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Wednesday, 20 November, 2024
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महाराष्ट्र के विधायकों की अयोग्यता याचिकाओं पर आज सुनवाई, अब तक Sena VS Sena की कहानी पर एक नजर

अयोग्यता याचिकाएं 34 विधायकों के खिलाफ लंबित हैं - सीएम एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना के 20 और ठाकरे के नेतृत्व वाले शिव सेना (यूबीटी) के सभी 14. कार्यवाही में किसी भी देरी से सिर्फ शिंदे को फायदा होगा.

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मुंबई: राज्य विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने बुधवार को कहा, “मेरा फैसला महाराष्ट्र को न्याय देगा.” उन्होंने विपक्ष के इन आरोपों को खारिज कर दिया कि वह दो प्रतिद्वंद्वी शिवसेना गुटों द्वारा दायर अयोग्यता याचिकाओं पर अपने फैसले में देरी कर रहे हैं.

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता नार्वेकर ने वही दोहराया जो वह कुछ महीनों से कहते आ रहे थे – कि वह किसी निर्णय में जल्दबाजी नहीं करेंगे और उचित समय पर याचिकाओं पर निर्णय लेंगे. पिछले महीने, सभी शिवसेना और शिवसेना (यूबीटी) विधायकों को अपनी बात रखने के लिए कहा गया था. आधिकारिक सुनवाई आज से शुरू होनी है.

दो प्रतिद्वंद्वी गुटों के 34 विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाएं लंबित हैं – जिसमें मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के 20 (कुल 40 में से), और पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) के सभी 14 विधायक शामिल हैं.

ये गुट पिछले साल शिंदे के विद्रोह से खड़े हुए हैं, जिसके कारण सेना में विभाजन हुआ और तत्कालीन महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार गिर गई, जिसमें अविभाजित शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) शामिल थीं.

विपक्ष, विशेष रूप से शिवसेना (यूबीटी), नार्वेकर पर याचिकाओं को दबाकर बैठे रहने का आरोप लगा रही है. आरोपों से इनकार करते हुए उन्होंने बुधवार को संवाददाताओं से कहा, “अगर वे कहते हैं कि मैं कार्यवाही में देरी कर रहा हूं, तो मैं सुनवाई एक दिन पहले क्यों करूंगा? चूंकि मुझे 13 (अक्टूबर) को दिल्ली में एक और कार्यक्रम में भाग लेना है, इसलिए मैं सुनवाई एक दिन आगे बढ़ा रहा हूं. अगर मैं देरी करना चाहता तो मैं कारण बता देता और सुनवाई स्थगित कर देता.”

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि याचिकाओं पर फैसले में देरी शिंदे और उनकी पार्टी के लिए फायदेमंद है.

राजनीतिक विश्लेषक संजय पाटिल ने दिप्रिंट को बताया, ‘यह देरी वास्तव में शिंदे और सत्तारूढ़ शिवसेना-बीजेपी-अजित पवार गुट सरकार के लिए फायदेमंद है.’ “क्योंकि लोकसभा चुनाव (अगले साल) से ठीक पहले, अगर स्पीकर विधायकों को अयोग्य ठहराने का फैसला करते हैं, तो यह सत्तारूढ़ सरकार के लिए एक बड़ा झटका होगा क्योंकि शिवसेना में जो हुआ है वह बीजेपी के समर्थन से है. तो, यह सब उस रणनीति का एक हिस्सा है.”

अपनी ओर से, शिंदे के नेतृत्व वाली सेना का मानना है कि उसके विधायकों के खिलाफ याचिकाएं कुछ और नहीं बल्कि शिव सेना (यूबीटी) द्वारा “अपने झुंड को एक साथ रखने” का एक प्रयास है.

“सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही निर्णय ले लिया है और सरकार को वैधता दे दी है,” इसके प्रवक्ता नरेश म्हस्के ने मई में ठाकरे के तहत पूर्व एमवीए सरकार को बहाल करने से अदालत के इनकार का जिक्र करते हुए दिप्रिंट को बताया. “यहां तक कि भारत के चुनाव आयोग ने भी फैसला कर लिया है कि असली शिवसेना कौन है. दूसरा समूह बस अपने बचे हुए झुंड को एक साथ रखने की कोशिश कर रहा है और इसलिए ये रणनीति अपना रहा है. और कुछ नहीं.”

हालांकि भाजपा-सेना-अजीत गुट के गठबंधन की सटीक संख्या के बारे में अभी भी सटीक जानकारी नहीं है, सीएम शिंदे ने कथित तौर पर जुलाई में कहा था कि गठबंधन – जिसे महा युति कहा जाता है – के 288 सदस्यीय सदन में 210 से अधिक विधायक हैं.

अगले साल होने वाले आम चुनाव और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को देखते हुए, एक भाजपा नेता ने स्वीकार किया कि विधायकों को अयोग्य ठहराने का निर्णय पार्टी के लिए हानिकारक साबित हो सकता है. नेता ने माना कि यह देरी गठबंधन के लिए “अच्छी” थी.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “देखिए, यह उनका आंतरिक मामला है और अध्यक्ष कानून के अनुसार काम कर रहे हैं. लेकिन हां, इस समय कोई भी निर्णय खेमे में सदमा पहुंचा सकता है क्योंकि हम देवेन्द्र जी, एकनाथ शिंदे और अजीत पवार के साथ महायुति के रूप में चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं.”


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टाइमलाइन

पिछले साल, अपनी पार्टी के खिलाफ शिंदे के विद्रोह के तुरंत बाद, ठाकरे और उनके समर्थकों ने उनके और 16 अन्य विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही शुरू की. एमवीए घटक एनसीपी के नेता और महाराष्ट्र विधानसभा के तत्कालीन उपाध्यक्ष नरहरि ज़िरवाल ने इन नेताओं के खिलाफ नोटिस जारी किया, जिसके बाद उन्हें सुप्रीम कोर्ट का रुख करना पड़ा. शिंदे गुट ने भी ठाकरे गुट के विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिका दायर की.

इस बीच, राज्य के तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने एमवीए सरकार के लिए फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया. सरकार ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया.

29 जून, 2022 को, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कुछ मिनट बाद, ठाकरे ने घोषणा की कि वह सीएम पद छोड़ रहे हैं, जिससे शिंदे के लिए भाजपा के समर्थन से सरकार बनाने का मार्ग प्रशस्त हो गया.

इस बीच, अयोग्यता की कार्यवाही पर खींचतान जारी रही, सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अगस्त में इसे एक बड़ी पीठ को भेज दिया.

इस बीच, सेना संकट पर सुनवाई जारी रही – मई में, एक संविधान पीठ ने विश्वास मत बुलाने के अपने फैसले के लिए कोश्यारी की खिंचाई की, लेकिन उद्धव ठाकरे के फ्लोर टेस्ट का सामना करने में विफलता का हवाला देते हुए, ठाकरे सरकार को बहाल करने से भी इनकार कर दिया.

अदालत ने महाराष्ट्र अध्यक्ष से अयोग्यता की कार्यवाही में तेजी लाने को भी कहा.

जब कार्यवाही में देरी जारी रही, तो शिवसेना (यूबीटी) ने सितंबर में एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

18 सितंबर को, शीर्ष अदालत ने स्पीकर से अयोग्यता कार्यवाही पर समय सीमा मांगी, जिसके बाद नार्वेकर को शिवसेना के दोनों गुटों के सभी 54 विधायकों को नोटिस जारी करना पड़ा. अध्यक्ष ने अयोग्यता कार्यवाही के लिए एक समयसीमा भी बताई – जारी कार्यक्रम के अनुसार, याचिकाओं पर आज से यानी 12 अक्टूबर से 23 नवंबर तक सुनवाई की जाएगी, जिसके बाद जिरह होगी.

राजनीतिक विश्लेषक अभय देशपांडे का मानना है कि अयोग्यता प्रक्रिया में देरी होने की संभावना है.

उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट स्पीकर द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रम पर सहमत होगा या नहीं, यह निर्भर करेगा लेकिन ऐसा लगता है कि प्रक्रिया में देरी होगी.” उन्होंने आगे कहा, “जब तक सुप्रीम कोर्ट कोई सीधी समय सीमा नहीं देता, मुझे नहीं लगता कि जनवरी से पहले कोई फैसला आ सकता है.”

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

(संपादन: पूजा मेहरोत्रा)


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