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Thursday, 21 November, 2024
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रामपुर, मुरादाबाद नामांकन ने कैसे सपा के मुस्लिम नेतृत्व के भीतर दरार को उजागर किया

आखिरी मिनट में लिए गए फैसले में पार्टी ने दिल्ली के इमाम को रामपुर से मैदान में उतारा, क्योंकि आज़म खान के एक वफादार ने भी अपना नामांकन दाखिल किया था. जेल में बंद नेता के दबाव में सपा ने भी मुरादाबाद का बदला प्रत्याशी.

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लखनऊ: समाजवादी पार्टी (सपा) के मुस्लिम नेतृत्व के भीतर दरार खुलकर सामने आ गई है, पार्टी के कई नेताओं ने दो सीटों से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए नामांकन दाखिल किया है.

रामपुर में जेल में बंद सपा नेता आजम खान के एक वफादार ने बुधवार को अपना नामांकन दाखिल किया, जबकि पार्टी ने मुस्लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्र से आधिकारिक उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन दाखिल करने के लिए दिल्ली स्थित एक मस्जिद के इमाम को बुलाया.

मोरादाबाद में आज़म खान के एक अन्य वफादार ने मौजूदा संसद सदस्य (सांसद) को हटा दिया, जिन्होंने पहले ही सीट से सपा उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन दाखिल कर दिया था.

दशकों से रामपुर आज़म खान का गढ़ रहा है, जो उस सीट से मौजूदा सांसद थे, जब 2022 में उन्हें नफरत फैलाने वाले भाषण मामले में दोषी ठहराया गया और अयोग्य घोषित कर दिया गया.

पार्टी सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि कुछ दिन पहले सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने आज़म खान से सीतापुर जेल में मुलाकात की थी. अखिलेश अपने चचेरे भाई तेज प्रताप सिंह यादव को रामपुर से उम्मीदवार बनाने पर विचार कर रहे थे, लेकिन आज़म खान को यह रास नहीं आया. कथित तौर पर आज़म खान, अखिलेश पर रामपुर से चुनाव लड़ने का दबाव बनाते रहे, लेकिन सपा प्रमुख ने इनकार कर दिया. बाद में आज़म को खुश करने के लिए पार्टी ने उनके खेमे से एक उम्मीदवार को मुरादाबाद में लड़ने के लिए चुना.

आज़म के नाम भेजे एक पत्र से पता चला है कि रामपुर इकाई इस बात पर विचार कर रही है कि क्या अखिलेश द्वारा रामपुर उम्मीदवार बनने से इनकार करने पर चुनाव का बहिष्कार किया जाना चाहिए, पार्टी ने बुधवार को इमाम मोहिबुल्लाह नदवी को सीट से अपना नामांकन दाखिल करने के लिए भेजा.

दिल्ली के पार्लियामेंट स्ट्रीट पर जामा मस्जिद के इमाम नदवी ने बुधवार को मीडिया को बताया, “मुझे अखिलेश जी ने भेजा है. आज़म भाई मेरे ‘मुख्तादी’ हैं और मैंने उनके लिए नमाज़ भी पढ़ी है.”

आज़म के वफादार असीम राजा, जिन्होंने आज़म की अयोग्यता के बाद रामपुर उपचुनाव लड़ा, लेकिन भाजपा से हार गए, ने बुधवार को रामपुर से अपना नामांकन दाखिल किया. सपा के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष अब्दुल सलाम भी पांच समर्थकों के साथ जिला कलक्ट्रेट पहुंचे और इस सीट से अपना नामांकन दाखिल किया.

पड़ोसी मोरादाबाद सीट पर कुछ ही घंटों बाद मौजूदा सांसद एस.टी. हसन ने पार्टी द्वारा दिए गए फॉर्म ए और बी के साथ अपना नामांकन दाखिल किया, सपा की बिजनौर विधायक रुचि वीरा ने मुरादाबाद पहुंचकर वही किया. हसन ने बुधवार को मुरादाबाद में मीडिया से कहा, “मुझे पता चला है कि एक और उम्मीदवार ने नामांकन दाखिल किया है. फैसला आलाकमान को लेना है. केवल मेरी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ही इसका जवाब दे सकते हैं कि किन परिस्थितियों के कारण ऐसा हुआ.”

हसन के समर्थकों ने वीरा का पुतला जलाकर और उन्हें “बाहरी व्यक्ति” कह कर अपना असंतोष व्यक्त किया. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि वीरा को आजम खां के दबाव में मुरादाबाद भेजा गया.

गुरुवार को रामपुर में आसिम राजा और अब्दुल सलाम और मुरादाबाद में एसटी हसन का नामांकन फॉर्म रिटर्निंग ऑफिसर ने खारिज कर दिया, जबकि आसिम और अब्दुल के नामांकन फॉर्म ए और बी की कमी के कारण रद्द कर दिए गए थे, हसन का नामांकन फॉर्म रद्द कर दिया गया था क्योंकि सपा ने जिला अधिकारियों को एक आधिकारिक पत्र भेजा था जिसमें रुचि वीरा को मोरादाबाद का उम्मीदवार घोषित किया गया था.

नाम न छापने की शर्त पर सपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि सपा के मुस्लिम नेतृत्व के भीतर दो खेमे विकसित हो गए हैं. नेता ने कहा, “एक खेमे का नेतृत्व राज्यसभा सांसद जावेद अली खान कर रहे हैं और दूसरे का आज़म खान कर रहे हैं. आज़म रामपुर से सपा का एकमात्र प्रमुख मुस्लिम चेहरा हैं, लेकिन उनके जेल जाने के बाद से मुस्लिम नेता जावेद के करीब आ गए हैं.”

नेता ने कहा, एसटी हसन, जो कभी आज़म खेमे के नेता थे, हाल ही में जावेद के करीब आ गए. नेता ने कहा, “जब आज़म को पता चला कि नदवी (रामपुर से) लड़ेंगे, तो उन्होंने नेतृत्व पर अपने एक वफादार को मोरादाबाद से मैदान में उतारने का दबाव डाला.”

गुरुवार को एसपी द्वारा वीरा के नामांकन की पुष्टि करने के बाद, हसन ने आज़म खान पर निशाना साधते हुए कहा, “एक बाहरी व्यक्ति ने उनके खिलाफ साजिश रची और एक और बाहरी व्यक्ति को मुरादाबाद पर थोप दिया.”


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रामपुर में कभी भी ‘समानांतर नेतृत्व’ नहीं हुआ विकसित

सपा प्रमुख के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने बुधवार को नदवी के रामपुर से आधिकारिक उम्मीदवार होने की पुष्टि की. उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “अन्य लोगों ने अपना नामांकन दाखिल कर दिया होगा, लेकिन उनके पास फॉर्म ए और बी (किसी राजनीतिक दल की ओर से अपना आधिकारिक उम्मीदवार घोषित करने के लिए जमा किया गया) नहीं है.”

चौधरी के अनुसार, चूंकि आज़म के वफादारों के पास फॉर्म नहीं थे, इसलिए अगर उनका नामांकन वापस नहीं लिया गया तो उन्हें निर्दलीय उम्मीदवारों द्वारा दाखिल किया गया माना जाएगा.

नदवी को नामांकन दिलाने के लिए सपा ने काफी कोशिशें कीं. सूत्रों ने कहा कि पार्टी ने नदवी को ए और बी फॉर्म सौंपने और सुचारू नामांकन सुनिश्चित करने के लिए उत्तर प्रदेश के सपा प्रमुख नरेश उत्तम पटेल के लिए उड़ान भरने के लिए एक चार्टर्ड विमान किराए पर लिया.

रामपुर की स्वार तहसील के मूल निवासी नदवी ने 15 साल तक पार्लियामेंट स्ट्रीट जामा मस्जिद के इमाम रहे हैं. वे रामपुर में तुर्क मुस्लिम समुदाय से हैं. अब अपने चालीसवें वर्ष में, नदवी ने लखनऊ में दारुल उलूम नदवतुल उलमा में अध्ययन किया.

इस बारे में कि उन्होंने राजनीति में शामिल होने का फैसला क्यों किया, नदवी ने कहा कि कई बार ऐसी परिस्थितियां बन जाती हैं जब किसी को देश की सेवा के लिए तैयार रहना होता है. उन्होंने यह भी कहा कि देश अब विभाजन देख रहा है और भगवान ने इसे खत्म करने के लिए रामपुर को चुना है.

आज़म के वफादार असीम के नामांकन दाखिल करने के बारे में उक्त सपा नेता ने कहा कि आज़म जनता को यह संदेश देना चाहते थे कि मौलाना नदवी उनके उम्मीदवार नहीं हैं.

उन्होंने कहा, “आज़म ने कभी भी रामपुर में समानांतर नेतृत्व विकसित नहीं होने दिया…उन्हें पता है कि उनके वफादार का नामांकन खारिज हो गया होगा, लेकिन वे रामपुर की जनता को संदेश देना चाहते थे कि मौलाना नदवी उनकी पसंद के उम्मीदवार नहीं हैं.”

जावेद अली खान ने बुधवार को एक्स पर एक गुप्त पोस्ट के माध्यम से मुरादाबाद की घटनाओं पर अपनी बेचैनी व्यक्त की, जिसे हालांकि, अब हटा लिया गया है. इसमें लिखा था: “यहां तक कि नवाबों के समय में भी मोरादाबाद को कभी भी रामपुर ने गुलाम नहीं बनाया था. यह आज हो गया है!”


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मुरादाबाद में आज़म की ‘इच्छा प्रबल’ हुई

मुरादाबाद में एसटी हसन दो बार 2014 और 2019 में सांसद चुने गए हैं. तीसरी बार पार्टी के उम्मीदवार घोषित किए गए, उन्होंने मंगलवार को पार्टी द्वारा दिए गए फॉर्म ए और बी के साथ अपना नामांकन दाखिल किया.

जिस महिला रुचि वीरा ने उन्हें सत्ता से बेदखल किया, वे 2014 के उपचुनाव में सपा के टिकट पर बिजनौर से विधायक चुनी गईं, लेकिन बाद में बसपा में शामिल हो गईं. जब सपा-बसपा गठबंधन 2019 का आम चुनाव लड़ रहा था तो यह सीट बसपा के खाते में चली गई. उस समय वह बसपा के टिकट पर आंवला लोकसभा सीट से लड़ीं लेकिन हार गईं.

इंडिया ब्लॉक के हिस्से इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव कौसर हयात खान ने दिप्रिंट को बताया कि वीरा मंगलवार देर रात मुरादाबाद पहुंचे.

उन्होंने कहा, “एसटी हसन को बुधवार दोपहर एक बजे तक चुनाव लड़ने की उम्मीद थी क्योंकि सपा नेतृत्व उनके पक्ष में था. हालांकि, आज़म की इच्छा सफल हुई और वीरा को उनके स्थान पर मैदान में उतारा गया है.”

हयात उन मुस्लिम नेताओं में से एक थे जिनसे वीरा ने अपने मुरादाबाद दौरे के दौरान मुलाकात की थी.

हसन ने बुधवार को मीडिया से कहा, “जब पार्टी ने मुझे पहले ही टिकट दे दिया था, तो इनकार करने का कोई कारण नहीं था.”

हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि यह भी स्पष्ट है कि वीरा को सपा नेतृत्व की मंजूरी मिल गई थी क्योंकि वे “नामांकन फॉर्म अपने साथ लाई थीं और उसे दाखिल किया था”.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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