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Monday, 7 October, 2024
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क्या दिसंबर तक सभी राष्ट्रीय राजमार्गों से हट जाएंगे गड्ढे? सड़क मंत्रालय ने अफसरों के लिए तय की समयसीमा

इस महीने नितिन गडकरी की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद यह कदम उठाया गया है. परियोजना निदेशकों और क्षेत्रीय अधिकारियों को उन्हें सौंपे गए राष्ट्रीय राजमार्ग के रखरखाव के लिए जवाबदेह ठहराया जाएगा.

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नई दिल्ली: साल के अंत तक राष्ट्रीय राजमार्गों को गड्ढा मुक्त बनाने का विचार कई भारतीयों के लिए असंभव लग सकता है, लेकिन केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने अपने अधिकारियों से राष्ट्रीय राजमार्गों को (NH) गड्ढों से मुक्त बनाने के लिए दिसंबर का लक्ष्य निर्धारित किया है. मंत्रालय ने कहा कि साल के अंत तक सभी क्रेटर से छुटकारा मिल जाना चाहिए.

इसके अलावा, जो अधिकारी अपने निर्धारित हिस्सों के लिए दिए गए लक्ष्य पूरा करने में विफल रहेंगे, उन्हें भारी जुर्माना भी देना होगा.

गुरुवार को पत्रकारों से बात करते हुए, सड़क परिवहन और राजमार्ग सचिव अनुराग जैन ने कहा कि 4 सितंबर को सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की अध्यक्षता में एक बैठक के बाद निर्देश जारी किए गए. इस बैठक में रखरखाव के लिए परियोजना निदेशक (PD) और क्षेत्रीय अधिकारियों (RO) की जवाबदेही तय की गई. साथ ही सबके लिए लक्ष्य भी तय किया गया है.

जैन ने कहा, “हमने PD की जिम्मेदारी तय की है कि वह हर 15 दिनों में अपने अधिकार क्षेत्र के तहत राजमार्ग का एक चक्कर लगाए. प्रत्येक PD के अधीन 200 किमी से 300 किमी तक का राजमार्ग है. यदि गड्ढे हैं, तो यह सुनिश्चित करना उनकी जिम्मेदारी होगी कि गड्ढों की मरम्मत की जाए.”

उन्होंने आगे कहा, “इसका उद्देश्य फिल्ड में मौजूद व्यक्ति को जिम्मेदार बनाना है. इससे जवाबदेही सुनिश्चित होगी.”

सड़क मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 2013 से लेकर आज तक सड़के पर गड्ढों के कारण 22,000 लोगों की मौत हो चुकी है.

मंत्रालय की भारत में सड़क दुर्घटनाएं 2021 रिपोर्ट (नवीनतम साल, जिसके आंकड़े उपलब्ध हैं) के अनुसार, उस साल देश में सड़क दुर्घटनाओं में 1.53 लाख मौतों में से 1,481 मौतें गड्ढों के कारण होने वाली दुर्घटनाओं के कारण हुईं. उस साल ऐसी 3,625 दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 3,103 लोग घायल भी हुए.

मोटर वाहन अधिनियम 1988 में खराब रखरखाव वाली सड़कों या दोषपूर्ण डिजाइनिंग के कारण होने वाली दुर्घटनाओं के लिए 2 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है. लेकिन मंत्रालय के अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि यह प्रावधान अब तक किसी अधिकारी या राजमार्ग बनाने वाली एजेंसी के खिलाफ शायद ही कभी लागू किया गया है. इसका मुख्य कारण यह है कि ऐसी घटनाओं के बाद किसी की जवाबदेही तय नहीं हो पाती है.


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राजमार्गों का रखरखाव

जैन के अनुसार, राजमार्गों के रखरखाव को सुनिश्चित करने के लिए तीन एजेंसियां ​​जिम्मेदार हैं – भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड और राज्य लोक निर्माण विभाग.

उन्होंने दावा किया, “चुनौती यह है कि इसे राज्य पीडब्ल्यूडी के माध्यम से पूरा किया जाए. राज्य के लोक निर्माण विभाग में कई पद खाली पड़े हैं. यह सुनिश्चित करना मुश्किल हो जाता है कि रखरखाव समय पर किया जाए.”

केंद्रीय मंत्रालय अब राष्ट्रीय राजमार्गों के रखरखाव को सुनिश्चित करने के लिए दो प्रकार के अनुबंध लेकर आया है – प्रदर्शन-आधारित रखरखाव अनुबंध और अल्पकालिक अनुबंध.

जैन ने कहा कि लगभग 1,45,000 किमी की कुल राष्ट्रीय राजमार्ग लंबाई में से 1,05,000 किमी का रखरखाव किसी अनुबंध के माध्यम से किया जाता है, जबकि शेष 40,000 किमी के लिए कोई अनुबंध नहीं है.

उन्होंने कहा, “इसलिए हमने इस 40,000 किमी के लिए दो तरह की व्यवस्था की है. हम सरकार द्वारा वित्त पोषित सड़कों पर पांच साल के लिए प्रदर्शन-आधारित रखरखाव का अनुबंध किया है. हालांकि इसमें कई जगह इसका समय समाप्त हो चुका है लेकिन राजमार्गों की जीवन अवधि अभी भी 10-15 साल बची है. जिन राजमार्गों को एक-दो साल में मरम्मत की आवश्यकता होती है, हम उनके लिए छोटे समय का अनुबंध कर रहे हैं.”

उन्होंने आगे कहा: “हमने ऐसे राजमार्गों के पूरे हिस्से [40 किलोमीटर की दूरी] की मैपिंग की है और यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि वे किसी न किसी अनुबंध के तहत आते हैं.”

(संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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