scorecardresearch
Monday, 16 December, 2024
होमराजनीति‘मोदीत्व’, आदिवासियों को लुभाना, CM का कम से कम जिक्र- गुजरात यात्रा में आखिर क्या रही BJP की रणनीति

‘मोदीत्व’, आदिवासियों को लुभाना, CM का कम से कम जिक्र- गुजरात यात्रा में आखिर क्या रही BJP की रणनीति

शुक्रवार को सम्पन्न गौरव यात्रा में आदिवासी बेल्ट पर फोकस करते हुए पांच रूट को कवर किया गया. गुजरात में 2017 के चुनाव में कांग्रेस की 77 सीटों और 41 फीसदी वोटों की तुलना में भाजपा ने 49 फीसदी वोट हासिल किए थे और कुल 182 में 99 सीटों पर जीत दर्ज की थी.

Text Size:

खेड़ा: गुजरात में शुक्रवार को सम्पन्न भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की गौरव यात्रा के दौरान पांच रूट, 245 ब्लॉक और 5,700 किलोमीटर में फैले 144 विधानसभा क्षेत्रों को कवर किया जाना दर्शाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृह राज्य पार्टी के लिए कितना ज्यादा मायने रखता है.

गौरव यात्रा के दौरान भाजपा ने न केवल इस विचार को आगे बढ़ाया कि भारत एक भूमिपुत्र नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दुनियाभर में अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है बल्कि अपना नैरेटिव मतदाताओं तक ‘भरोसा नी सरकार’ का एक मजबूत संदेश पहुंचाने के इर्द-गिर्द भी केंद्रित रखा.

राज्य में पिछले 27 सालों से सत्तासीन मोदी की पार्टी ‘गुजराती अस्मिता’ का उल्लेख करना भी नहीं भूली. इसके अलावा मोदी का शासन मॉडल, नर्मदा नहर मसला, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और अनुच्छेद 370 निरस्त किए जाने आदि मुद्दों को भाजपा ने अपनी यात्रा के दौरान मतदाताओं के समक्ष पूरे जोरशोर से उठाया.

गौरव यात्रा के लिए मार्ग चुनने के दौरान खास तौर पर आदिवासी बहुल क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया था, यह दर्शाता है कि कैसे अन्य दलों की तरह भाजपा भी राज्य के 89 लाख आदिवासी मतदाताओं को लुभाने की कोशिश में जुटी है, जो गुजरात की कुल आबादी का 14.8 प्रतिशत हिस्सा हैं.

इस बार, भाजपा का लक्ष्य माधवसिंह सोलंकी का रिकॉर्ड तोड़ना है, जिनके नेतृत्व में कांग्रेस ने 1985 में गुजरात की कुल 182 में से 149 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी.

हालांकि, राज्य में मोदी की पार्टी को आम आदमी पार्टी (आप) की तरफ से चुनौती का सामना भी करना पड़ रहा है. आप देश में तीसरी ऐसी पार्टी है जिसके पास एक से अधिक राज्यों में सत्ता की कमान है जबकि अन्य दो पार्टियां भाजपा और कांग्रेस हैं. इसके अलावा राज्य में करीब तीन दशकों से सत्ता पर काबिज भाजपा को सत्ता विरोधी लहर का भी सामना करना पड़ रहा है.

पाटीदार आरक्षण को लेकर आंदोलन (2015-17) के बाद 2017 के चुनाव में मात्र 99 सीटें—जब भाजपा ने सबसे कम सीटें जीतीं—आने के बाद से ही भाजपा अपना जनाधार बढ़ाने के लिए मोदी की लोकप्रियता पर भरोसा करती आ रही है. हालांकि, अब इतने व्यापक स्तर पर कोई आंदोलन नहीं चला है.

2017 में भाजपा को राज्य में कुल 49 प्रतिशत वोट हासिल हुए और कांग्रेस 77 सीटों और 41 प्रतिशत वोट शेयर के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी.

Amit Shah flags off Gaurav Yatra at Unai on 14 Oct | ANI
अमित शाह ने 14 अक्टूबर को उनाई में गौरव यात्रा को झंडी दिखाकर रवाना किया | एएनआई

गौरव यात्रा के द्वारका से पोरबंदर तक वाले चरण की समाप्ति के बाद 19 अक्टूबर को गांधीनगर लौटे गुजरात भाजपा अध्यक्ष सी.आर. पाटिल ने कहा कि पार्टी इस दौरान 40 लाख से अधिक लोगों तक पहुंची. उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘हम एक अच्छे जनादेश की ओर बढ़ रहे हैं क्योंकि लोग राज्य और केंद्र में मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को परख चुके हैं. गुजरात और देश का गौरव आसमान छू रहा है.’

यह पूछे जाने पर कि क्या अरविंद केजरीवाल राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा के लिए कोई बड़ी चुनौती साबित होंगे, पाटिल ने कहा कि आप ‘केवल हो-हल्ला कर रही है’ और इस साल के आखिर में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव के ‘नतीजों पर इसका कोई असर नहीं पड़ने वाला’ है.’

राज्य भाजपा के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ‘नैरेटिव में बदलाव आया है क्योंकि राज्य और केंद्र दोनों में भाजपा सत्ता में है. 2002 में, दंगों के तुरंत बाद नरेंद्रभाई ने सोनिया गांधी के विदेशी मूल और इतालवी विरासत पर निशाना साधा था. 2007 में, उन्होंने ‘मौत के सौदागर’ वाली टिप्पणी के लिए फिर से उन पर सियासी हमला बोला और ध्रुवीकरण के लिए पाकिस्तान के नाम का जिक्र किया.’

उन्होंने आगे कहा कि हालांकि, इस बार ‘कांग्रेस के खिलाफ हमलावर होना ज्यादा फायदेमंद नहीं होगा’ और आप को ‘परोक्ष रूप से निशाना बनाया जा सकता है.’

उक्त नेता ने कहा, ‘पार्टी का नैरेटिव मोदी के इर्द-गिर्द ही केंद्रित है, क्योंकि उनके गृह राज्य में स्थितियां थोड़ी अलग तरह की हैं. अन्य राज्यों के विपरीत, जहां लोग विधानसभा और संसदीय चुनावों के बीच अंतर पर ध्यान देते हैं, गुजरात के लोग भावनात्मक रूप से मोदी के साथ जुड़े हैं.’


यह भी पढ़ें: बिलकिस बानो मामले में दोषियों को 90 दिनों तक पैरोल पर बाहर रहने की मिली अनुमति, नियमों पर उठे सवाल


किन मायनों में अलग रही यह गौरव यात्रा

भाजपा की चार पिछली गौरव यात्राओं (2002, 2007, 2012 और 2017) के विपरीत इसने पांच रूट कवर किए—मेहसाणा में बेचारजी से कच्छ जिले में माता नो मढ़; द्वारका से पोरबंदर; अहमदाबाद के जंजारका से गिर सोमनाथ जिले में गिर तक; नवसारी (दक्षिणी गुजरात) में उनाई से खेड़ा (मध्य गुजरात) में फगवेल तक और ऊना से अंबाजी (उत्तरी गुजरात) तक.

2017 में इस यात्रा के दौरान दो रूट कवर किए गए थे, जबकि 2002 की यात्रा में, जब मोदी ने केशुभाई पटेल से गुजरात भाजपा की बागडोर अपने हाथ में ली, इसके लिए एक ही रूट अपनाया गया था.

गुजरात भाजपा के उपाध्यक्ष गोवर्धन भाई झड़फिया ने कहा, ‘हमने एक दिन में 15 सार्वजनिक सभाएं कवर कीं. हमने ऐसी 150 सभाएं की हैं जिसमें 50 से अधिक केंद्रीय और राज्य मंत्रियों ने हिस्सा लिया. यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा था उन आदिवासी बहुल विधानसभा क्षेत्रों से गुजरना, जहां 2017 के चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन कमजोर रहा था.’

An election van part of BJP's Gaurav Yatra | Shanker Arnimesh | ThePrint
एक चुनावी वैन, भाजपा की गौरव यात्रा का हिस्सा | शंकर अर्निमेश | दिप्रिंट

वैसे, 2002 से 2012 के बीच तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी ही गुजरात भाजपा का चेहरा थे और उन्होंने गौरव यात्रा के तहत पूरे राज्य की यात्रा की थी.

लेकिन इस बार मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल कुछ ही स्थानों पर गौरव यात्रा में शामिल हुए. यही नहीं, पूरी यात्रा के दौरान भूपेंद्र पटेल या उनके पूर्ववर्ती विजय रूपाणी या आनंदीबेन पटेल—जो अब यूपी की राज्यपाल हैं—का शायद ही कोई उल्लेख किया गया.

BJP supporters attend public meeting during Gaurav Yatra | Shanker Arnimesh | ThePrint
गौरव यात्रा के दौरान जनसभा में शामिल हुए भाजपा समर्थक | शंकर अर्निमेश | दिप्रिंट

राज्य के एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट से कहा, ‘कोई भी मुख्यमंत्री (पटेल) और उनके विनम्र व्यवहार के बावजूद उनके काम के आधार पर वोट नहीं देगा. गुजरात में हिंदुत्व की जगह मोदीत्व ने ले ली है. हम चाहते हैं कि लोग इस बात को समझें कि कोविड के बावजूद मोदी के कारण कितना विकास और रोजगार सृजन हुआ है.’

उन्होंने आगे कहा कि ‘वेदांत-फॉक्सकॉन सेमीकंडक्टर प्लांट से हजारों नौकरियां आएंगी’ और ‘मोदी की वजह से ही दाहोद में 22,000 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाएं चल रही हैं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘हम 2004 के ‘इंडिया शाइनिंग’ की नाकामी से सबक लेते हुए सीधे तौर पर तो यह नहीं कह सकते हैं, लेकिन दूसरे शब्दों में, गुजराती लोगों को बता रहे हैं कि प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की वजह से ‘गुजरात शाइनिंग’ हो रहा है, जो दोनों ही इसी राज्य के हैं. उनके प्रयासों से गुजरात और देश आगे बढ़ रहा है. हमें केवल लोगों को यह याद दिलाना है.’

‘पटेल के सपने को मोदी पूरा कर रहे’

भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा ने यात्रा के दौरान स्पष्ट कर दिया कि मोदी ही केंद्रबिंदु रहेंगे, जिन्होंने 12 अक्टूबर को मेहसाणा जिले के बेचारजी से यात्रा को हरी झंडी दिखाते हुए कहा कि पार्टी का चुनाव अभियान मोदी और दुनियाभर में भारत का बढ़ते कद पर केंद्रित होना चाहिए.

इस मौक पर केंद्रीय मंत्रियों पीयूष गोयल, भूपेंद्र यादव, मनसुख मंडाविया, पुरुषोत्तम रूपाला और अनुराग ठाकुर की मौजूदगी में नड्डा ने कहा, ‘यह सिर्फ भाजपा या गुजरात के लिए ही गौरव यात्रा नहीं है, बल्कि भारत के गौरव को फिर से जगाने की एक कोशिश है. गुजरात विकास की गंगोत्री है और देशवासी नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दुनिया के नक्शे पर भारत को फिर से स्थापित होते देख रहे हैं. हम आपको दिखाना चाहते हैं कि पहले हमने गुजरात विकास यात्रा देखी और अब हम देश विकास यात्रा देख रहे हैं.’

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने 19 अक्टूबर को खेड़ा के खटराज में एक जनसभा को संबोधित करते हुए अपने भाषण की शुरुआत ही यह कहकर की कि मोदी के नेतृत्व में भारत विश्व स्तर पर आगे बढ़ रहा है.

उन्होंने कहा, ‘दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता का जन्म गुजरात में हुआ था. उन्होंने (मोदी ने) भारत का कद बढ़ाया है और दुनियाभर के तमाम नेता मोदी के नेतृत्व में काम करने को तैयार हैं.’

इसके बाद उन्होंने वहां मौजूद भीड़ से कहा कि किसी अन्य ऐसे नेता का नाम बताएं जो मोदी के आगे टिक सकता हो.

Jitendra Singh during Gaurav Yatra on 19 Oct | Shanker Arnimesh | ThePrint
19 अक्टूबर को गौरव यात्रा के दौरान जितेंद्र सिंह | शंकर अर्निमेश | दिप्रिंट

इस मौके पर जुटे एक हजार से ज्यादा लोगों की भीड़ को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘भले ही आप अन्य विचारधाराओं या पार्टियों के प्रति झुकाव रखते हों, राष्ट्र निर्माण के लिए मोदी के हाथ मजबूत करें.’

जितेंद्र सिंह ने मोदी को गुजरात और भारत का गौरव को बढ़ाने का श्रेय देते हुए कहा कि देश का हर राज्य मोदी के ‘शासन मॉडल’ को अपना रहा है. केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा, ‘उन्होंने नर्मदा परियोजना के तहत 24 घंटे बिजली और सूखाग्रस्त क्षेत्रों के लिए पानी की उपलब्धता सुनिश्चित की है.’

उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा की गौरव यात्रा इसका प्रतीक भी है कि मोदी ने पार्टी की वैचारिक प्रतिबद्धताओं को कैसे पूरा किया है. स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के लिए मोदी की सराहना करते हुए जितेंद्र सिंह ने कहा कि पीएम ने ‘स्वतंत्रता सेनानियों का गौरव बहाल किया है.’

उन्होंने कहा, ‘पूर्व में जब हमने अपने घोषणापत्र में अनुच्छेद 370 खत्म करने का वादा किया था तो अन्य दलों के नेता हमारा मजाक उड़ाते थे. मोदी ने इसे रद्द करके न केवल उन्हें सबक सिखाया बल्कि पार्टी के वैचारिक एजेंडे को भी पूरा किया है.’

20 अक्टूबर को नडियाद के महुधा गांव में एक जनसभा को संबोधित करते हुए, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मतदाताओं से कहा कि याद करें कि कैसे गुजरात में कांग्रेस शासन के समय ‘भ्रष्टाचार ने गहरी जड़ें जमा ली थीं’ और वह मोदी ही थे जो शासन में महत्वपूर्ण बदलाव लाए.

उन्होंने कहा, ‘जो सपना सरदार पटेल ने देखा था, वही सपना मोदीजी पूरा कर रहे हैं. वैष्णव ने गुजरात में ‘डबल इंजन’ सरकार की जरूरत को रेखांकित किया. साथ ही आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल का नाम लिए बगैर मतदाताओं से अपील की कि आप से दूरी बनाए रखें.

Ashwini Vaishnaw during Gaurav Yatra on 20 Oct | Shanker Arnimesh | ThePrint
20 अक्टूबर को गौरव यात्रा के दौरान अश्विनी वैष्णव | शंकर अर्निमेश | दिप्रिंट

उन्होंने कहा, ‘कुछ लोग खुद को भगवान का अवतार बता रहे हैं. वे कहते हैं कि वह (केजरीवाल) भगवान कृष्ण के अवतार हैं. यह तो शर्मनाक है. वे (आप ने) मुख्यत: राजनीतिक आधार पर सार्वजनिक जीवन में आए थे, लेकिन अब दिल्ली में भ्रष्ट सरकार चला रहे हैं.’

मतदाताओं से वोट डालते समय ‘कोई गलती न करने’ का आह्वान करते करते हुए वैष्णव ने कहा कि गुजरात मॉडल ‘दुनियाभर में विकास का एक मॉडल बन गया है.’

जितेंद्र सिंह और अश्विनी वैष्णव दोनों ने ये टिप्पणियां खेड़ा में जनसभाओं के दौरान कीं. खेड़ा में छह विधानसभा क्षेत्र हैं, जिनमें तीन ने 2017 के चुनावों में भाजपा उम्मीदवारों को चुना था, जबकि अन्य तीन ने कांग्रेस प्रत्याशियों को जिताया था.

आदिवासी वोट बैंक पर टिकी नजरें

मोदी की लोकप्रियता को भुनाने के अलावा भाजपा राज्य में अन्य सभी दलों की तरह आदिवासी मतदाताओं को लुभाने की भी हरसंभव कोशिश कर रही है.

पिछले चुनाव में अपने प्रदर्शन को ध्यान में रखकर भाजपा ने यह सुनिश्चित भी किया कि उसकी गौरव यात्रा का सबसे लंबा रूट (490 किमी)—जो ऊना से अंबाजी मार्ग तक था—आदिवासी बहुल क्षेत्रों से होकर गुजरे. उनाई-फागवेल मार्ग ने भी राज्य की आदिवासी बेल्ट में आने वाले कुछ हिस्सों को कवर किया गया.

इस साल मई में भाजपा ने पार-तापी-नर्मदा नदी-लिंक परियोजना को इस आशंका से रद्द कर दिया था क्योंकि इससे आदिवासियों को विस्थापन झेलना पड़ सकता था.

वहीं, कांग्रेस ने भी आदिवासी वोटबैंक पर नजरें टिका रखी हैं. पार्टी ने पिछले साल दिसंबर में पाटीदार नेता परेश धनानी की जगह पर आदिवासी समुदाय के विधायक सुखराम राठवा को गुजरात विधानसभा में नेता विपक्ष बनाया, जो छोटा उदेपुर के जेतपुर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं.

और आप ने आदिवासी मतदाताओं के साथ नजदीकी बढ़ाने के लिए मई में छोहोटू वसावा के नेतृत्व वाली भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के साथ हाथ मिलाया, हालांकि, यह गठबंधन ज्यादा समय नहीं चल पाया.

2017 में राज्य में अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए सुरक्षित 27 विधानसभा सीटों में से भाजपा को केवल नौ और बीटीपी को दो सीटें पर सफलता मिली थी जबकि बाकी सीटें कांग्रेस के खाते में गई थीं.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: पैरोल पर बाहर आए डेरा प्रमुख ‘पिताजी’ राम रहीम का आशीर्वाद लेने जुटे हरियाणा के BJP नेता


share & View comments