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Friday, 13 December, 2024
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हिंदी विरोध के दिन गए: कैसे तमिलनाडु की DMK पॉडकास्ट और नौकरियों के जरिए हिंदी पट्टी को लुभा रही है

DMK, जो हिंदी थोपने के खिलाफ हमेशा से मुखर रही है, ने हिंदी और अन्य भाषाओं में पॉडकास्ट शुरू किया है. साथ ही पार्टी ने हिंदी मीडिया में विज्ञापन देना शुरू किया है और BJP के विभाजनकारी एजेंडे का भंडाफोड़ करने के लिए हिंदी बोलने वालों को काम पर रखा है.

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चेन्नई: राज्य में हिंदी विरोधी आंदोलन के इतिहास के साथ एम.के. स्टालिन के नेतृत्व वाली द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) अब तमिलनाडु और भारत के हिंदी भाषी राज्यों के बीच की खाई को पाटने की कोशिश कर रही है. पार्टी ने यह कदम हिंदी विरोधी और राष्ट्र विरोधी होने के लिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) की आलोचना का सामना करने के बाद उठाया है.

इस महीने की शुरुआत में, DMK ने हिंदी अखबारों में अपनी योजनाओं के बारे में विज्ञापन दिए थे.

इसके बावजूद कि राज्य में तमिलनाडु और द्रविड़ पार्टियां 1930 के दशक के उत्तरार्ध से हिंदी थोपने के कथित प्रयास का विरोध करने वाली देश की पहली पार्टियों में से थी. 1965 में, DMK अपने हिंदी विरोधी आंदोलन के साथ तमिलनाडु में प्रमुखता से उभरी और आज तक, पार्टी हिंदी थोपने के खिलाफ आवाज उठाती रही है.

उदाहरण के लिए, पार्टी हिंदी को लेकर BJP के बयानों की आलोचना करती रही है, जैसे 2019 में हिंदी दिवस पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की टिप्पणी, जहां उन्होंने कहा था कि हिंदी देश को एकजुट कर सकती है, और बाद में 2022 में उन्होंने दावा किया कि यह भाषा दूसरे भाषाओं को जोड़ सकती है. उसी साल शाह ने घोषणा की कि केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों में कक्षाएं शिक्षा के माध्यम के रूप में हिंदी का उपयोग करेगी.

पिछले साल अक्टूबर में शाह की टिप्पणी पर पलटवार करते हुए स्टालिन ने कथित तौर पर कहा था, “यह भारत है, हिन्दिया नहींं.” कथित तौर पर उस दौरान राज्य में इस बयान की आलोचना करते हुए द्रविड़ पार्टियों द्वारा कई विरोध प्रदर्शन भी देखे गए.

हालांकि, पार्टी ने हिंदी पर अपना रुख नरम करने के संकेत दिखाए हैं और इसके लिए एक लंबा सफर तय किया है. यह उस घटना के बाद हुआ है जब अक्टूबर 2022 में तमिलनाडु के खेल- युवा कल्याण मंत्री और सीएम के बेटे उदयनिधि स्टालिन ने आह्वान किया था कि- “हिंदी थेरियाधु पोडा” (हिन्दी नहीं आती है तो चले जाओ).

DMK ने “स्पीकिंग फॉर इंडिया” नाम से एक पॉडकास्ट शुरू किया है, जिसके जरिए स्टालिन राष्ट्र को संबोधित करेंगे. पॉडकास्ट का हिंदी और तेलुगु, मलयालम और कन्नड़ सहित अन्य भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया जाएगा. राज्य सरकार ने हिंदी में पारंगत लोगों के लिए नौकरियां देने की भी घोषणा की है.

DMK प्रवक्ता ए. सरवनन ने दिप्रिंट को बताया, “BJP लोगों को भाषा के आधार पर बांटने की कोशिश कर रही है. यह एक छवि बनाने का प्रयास है कि हम तमिलनाडु में हिंदी और हिंदी भाषी लोगों के खिलाफ हैं. यह एक झूठा प्रचार है.”

उन्होंने कहा, “द्रमुक का प्रयास हिंदी पट्टी में इस झूठे प्रचार का भंडाफोड़ करना है.”

उन्होंने कहा, “हमारे नेता या तमिलनाडु के लोग हिंदी के खिलाफ नहीं हैं. हमारे पास दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा (गैर-हिंदी भाषियों को हिंदी सिखाने के लिए चेन्नई की एक संस्था) में हिंदी पढ़ने वाले सबसे अधिक लोगों में से एक है.”

हालांकि, दिप्रिंट से बात करते हुए, BJP के राज्य उपाध्यक्ष नारायणन तिरुपति ने कहा कि हिंदी विरोधी ताकतें अब हिंदी को तेजी से अपना रही हैं.

उन्होंने कहा, “उन्हें लगता है कि कांग्रेस के आगामी लोकसभा चुनाव में 50 सीटें भी जीतने की संभावना नहीं है, और द्रमुक INDIA गठबंधन का नेता बनना चाहती है.”

इस बीच, राजनीतिक विश्लेषकों के लिए द्रमुक का यह प्रयास अधिक राजनीतिक लग रहा है.

राजनीतिक विश्लेषक और चेन्नई की रोजा मुथैया रिसर्च लाइब्रेरी के फेलो ए.एस. पन्नीरसेल्वन ने दिप्रिंट को बताया, “BJP यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि INDIA गठबंधन के सदस्य विभाजनकारी हैं. DMK द्वारा उठाए गए कदम यह दिखाना है कि वे देश में दूसरों तक पहुंचने के इच्छुक हैं और पार्टी केवल किसी भी प्रकार की ज्यादती या थोपने के खिलाफ है.”

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि द्रमुक की पहुंच उस राष्ट्रीय छवि से भी मेल खाती है जिसे स्टालिन विकसित करने की कोशिश कर रहे थे. स्टालिन ने INDIA गठबंधन को एक साथ लाने में मजबूत ताकत के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और इस साल की शुरुआत में कहा था, “तीसरे मोर्चे के बारे में बात करना ही व्यर्थ है.”

पन्नीरसेल्वन ने कहा, “DMK की मौजूदगी से अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (AAP) या ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस जैसी पार्टियों के साथ मतभेद सुलझाने में मदद मिली.”

विश्लेषकों का मानना है कि जैसे-जैसे द्रमुक तमिलनाडु से राष्ट्रीय मंच तक अपने कैनवास का विस्तार करेगी, हिंदी निश्चित रूप से एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.

पन्नीरसेल्वन ने कहा, “हिंदी पट्टी तक पहुंचने की भी जरूरत है ताकि उन्हें यह समझाया जा सके कि भारत में एक क्षेत्रीय पार्टी होने का क्या मतलब है.” उन्होंने कहा, “लोगों तक पहुंचने की डिजिटल संभावना ने भी DMK को मदद की है. यह बड़ी बात है.”

सरवनन के लिए, स्टालिन “गुजरात के पूर्व सीएम (नरेंद्र मोदी) से कहीं बेहतर हैं.” उन्होंने कहा, “उन्हें पहले से ही अखिल भारतीय छवि मिल गई है, हम बस इसे मजबूत कर रहे हैं.”

लेकिन, BJP के तिरुपति के मुताबिक, “स्टालिन और DMK सोचते हैं कि वे एक राष्ट्रीय पार्टी हैं, लेकिन सनातन धर्म पर उनकी टिप्पणियों से देश के लोग उनसे नफरत कर रहे हैं. उन्हें हिंदी सीखने की जरूरत है ताकि उन्हें एहसास हो सके कि देश DMK और INDIA गठबंधन से कितनी नफरत करता है.”


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उत्तर-दक्षिण का विभाजन

इस साल की शुरुआत में, तमिलनाडु और बिहार में दहशत की लहर देखी गई क्योंकि प्रवासियों के कथित तौर पर दक्षिणी राज्य से अपने गृह राज्य की ओर भागने, इन श्रमिकों के खिलाफ कथित हिंसा और मदद के लिए उनकी अपील के वीडियो दोनों राज्यों में वायरल हो गए.

दिप्रिंट से बात करते हुए DMK के एक वरिष्ठ सूत्र ने कहा, “हालांकि, तमिलनाडु सरकार ने इन वीडियो पर तुरंत कार्रवाई की और नकली बताया, लेकिन बहुत सारी गलत सूचनाएं फैल रही थीं. हमने सच्चाई बताने के लिए हिंदी में लिखे पोस्ट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया था.”

प्रवासी श्रमिकों के मुद्दे ने बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल (यूनाइटेड) और राष्ट्रीय जनता दल के साथ द्रमुक के राजनीतिक गठबंधन में भी कुछ संदेह पैदा किए. स्टालिन ने नीतीश कुमार को आश्वासन दिया कि तमिलनाडु में बिहारी श्रमिक सुरक्षित हैं और स्थिति की पुष्टि के लिए बिहार के अधिकारियों को भेजा गया है.

कथित तौर पर तमिलनाडु पुलिस ने झूठी खबर फैलाने के आरोप में कई लोगों को गिरफ्तार किया और मामले को खत्म कर दिया.

DMK सूत्र ने कहा कि इस तरह की गलत सूचना के प्रसार का मुकाबला करने के लिए, पार्टी सोशल मीडिया की निगरानी रखेगी और इसे मैनेज करने के लिए हिंदी जानने वाले लोगों को काम पर रखेगी. उनका काम सोशल मीडिया पर हिंदी कंटेट का प्रबंधन करना और सीएम के भाषणों का तमिल से हिंदी में अनुवाद करना शामिल होगा.

DMK सूत्रों ने कहा कि हिंदी पट्टी में, जहां DMK जैसी क्षेत्रीय पार्टियां और उनकी विचारधाराएं अभी भी अस्पष्ट हैं, DMK यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेगी कि बहुत सारी गलत सूचनाओं से बचा जा सके.

स्पीकिंग फॉर इंडिया पॉडकास्ट स्टालिन द्वारा “दक्षिण भारत की आवाज़” को सामने लाने का एक प्रयास है. अपनी घोषणा में स्टालिन ने कहा, “संसद में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी के प्रमुख के रूप में और आप में से एक के रूप में मुझे भारत के लिए क्या बोलना है, इस पॉडकास्ट का यही उद्देश्य है.”

खासकर पॉडकास्ट का पहला एपिसोड तब जारी किया गया था जब उदयनिधि की सनातन धर्म वाली टिप्पणी राष्ट्रीय सुर्खियां बटोर रही थी. पॉडकास्ट में स्टालिन ने BJP की आलोचना की और मोदी के गुजरात मॉडल को “पावरलेस” बता दिया.

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना ​​है कि द्रमुक की पहल उन मुद्दों को उजागर करेगी जिनका सामना गैर-BJP शासित दक्षिणी राज्य करते हैं. राजनीतिक वैज्ञानिक प्रियन श्रीनिवासन ने दिप्रिंट से कहा, “राज्य के अधिकारों को छीनना, राज्यपालों का हस्तक्षेप, धन का आवंटन, हिंदी को जबरदस्ती थोपना आदि” इनमें से कुछ प्रमुख मुद्दे हैं.

इसके अलावा, पन्नीरसेल्वन ने बताया कि सरकार ने कई तमिल पुस्तकों का भी अन्य भाषाओं में अनुवाद करने के लिए कदम उठाया है. उन्होंने कहा, “देश भर में बहुलता के विचार को ले जाने का मतलब है कि आपको विभिन्न क्षेत्रों के लोगों की भाषा जाननी और बोलनी होगी.”

DMK सूत्रों के मुताबिक, पार्टी ने देश में हो रहे भेदभाव के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए सामाजिक न्याय सम्मेलन का आयोजन किया था. बैठक में स्टालिन ने कहा था कि विभिन्न राज्यों में समस्याओं की लेवल अलग-अलग हो सकता है, लेकिन सभी राज्यों में सबसे बड़ा मुद्दा एक ही है – “घोर भेदभाव”

सरवनन ने कहा, “भारत को मजबूत बनाने के लिए सभी राज्यों को मजबूत होने की जरूरत है. द्रमुक तमिलनाडु के प्रगतिशील पहलुओं, शैक्षिक प्रणाली, महिलाओं के लिए समान अवसर, महिलाओं के अधिकार, सामाजिक न्याय प्रणाली सहित अन्य को आगे बढ़ाने पर केंद्रित है.”

(संपादनः ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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