच्छा संकेत नहीं है. केंद्र सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए, यह एक संवेदनशील सीमावर्ती राज्य है. जब मैं 25 साल तक सरकार में था, तब यहां शांति और सुरक्षा थी.”

यह पूछे जाने पर कि वह गोले सरकार को कैसे रेटिंग देंगे, चामलिंग ने कहा, “मैं कुछ नहीं कहना चाहता…जनता सब कुछ जानती है, वे सब कुछ देख रहे हैं.”

पूर्व सीएम ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी, सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ), अगले साल के विधानसभा चुनावों में एसकेएम से मुकाबला करने के लिए पूरी तरह तैयार है.

उन्होंने कहा, “एसडीएफ मजबूत हो रहा है…हम प्रमुख विपक्षी दल हैं.”

सिक्किम की 100 प्रतिशत जैविक स्थिति पर, राज्य में जैविक आंदोलन का नेतृत्व करने वाले चामलिंग ने कहा कि हालांकि, राज्य ने यह स्थिति हासिल कर ली है, लेकिन मिशन की निरंतरता होनी चाहिए.

उन्होंने कहा, “तभी जैविक स्थिति भी बनी रहेगी. राज्य सरकार को मिशन की लगातार निगरानी और आगे बढ़ाना है, लेकिन दुर्भाग्य से, सरकार इसे निरंतरता देने में असमर्थ रही है.”

(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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