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Monday, 23 December, 2024
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‘मुझे जय श्री राम का नारा लगाने वालों की निंदा करने के लिए कहा गया’- TMC में ‘घुटन’ पर दिनेश त्रिवेदी ने कहा

दिप्रिंट के साथ इंटरव्यू में पूर्व तृणमूल सांसद दिनेश त्रिवेदी ने कहा कि पिछले छह सालों में बहुत सारे ‘अपमान’ झेलने की वजह से वो पार्टी छोड़ने को मजबूर हो गए थे.

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कोलकाता: जो लोग जय श्री राम के नारे का विरोध करते हैं, उन्हें देश में कभी स्वीकार नहीं किया जाएगा, ऐसा कहना है पूर्व तृणमूल सांसद दिनेश त्रिवेदी का, जो पार्टी में उन्हें पेश आईं मुसीबतों को साझा कर रहे थे.

दिप्रिंट के साथ इंटरव्यू में, एक समय रेल मंत्री रहे त्रिवेदी ने कहा कि पिछले छह सालों में बहुत सारे ‘अपमान’ झेलने की वजह से वो तृणमूल कांग्रेस छोड़ने को मजबूर हो गए थे. उन्होंने कहा, ‘भ्रष्टाचार और हिंसा के खिलाफ मेरा ऐतराज़ सुनने की बजाय मुझे अपमान का सामना करना पड़ा’.

त्रिवेदी ने 12 फरवरी को राज्य सभा में एक नाटकीय भाषण देते हुए टीएमसी छोड़ने का ऐलान कर दिया, जो पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ पार्टी है.

शुक्रवार को उन्होंने दिप्रिंट से कहा कि पार्टी ने कई मौकों पर उन्हें एक शर्मनाक स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया जिसमें एक बार उन्हें कहा गया कि ‘उन लोगों की निंदा करें, जो जय श्री राम  के नारे लगाते हैं’.

उन्होंने दिप्रिंट से कहा, ‘जय श्री राम भारतीय संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती है. जब हम जय श्री राम कहते हैं, तो हम मर्यादा पुरुषोत्तम राम का आदर करते हैं, उनके मूल्यों को मानते हैं. भारत ऐसे किसी भी व्यक्ति को स्वीकार नहीं कर सकता, जिसे इसपर आपत्ति है’.

त्रिवेदी ने आगे कहा कि जय श्री राम कभी भी, एक ‘सियासी नारा’ नहीं रहा है, लेकिन पश्चिम बंगाल में ये, ‘मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तुष्टिकरण और वोट-बैंक की राजनीति के खिलाफ लोगों के रोष की अभिव्यक्ति बन गया है’.

जनवरी में कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती पर हुए एक आयोजन में, ममता बनर्जी उस समय खफा हो गईं, जब उनके भाषण शुरू करने के समय दर्शकों का एक वर्ग जय श्री राम के नारे लगाने लगा.

इसे एक राजनीतिक नारा करार देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकारी आयोजनों की कुछ गरिमा होनी चाहिए और उन्होंने अपना भाषण देने से इनकार कर दिया. तृणमूल कांग्रेस नेताओं ने भी नारेबाज़ी की निंदा की और उसे मुख्यमंत्री का ‘अपमान’ करार दिया.

त्रिवेदी, जो तृणमूल कांग्रेस के संस्थापक-सदस्य हैं, ने कहा कि समाज का एक वर्ग ‘जय श्री राम के नारे लगाकर अपनी चिंता, हताशा और आक्रोश का इज़हार कर रहा है’.


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‘नेतृत्व ने नियंत्रण खो दिया है’

त्रिवेदी ने दिप्रिंट से कहा कि तृणमूल को अपने अंदर झांककर देखना चाहिए कि उसके इतने सारे विधायक और नेता, पार्टी से इस्तीफा क्यों दे रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘संसद में अपने भाषण में मैंने घुटन शब्द का इस्तेमाल किया था. पार्टी छोड़ने वाले नेताओ को कोसने की बजाय, उन्हें आत्ममंथन करना चाहिए’. उन्होंने आगे कहा, ‘पार्टी का नियंत्रण लीडर से हटकर किसी और के पास जा चुका है. अपने सहयोगियों के ऊपर, अब लीडर का मुश्किल से ही कोई नियंत्रण है’.

उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें पार्टी में, कुछ ऐसा काम करने को कहा जा रहा था, जिनसे वो सहज महसूस नहीं कर रहे थे.

त्रिवेदी ने आरोप लगाया, ‘संसदीय दल के प्रभारी नेता मुझसे नियमित रूप से प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को बुरा भला कहने के लिए कहते रहते थे’.

उन्होंने ये भी कहा, ‘मैं किसी को अपशब्द क्यों कहूं? ये मेरी संस्कृति नहीं है. बल्कि, ये बंगाल की संस्कृति नहीं है. संसद में बात करने के लिए और बहुत सारे मुद्दे हैं, तो फिर किसी को अपशब्द क्यों कहें?’

अपने पूर्व सहयोगियों के इन आरोपों का जवाब देते हुए कि उन्होंने कभी बातचीत करने की कोशिश नहीं की, कि पार्टी के अंदर उनकी क्या चिंताएं थीं, त्रिवेदी ने कहा कि उन्होंने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचकर उनसे बात करने की कोशिश की थी लेकिन उन्हें कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला.

इसकी बजाय, उन्होंने आगे कहा कि पार्टी के लिए उनके सुझावों को भी खारिज कर दिया गया, खासकर दागी छवि के उन नेताओं के बारे में जिन्हें 2016 के नारद स्टिंग ऑपरेशन में रिश्वत लेते हुए कैमरे में कैद किया गया था.

उन्होंने कहा, ‘मैंने उनसे (ममता) आग्रह किया कि कुछ समय तक आरोपित व्यक्तियों से दूरी बनाएं और कानून को अपना काम करने दें’. उन्होंने आगे कहा, ‘ऐसा कहने के लिए मेरे ऊपर 2016 चुनावों में अपने क्षेत्र में प्रचार करने पर पाबंदी लगा दी गई’.


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‘बंगाली स्वभाव में बाहरी की कोई अवधारणा नहीं है’

उन्होंने कहा कि टीएमसी नेताओं का राष्ट्रीय पार्टी के नेताओं को ‘बाहरी’ कहना, ‘बंगाल के स्वभाव का हिस्सा नहीं है’. उनके इस बयान से अटकलें शुरू हो सकती हैं कि वो बीजेपी में शामिल हो सकते हैं.

उन्होंने कहा, ‘शीर्ष नेता जिन्होंने बहुत कम उम्र में अपने सियासी करियर शुरू किए और जो गालियों की गंदी भाषा इस्तेमाल करते हैं, वो बंगाली संस्कृति और चरित्र को नहीं दर्शाते. वो बाहरी हैं’. उन्होंने आगे कहा, ‘वो बंगाली परिवारों में जन्मे हैं लेकिन उन्हें नहीं मालूम कि बंगाल के मायने क्या हैं. असल में बाहरी लोग वही हैं’.

ममता बनर्जी सभी शीर्ष बीजेपी नेताओं को जिनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा शामिल हैं, को ‘बाहरी’ करार देती हैं.

त्रिवेदी ने पूछा, ‘उन्हें प्रणब मुखर्जी से सीख लेनी चाहिए, जो देश के सबसे कद्दावर नेताओं में से हैं. उन्हें गुजरात से राज्य सभा भेजा गया था. क्या वहां उन्हें बाहरी कहा गया?’ उन्होंने आगे कहा, ‘मैं तो कहूंगा कि जो तृणमूल नेता, ऐसी अभद्र भाषा इस्तेमाल कर रहे हैं, असल में बाहरी वही हैं’.

मुख्यमंत्री के शाह और मोदी को अपने साथ मंत्रोच्चार की चुनौती देने पर त्रिवेदी ने कहा, ‘देखकर दुख होता है कि अपने हिंदुत्व को साबित करने के लिए मुख्यमंत्री को मंत्र जपने की ज़रूरत है. उसकी क्या ज़रूरत है? हो सकता है आप मंत्र न जपते हों लेकिन गीता और महाभारत को समझते हों, इतना काफी है. लोगों को खुद से मंत्र जपने की ज़रूरत नहीं है, ज़रूरत ये है कि वो उन्हें समझें और उनमें विश्वास रखें’.

त्रिवेदी अभी बीजेपी में शामिल नहीं हुए हैं और अपनी भविष्य की योजनाओं पर उन्होंने खुलकर कुछ नहीं कहा है, हालांकि कयास लगाए जा रहे हैं कि उन्हें जल्द ही राष्ट्रीय पार्टी में शामिल कर लिया जाएगा.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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