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Sunday, 28 April, 2024
होमदेशयोगी की कृपा से दूर, पूर्व IAS नवनीत सहगल को मोदी सरकार ने प्रसार भारती अध्यक्ष पद से नवाज़ा

योगी की कृपा से दूर, पूर्व IAS नवनीत सहगल को मोदी सरकार ने प्रसार भारती अध्यक्ष पद से नवाज़ा

एक समय यूपी के सबसे प्रभावशाली आईएएस अधिकारियों में से एक माने जाने वाले सहगल, जिन पर पूर्व मुख्यमंत्री मायावती और अखिलेश का भी भरोसा था, नए शासन में दरकिनार किए जाने के बाद वापसी की क्षमता रखते हैं.

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश प्रशासन में एक हाई-प्रोफाइल करियर के बाद भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) से रिटायर होने के आठ महीने से भी कम समय के बाद, नवनीत सहगल को तीन साल के कार्यकाल के लिए प्रसार भारती का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. ए. सूर्य प्रकाश के सेवानिवृत्त होने के बाद से यह पद चार साल से खाली पड़ा था. सहगल एक समय राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के करीबी सहयोगी और विशिष्ट ‘टीम 9’ के सदस्य थे — यह शब्द उन नौ सबसे प्रभावशाली अधिकारियों के लिए इस्तेमाल किया जाता था जिन्होंने सीएम के साथ मिलकर काम किया था.

सहगल, जो 35 साल के करियर के बाद 31 जुलाई, 2023 को सेवा से सेवानिवृत्त हुए, उन्हें आखिरी बार यूपी सरकार में अतिरिक्त मुख्य सचिव (खेल) तैनात किया गया था, लेकिन उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद कोई भी नया कार्य नहीं दिया गया था, जबकि योगी आदित्यनाथ ने सितंबर 2022 में सेवानिवृत्ति के कुछ दिनों के भीतर ही अपने अन्य विश्वासपात्र अवनीश अवस्थी को तुरंत अपना सलाहकार नियुक्त कर दिया था.

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केंद्र में सत्ता में वापसी के लिए योगी के सीएमओ से हटाया गया

एक समय उन्हें यूपी के सबसे प्रभावशाली आईएएस अधिकारियों में से एक माना जाता था, जिन पर दो पूर्व मुख्यमंत्रियों-मायावती और अखिलेश यादव का भी भरोसा था. काफी समय तक आदित्यनाथ के अलावा, 1988 बैच के आईएएस अधिकारी सहगल 31 अगस्त, 2022 तक सूचना और जनसंपर्क, एमएसएमई और निर्यात प्रोत्साहन, हथकरघा और कपड़ा और खादी और ग्रामोद्योग जैसे महत्वपूर्ण विभागों के एसीएस का प्रभार संभाल रहे थे.

हालांकि, योगी के विश्वासपात्र और 1987-बैच के आईएएस अधिकारी अवनीश अवस्थी के उसी दिन सेवानिवृत्त होने के कुछ घंटों बाद, सहगल से ये विभाग वापस ले लिए गए और इसके बजाय उन्हें लो-प्रोफाइल खेल विभाग का प्रभार दिया गया, जिसे योगी सीएमओ के विशिष्ट समूह से उनके बाहर निकलने के रूप में देखा गया.

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इसके बाद, सीएम के प्रमुख सचिव संजय प्रसाद को सूचना और जनसंपर्क विभाग के साथ-साथ अवस्थी द्वारा संभाले जाने वाले सभी विभागों का प्रभार दिया गया, जिसे सहगल संभाल रहे थे.

जबकि अवस्थी अपनी सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद सत्ता हलकों में वापस आ गए थे और सितंबर 2022 में सीएम के सलाहकार के रूप में नियुक्ति से पहले भी बैठकों में भाग लेते देखे गए थे, तब से उन्हें दो एक्सटेंशन मिल चुके हैं.

इसके विपरीत, सहगल को ऐसी कोई पोस्टिंग नहीं दी गई.

हालांकि, सहगल को जुलाई 2022 में चार साल के लिए यूपी बैडमिंटन एसोसिएशन का अध्यक्ष फिर से चुना गया था. वर्तमान में एसोसिएशन के अध्यक्ष दिवंगत मंत्री अखिलेश दास गुप्ता के बेटे विराज सागर दास हैं, जो बाबू बनारसी दास समूह के अध्यक्ष भी हैं.

यूपी सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “योगी सरकार द्वारा उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद किसी भी बड़े लाभ से वंचित कर दिया गया था, यह दर्शाता है कि अधिकारी अन्य लोगों के समान समीकरण साझा नहीं करते थे, जिन्हें सेवानिवृत्ति के बाद भी बड़े काम मिले थे. उनकी सेवानिवृत्ति खामोश थी.”

अधिकारी ने कहा, “हालांकि, सार्वजनिक प्रसारक प्रसार भारती बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में उनकी नियुक्ति बड़ी है और विशेष रूप से क्योंकि यह लोकसभा चुनावों से ठीक पहले हुई है. यह स्पष्ट है कि जो अधिकारी अब योगी के पसंदीदा नहीं हैं, उन्हें नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार का समर्थन मिल गया है.”


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अक्सर विपक्ष के निशाने पर, लेकिन शासन में समर्थन

हालांकि उन्हें कई बार विपक्ष द्वारा निशाना बनाया गया है, लेकिन सहगल को नए शासनों में दरकिनार किए जाने के बाद चमत्कारी वापसी करने के लिए जाना जाता है.

जबकि उन्होंने 2007 और 2012 के बीच अपने पूरे पांच साल के कार्यकाल के लिए मायावती के सचिव के रूप में कार्य किया, सहगल को 2012 में अखिलेश यादव के सत्ता में आने के तुरंत बाद प्रतीक्षारत अधिकारियों की सूची में डाल दिया गया था और बाद में धार्मिक मामलों का विभाग दिया गया था जो तब महत्वहीन की तरह देखा जाता था.

हालांकि, 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के बाद संकट प्रबंधन के लिए अखिलेश सरकार ने उन्हें प्रमुख सचिव (सूचना) नियुक्त किया. उन्हें उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीईआईडीए) के सीईओ का प्रभार भी दिया गया और उन्होंने अखिलेश की महत्वाकांक्षी लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे परियोजना को संभाला.

जबकि भाजपा एक्सप्रेसवे के निर्माण में कथित भ्रष्टाचार के लिए अखिलेश सरकार पर निशाना साध रही थी, 2017 में यूपी में आदित्यनाथ के सत्ता में आने के तुरंत बाद, सहगल का नाम प्रतीक्षारत अधिकारियों की सूची में डाल दिया गया था.

हालांकि, 2020 के हाथरस सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले के बाद योगी ने उनकी ओर रुख किया था और सहगल को 2022 में बाहर किए जाने तक सीएम के साथ निकटता का आनंद लेते देखा गया था.

यूपी सरकार के सूत्रों ने कहा कि 1988-बैच के अधिकारी को यूपी सरकार के लिए “संकटमोचक” के रूप में देखा जाता है, जो हाथरस मामले को लेकर व्यापक आलोचना का सामना कर रही थी और वे अपने चतुर मीडिया प्रबंधन के लिए जाने जाते हैं.

‘संचार, मीडिया प्रबंधन, विस्तृत नेटवर्क’

दिप्रिंट से बात करते हुए सहगल के साथ काम कर चुके एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने उन्हें “सुलभ और मीडिया प्रबंधन में अच्छा व्यक्ति” बताया और उनका “व्यापक नेटवर्क है जो नौकरशाहों और राजनेताओं तक सीमित नहीं है”.

अधिकारी ने कहा, “उनकी अच्छी बात यह है कि वे पहुंच योग्य हैं और उनका एक व्यापक नेटवर्क है जो नौकरशाहों और राजनेताओं तक सीमित नहीं है. ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2018 से पहले वे यूपी सरकार की सफल ब्रांडिंग के पीछे प्रमुख अधिकारियों में से एक थे, जिसे योगी शासन के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जाता है. यहां तक कि उन्होंने जीआईएस-2018 से पहले शीर्ष उद्योगपतियों के साथ कई बैठकें भी कराईं.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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